
नरेश तनेजा ने उत्तराखंड में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक से बातचीत की।
लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना है चुनौतीजोशीमठ की मौजूदा स्थिति के कारण को लेकर रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि लगभग 600 मकानों का सर्वेक्षण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पहली चुनौती यह है कि उन मकानों को तत्काल खाली करना पड़ेगा। उन परिवारों को आपात विस्थापित किया जाए। अस्थायी तरीके से उन परिवारों को सहारा मिले कि उनको वो घर खाली छोड़ना पड़े तो उन्हें चौराहे पर ना आना पड़े। दरारों के कारण पर उन्होंने कहा कि इस बारे में भूवैज्ञानिक ही बता सकेंगे। वे लोग देखेंगे कि वहां पर क्या परिस्थिति हुई है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में कई तरह की बाते आ रही हैं। निशंक ने कहा कि फिलहाल पहले मौजूदा समस्या से निपटना चुनौती है।
लोगों का गुस्सा स्वाभाविक हैलोगों के आक्रोश पर निशंक ने कहा कि लोगों की राहत के लिए सीएम और सरकार की तरफ से हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के प्रति लोगों के आक्रोश को लेकर उन्होंने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में ऐसी प्रतिक्रिया स्वाभाविक है। राज्य सरकार की तरफ से युद्ध स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। लोगों को कैसे सहारा दिया जा सकता है, इस संबंध में सरकार की तरफ से प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को राहत के लिए होटल और गेस्ट हाउस से बातचीत की जा रही है। होटल, धर्मशालाओं का अधिग्रहण किया जा रहा है। अभी पूरा जोर लोगों को सुरक्षित करने पर है। राज्य सरकार की तरफ से कोई कोरकसर नहीं छोड़ी जा रही है।
लोगों का स्थायी समाधान में समय लगेगालोगों को स्थायी समाधान को लेकर निशंक ने कहा कि इसमें अभी समय लगेगा। फिलहाल लोगों को उन जगहों पर ले जाया जा रहा है जहां खतरा नहीं है। पूर्व सीएम निशंक ने कहा कि लोगों को सुरक्षित मकानों में शिफ्ट किया जा रहा है। सरकारी परियोजनाओं को लेकर अध्ययन में चूक के सवाल पर निशंक ने कहा कि ये तो सर्वेक्षण है इस मामले में वैज्ञानिक ही तय करेंगे तो वह ही तय करेंगे कि चूक हुई है या नहीं। निशंक ने भी यह माना की यह क्षेत्र पूरी तरह से संवेदनशील है। ऐसे में किसी भी तरह के निर्माण को लेकर सरकार और लोगों को सामंजस्य बिठाना होगा।
जोशीमठ में क्यों बढ़ गया दबावजोशीमठ में लोगों की बसावट बढ़ने के सवाल पर पूर्व केंद्रीय मंत्री ने बताया कि मैं खुद जोशीमठ में प्रधानाचार्य रहा हूं। उन्होंने कहा कि जोशीमठ की पहले जो आबादी थी वह बढ़ी है। उन्होंने कहा कि लोग यहीं पर अपना रोजगार बढ़ा रहे हैं। लोग पहले बाहर जाते थे अब यात्रा काल के समय के कारण यहीं पर अपने व्यवसाय खोल दिए हैं। उन्होंने कहा कि पलायन रोकने की दिशा में लोग अब यहीं अपना व्यवसाय करने लग गए हैं। स्प्रिचुअल टूरिज्म के बढ़ावे से नुकसान पर पर निशंक ने कहा कि पहाड़ों में पलायन रोक जरूरी है। ऐसे में नियोजन इस तरह से करना पड़ेगा कि सीमावर्ती प्रदेश में पलायन देश के लिए ठीक नहीं है। सामरिक क्षेत्र में रहने वाले लोगों का छोड़ना नहीं जोड़ा कैसे जाए यही चुनौती है। हमें पर्यावरण को लेकर संवेदनशीलता को बरकरार रखना है। साथ ही पलायन भी रोकना है। इसमें संयोजन जरूरी है।