कर्नाटक में चुनावी हार के बाद BJP ने क्या सीखा? आगामी चुनाव में पार्टी अपना सकती है यह रणनीति

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा है। कर्नाटक में भाजपा ने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर्नाटक में जबरदस्त चुनावी सभा को संबोधित किया था। बावजूद इसके भाजपा को कर्नाटक में जीत नहीं मिली। अब यही कारण है कि कर्नाटक की हार को लेकर भाजपा मंथन कर रही है। लेकिन बड़ा सवाल यही है कि कर्नाटक में हार के बाद भाजपा ने क्या सबक लिया है? सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक आगामी 4 राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा रणनीतिक स्तर पर कई बड़े बदलाव कर सकती है। आने वाले समय में मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में विधानसभा के चुनाव होने हैं। मध्य प्रदेश. छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा का सीधा मुकाबला कांग्रेस रहता है। इसे भी पढ़ें: भाजपा ने ध्यान नहीं दिया तो कर्नाटक की तरह मध्य प्रदेश की सत्ता भी उसके हाथ से फिसल सकती हैजातीय समीकरण को करेंगी दुरुस्तसूत्रों से जो खबर आ रही है उसके मुताबिक भाजपा चुनावी राज्य में जातीय समीकरण को मजबूत करेगी और उसेके मुताबिक ही उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारेगी। कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटाना और उसके बाद जगदीश शेट्टार और लक्ष्मण सावदी को टिकट नहीं देने से लिंगायत समुदाय के वोट पार्टी से छिटक गए। यही कारण है कि भाजपा अब जातीय समीकरण को दुरुस्त करेगी। छोटे दलों से गठबंधनसूत्रों का दावा है कि भाजपा राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना में छोटे दलों के साथ गठबंधन कर सकती है। छोटे दलों से गठबंधन के बाद भाजपा को सीधे तौर पर सामाजिक स्तर पर राजनीतिक लाभ मिल सकता है। खत्म करना होगा गुटबाजीजिन राज्यों में भी चुनाव हैं, वहां पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती गुटबाजी रहने वाली है। चुनाव में जीतने के लिए भाजपा को पूरी तरीके से एकता दिखानी होगी। पार्टी ने फिलहाल आगामी चुनाव के मद्देनजर राज्यों को निर्देश दे दिया है कि पार्टी के भीतर मौजूद गुटबाजी को खत्म किया जाए। उदाहरण के तौर पर देखें तो मध्यप्रदेश में पार्टी का चेहरा शिवराज सिंह चौहान बने रहेंगे। लेकिन उन्हें कहा गया है कि आप ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर और बीडी शर्मा जैसे अन्य नेताओं को एकजुट करें ताकि आने वाले चुनाव में पार्टी को कोई नुकसान ना हो। इसे भी पढ़ें: ‘सेवा की राजनीति से मिलता है वोट’, नितिन गडकरी बोले- अगले चुनाव में वो पोस्टर-बैनर नहीं लगाएंगेस्थानीय मुद्दे और चेहरों को दी जाएगी वरीयताकर्नाटक में भाजपा ने स्थानीय मुद्दों से ज्यादा राष्ट्रीय मुद्दों को उठाया था। कर्नाटक में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई थे लेकिन ऐसा लग रहा था कि पूरा का पूरा चुनाव नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ा जा रहा है। यही कारण है कि अब भाजपा स्थानीय चेहरे को महत्व देने की कोशिश करती है। सूत्रों के मुताबिक राजस्थान में भाजपा अब वसुंधरा राजे को आगे कर सकती है। इसके अलावा किरोड़ीमल मीना, गजेंद्र शेखावत, सतीश पूनिया जैसे राज्य के अन्य नेताओं को भी आगे रखा जाएगा। छत्तीसगढ़ में रमन सिंह अब तक किनारे थे। लेकिन ऐसा लगता है कि अब उन्हें भी आगे किया जा सकता है।