पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिले में धारा 144 के तहत लागू निषेधाज्ञा का उल्लंघन कर लोगों के एक समूह ने पिछले सप्ताह एक नाबालिग लड़की का शव मिलने के मामले में प्रदर्शन करते हुए मंगलवार को कालियागंज थाने में आग लगा दी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि भीड़ ने थाने की इमारत के पास खड़े दोपहिया वाहनों समेत कई वाहनों में भी आग लगा दी, जो जलकर राख हो गए। हमले में दो पुलिसकर्मी घायल हो गए।
एक अधिकारी ने बताया कि कथित तौर पर आदिवासी और राजबंग्शी समुदायों से संबंधित लोगों ने मामले में ‘‘पुलिस की कथित निष्क्रियता’’ के विरोध में मंगलवार दोपहर को थाने का घेराव किया। प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि लड़की से दुष्कर्म किया गया और उसकी हत्या की गई।
अधिकारियों के मुताबिक, लड़की के शव के पोस्टमॉर्टम की आरंभिक रिपोर्ट से दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई।
सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने इस घटना के लिए विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को जिम्मेदार ठहराया, वहीं भाजपा ने कानून-व्यवस्था के पूरी तरह ठप होने का आरोप लगाया।
रायगंज के पुलिस अधीक्षक मोहम्मद सना अख्तर को निलंबित करने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों ने अवरोधकों को तोड़ने के साथ वहां तैनात पुलिसकर्मियों पर पथराव किया। अधिकारियों ने कहा कि पुलिसकर्मियों ने लाठीचार्ज किया, लेकिन भीड़ को थाने में घुसने और आग लगाने से नहीं रोक सके।
भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है। हमने रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) के कर्मियों सहित बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया है।’’
उन्होंने बताया कि इस दौरान दो पुलिसकर्मी भी घायल हो गए।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की एक टीम के दौरे से पहले रविवार सुबह कालियागंज के कुछ हिस्सों में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई।
इस बीच टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने आगजनी के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया। घोष ने आरोप लगाया, ‘‘भाजपा आदिवासियों को गुमराह कर रही है और उन्हें पुलिस पर हमला करने के लिए उकसा रही है।’’
हालांकि भाजपा ने इस घटना के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को दोषी ठहराया। नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने कहा, ‘‘मैं पुलिसकर्मियों पर हमले का समर्थन नहीं करता। लेकिन मुझे पता चला है कि पुलिस ने शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे लोगों पर हमला किया था। यह कानून-व्यवस्था के पूरी तरह ठप हो जाने का नतीजा है।इसके लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जिम्मेदार हैं।’’
मंगलवार की आगजनी के मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। नहर से नाबालिग लड़की का शव 21 अप्रैल को बरामद होने के बाद भीड़ द्वारा पुलिसकर्मियों पर हमला करने और कालियागंज में कई दुकानों और वाहनों में आग लगाने की घटना के बाद छह लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने रविवार को लड़की के परिवार से मुलाकात की। उन्होंने मामले की जांच में राज्य पुलिस द्वारा गंभीर चूक का आरोप लगाया और कहा कि वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक रिपोर्ट सौंपेंगे।
लोगों के प्रदर्शन के बीच शव को हटाने के लिए उसे कथित तौर पर घसीटने के आरोप में सहायक उप निरीक्षक रैंक के चार पुलिस अधिकारियों को सोमवार को निलंबित कर दिया गया। इस घटना का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है।