पटना: जिनको आरक्षण मिलता है, वो उसका फायदा उठाते हैं। उसे हक समझ कर हासिल करते हैं। हालांकि ये महज संयोग ही है कि जिन जातियों के लिए आरक्षण तय किया गया है, उस कास्ट में उनका जन्म हुआ है। जिनको लगता है कि आरक्षण की वजह से उनके मौके छिने जा रहे हैं, उसमें भी संयोग ही काम करता है। वो अफसोस करते हैं कि उनका आरक्षण वाली जाति में जन्म नहीं हुआ। प्रतियोगी परीक्षा में कम नंबर हासिल करने पर आरक्षण वाले अपना मुकाम पा जाते हैं, जबकि उसी एग्जाम में ज्यादा नंबर हासिल करके भी बिना आरक्षण वाले अपना सपना पूरा नहीं कर पाते हैं। जनरल कैटेगरी को लेकर पुराना कमेंट हो रहा वायरलआरक्षण और कोटा को लेकर लंबे अर्से से बहस चल रही है। किसी के लिए रिजर्वेशन एक पॉलिटिकल टूल है तो किसी के लिए सपने को पूरा करने वाला। कई लोग इस आरक्षण की वजह से चिढ़े रहते हैं। गाहे-बगाहे इस पर चर्चा होती रहती है। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो आरक्षण का सपोर्ट तो करते हैं, मगर इसके लागू करने के तरीके से उन्हें आपत्ति रहती है। खैर, इन सबके बीच ट्विटर पर छह साल पहले माइक्रो ब्लॉगिग साइट Quora पर मेघना सारस्वत नाम की एक लड़की का किया गया कमेंट अब वायरल हो रहा है। इस पर कई लोग अपना विचार रख रहे हैं। मेघना ने तब लिखा था कि ‘सामान्य कोटा क्या है?’ इसके जवाब भी उन्होंने दिया है। जिसमें कहा गया है कि ‘दुर्भाग्य से, कोई सामान्य कोटा नहीं है। यह विशेषाधिकार केवल निचली जातियों (एससी, एसटी और ओबीसी) को दिया जाता है। इनके लिए कुल सीटों का लगभग 50% ऐसे उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है, और शेष 50% सामान्य वर्ग के लिए हैं। हालांकि, शारीरिक रूप से विकलांग लोगों के लिए भी एक कोटा है, लेकिन यह आरक्षित कोटा की तुलना में बहुत कम है। शारीरिक रूप से विकलांग उम्मीदवारों को वास्तव में जरूरत है, क्योंकि वे कई लाभों से वंचित हैं। मुझे आशा है कि मैंने प्रश्न का उत्तर दे दिया है। और, अगर मैं प्रश्न को गलत समझ रही हूं, तो कृपया मुझे बताएं।’ ऐसा लग रहा है कि तब मेघना मेडिकल एंट्रेस एग्जाम की तैयारी कर रहीं थीं। फिलहाल Quora पर उनके बायो से लग रहा है कि दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रही हैं। जब डॉ सुधीर से किसी ने पूछा- General Quota?मेघना सारस्वत के Quora पर किए कमेंट का स्क्रीन शॉट डॉ सुधीर कुमार ने अपने ट्विटर हैंडल से शेयर करते हुए लिखा कि ‘जनरल के लिए कोटा?’ तभी एक ट्विटर यूजर ने डॉक्टर सुधीर से पूछ दिया कि ‘आप जनरल कैटेगरी से हैं या रिजर्व कैटेगरी से, वह यही पूछ रही है।’इसके बाद तो डॉ सुधीर ने उस शख्स को बताया कि वो किन मुश्किल हालात को सामना कर डॉक्टरी की पढ़ाई किए हैं। उन्होंने ट्वीट किया कि ‘सीएमसी वेल्लोर (Christian Medical College, Vellore) (1989) में 60 सीटों में से 56 सीटें आरक्षित थीं। जिसमें ईसाइयों (45), अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (4), वंचितों (2), भारत सरकार के नामांकित व्यक्ति (1) और ओपन मेरिट लड़कियों (4) के लिए। मैं ओपन मेरिट में चुने गए 4 लड़कों में से एक था।’एक और ट्वीट डॉ सुधीर ने किया, जिसें कहा कि ‘एमडी मेडिसिन के लिए 6 में से 4 सीटें ईसाइयों+ के लिए आरक्षित थी। मैं ओपन मेरिट में चयनित दो में से एक था। (दूसरा व्यक्ति उन्नीकृष्णनन एजी थे। वो उस वर्ष (1995) ऑल इंडिया टॉपर थे)। 1999 में डीएम न्यूरोलॉजी (Doctorate of Medicine Neurology) के लिए (केवल 1 सीट थी- ईसाई या गैर-ईसाई के लिए) मुझे वो सीट ऑफर की गई थी।’बिहार के रहनेवाले हैं हैदराबाद के नामी न्यूरोलॉजिस्टदरअसल, हैदराबाद अपोलो अस्पताल में डॉ सुधीर कुमार न्यूरोलॉजिस्ट है। वहां के नामचीन डॉक्टरों में शुमार किए जाते हैं। कई लोगों को ट्विटर पर भी डॉक्टरी सलाह देते रहते हैं। हैदराबाद में आयोजित हाफ मैराथन में शामिल हुए थे। एक ट्विटर यूजर ने बातचीत के दौरान कहा कि आप बड़े डॉक्टर हैं, इसलिए आपको मिलकर बधाई देने में हिचक गया। इसके बाद डॉक्टर सुधीर ने अपना पूरा फैमिली बैकग्राउंड ही उस यूजर को बता दिया। उन्होंने लिखा कि ‘मेरे दादा-दादी बिहार में छोटे किसान थे। मेरी मां बिहार के एक गांव के स्कूल से कक्षा 5 की पढ़ाई छोड़ चुकी हैं। केंद्रीय विद्यालय से मेरी स्कूली शिक्षा (पहली से 12वीं) एक हजार रुपए की कुल फीस के साथ पूरी हुई। मेरी एमबीबीएस सीएमसी वेल्लोर से (कुल 10 हजार रुपए की फीस) पूरी हुई। इसलिए, मैं उतना ही सामान्य हूं जितना कोई हो सकता है।’तभी एक ट्विटर यूजर को डॉ सुधीर के बारे में कुछ और जानने की इच्छा हुई। उसने पूछा कि ‘क्या आप जनरल कैटेगरी से हैं?’ इसी का जवाब देने के लिए डॉ सुधीर कुमार ने छह साल पहले Quora पर मेघना सारस्वत के सवाल- ‘सामान्य कोटा क्या है?’ के जवाब को स्क्रीन शॉट के रूप में इस्तेमाल किया। इसके बाद उन्होंने बताया कि उन्होंने क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लौर में किस तरह उनका एडमिशन हुआ था।