रावलपिंडी: पाकिस्तान में आर्थिक संकट गहराता जा रहा है और इस संकट की चपेट में देश का सबसे महत्वपूर्ण संगठन भी आ गया है। हम बात कर रहे हैं पाकिस्तान की सेना की जिस पर भारत, अफगानिस्तान और ईरान से लगी सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। एक रिपोर्ट पर अगर यकीन करें तो सेना इस समय खाद्यान्न संकट से जूझ रही है। खाने-पीने के सामान की कमी के चलते मेस में होने वाली सप्लाई पर भी असर पड़ा है। आर्थिक संकट के दौरान यह पहला मौका है जब सेना के घिरे रहने की भी खबरें आ रही हैं। पाकिस्तान आर्मी का दर्द पाकिस्तान सेना के कुछ फील्ड कमांडर्स की तरफ से क्वार्टर मास्टर जनरल (QMG) ऑफिस को चिट्ठी लिखी गई है। इस चिट्ठी में ही सैनिकों की फूड सप्लाई में होने वाली कमी का जिक्र किया गया है। क्यूएमजी की तरफ से चीफ ऑफ लॉजिस्टिक स्टाफ (CLS) और डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) से इस स्थिति पर चर्चा की गई है। इस चिट्ठी में लिखा है कि मिलिट्री ऑफिसर्स क्यूएमजी, सीएलएस और डीजीएमओ ने सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के साथ मुलाकात में यह मसला उठाया है। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि सेना अब दो वक्त सैनिकों को खाना तक खिलाने में भी समर्थ नहीं है। सूत्रों की मानें तो दशकों में पहली बार महंगाई इस स्तर पर पहुंची है और स्पेशल फंड्स में भी कटौती करनी पड़ रही है। टीटीपी से कैसे होगी लड़ाई सूत्रों के मुताबिक पूर्व सेना प्रमुख जनरल (General) राहील शरीफ की तरफ से साल 2014 में ऑपरेशन जर्ब-ए-अज्ब के दौरान जो फूड फंड मंजूरी किया गया था, उसमें भी कटौती कर दी गई। राहील शरीफ ने पहले की तुलना में दोगुने फूड फंड की मंजूरी दी थी। डीजी मिलिट्री ऑपरेशंस की तरफ से कहा गया है कि सेना इस समय ऐसी स्थिति में नहीं है जहं पर लॉजिस्टिक्स और सप्लाई में और कटौती की जाए। अगर ऐसा होता है तो फिर तहरीक-ए-तालिबान (TTP) से लड़ने के लिए जिन सैनिकों को बॉर्डर इलाके में तैनात किया गया है, उन पर असर पड़ेगा। इन सैनिकों को ज्यादा खाने और स्पेशल फंड्स की जरूरत है। सैलरी में भी होगी कटौती पाकिस्तान इस समय दशकों के सबसे बड़े आर्थिक संकट में है। उस पर कर्ज को बोझ बढ़ता जा रहा है, कम विदेशी मुद्रा भंडार और आसमान छूती महंगाई की वजह से देश में खाद्यान्न संकट पैदा हो गया है। कंगाली से बचने के लिए देश की सरकार अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) की तरफ से सुझाए गए सभी उपायों को मानने के लिए मजबूर है। देश के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अब सैलरी में कटौती का फैसला भी किया है।