कोई राज्य अपनी राजधानी बदल सकता है? क्या है इसको लेकर नियम

नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश की नई राजधानी अब विशाखापत्तनम होगी। आंध्र प्रदेश के CM वाई. एस. जगन मोहन रेड्डी ने मंगलवार इसका ऐलान किया। जगन रेड्डी ने कहा कि राज्य की राजधानी को विशाखापत्तनम स्थानांतरित किया जाएगा। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की तैयारी संबंधी बैठक को संबोधित करते हुए रेड्डी ने कहा कि मैं आपको विशाखापत्तनम में आमंत्रित कर रहा हूं, जो आने वाले दिनों में हमारी राजधानी बनने जा रही है। मैं खुद भी आने वाले महीनों में विशाखापत्तनम से कामकाज करूंगा। फिलहाल आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती है। आंध्र के सीएम की ओर से इस ऐलान के बाद यह सवाल पैदा होता है कि क्या कोई राज्य अपने राज्य की राजधानी को बदल सकते हैं। क्या इसमें केंद्र का भी कोई रोल है या यह पूरी तरह से राज्य के अधीन आने वाला मामला है। कानूनी विशेषज्ञ और राजनीतिक दलों की इस पर क्या राय है।राज्य की राजधानी को लेकर किसके पास अधिकारकानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि केवल संसद के पास राज्य की सीमाओं के साथ-साथ राजधानी शहर को सूचित करने का अधिकार है। विधानसभा केवल एक संकल्प के माध्यम से राजधानी शहर के मुद्दे पर केंद्र से अपील कर सकती है और अंतिम निर्णय लेना केंद्र का विशेषाधिकार है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 2 और अनुच्छेद 3 संसद को मौजूदा राज्यों की पहचान करने, उसे स्थापित करने या पूरी तरह से बदलने और नष्ट करने के लिए विशेष और पूर्ण शक्तियां प्रदान करते हैं। एक राज्य विधानसभा संविधान के अनुच्छेद 3 के खंड (E) के अनुसार, राज्य का नाम भी नहीं बदल सकता है। संविधान के अनुच्छेद 1 में परिभाषित किसी भी राज्य को बनाने, सीमाओं को निर्धारित करने और संघ में एक राज्य का नाम देने के लिए यह संसद के भीतर है।क्या कहना है एक्सपर्ट का कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि संसद द्वारा गठित एक नए राज्य की राजधानी स्थापित करने का मामला संविधान की अनुसूची-VII की सूची-द्वितीय में किसी भी प्रविष्टि के अंतर्गत नहीं आता है। केवल संसद ही, कानून द्वारा, एक नए पुनर्गठित राज्य की राजधानी स्थापित कर सकती है, जो संविधान के अनुच्छेद 3 (ए) (सी) (डी) के तहत एक कानून बनाकर पुनर्गठन और पुनर्गठन के बाद। यह विशेष रूप से इसलिए है क्योंकि किसी राज्य की राजधानी समाज के सभी वर्गों / तबकों / राज्य के निवासियों की जरूरतों को बिना किसी राजनीतिक भेदभाव के किसी विशेष क्षेत्र / ऐसे राज्य के हिस्से के विकास के लिए बढ़ावा देगी।अमरावती को लेकर क्या हुई थी घोषणासंसद ने विभाजन के बाद अमरावती को आंध्र प्रदेश की राजधानी बनाने के लिए कोई कानून पारित नहीं था। वास्तव में न तो केंद्र और न ही तत्कालीन वहां की सरकार ने राज्य की राजधानी अमरावती को अधिसूचित करने वाला राजपत्र जारी किया जिसके परिणामस्वरूप भ्रम की स्थिति रही। राज्य विधानसभा ने केवल एक प्रस्ताव पारित किया था जब एन चंद्रबाबू नायडू मुख्यमंत्री थे और अमरावती को राजधानी शहर घोषित किया। इसके बाद वो इसे संसद की मंजूरी दिलाने में विफल रहे थे। जगन मोहन रेड्डी सरकार ने पिछले साल नवंबर में, विवादास्पद आंध्र प्रदेश विकेंद्रीकरण और सभी क्षेत्रों का समावेशी विकास अधिनियम, 2020 को निरस्त कर दिया था। उनका मकसद राज्य के लिए तीन राजधानियां स्थापित करना है। राज्य सरकार ने विशाखापत्तनम (कार्यकारी राजधानी), अमरावती (विधायी राजधानी) और कुरनूल (न्यायिक राजधानी) को तीन राजधानियां बनाने का प्रस्ताव दिया है।