बागपत तहसील क्षेत्र के एक गांव की रहने वाली महिला की डेढ़ वर्ष पूर्व जिला अस्पताल में नसबन्दी हुई थी। नसबन्दी होने के बाद महिला चिंता मुक्त हो गयी। लेकिन कुछ माह बाद जब महिला को अपने गर्भवती होने का पता चला महिला ने इसकी शिकायत जिला अस्पताल में की।
महिला ने खटखटाया उपभोक्ता फोरम का दरवाजा
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने महिला को इधर-उधर की कहानी बताकर वहां से भगा दिया। इसके बाद महिला ने अपनी पक्ष उपभोक्ता फोरम में रखते हुए न्याय की गुहार लगायी। न्यायालय ने सुनवाई करते हुए महिला के आरोपों को सही माना और इसे स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही माना है।
कोर्ट के आदेश पर भी नहीं दिया जुर्माना
न्यायालय ने मामले में डिप्टी सीएमओ यशवीर सिंह और पूर्व सीएमओ सुषमा चंद्रा को आदेश दिये की पीड़ित महिला को छह लाख रूपये की धनराशि उपलब्ध करायी जाए। लेकिन दोनो अधिकारियों ने न्यायालय का आदेश नहीं माना। पीड़िता की शिकायत पर मामले में न्यायालय ने अब दोनो अधिकारियों के खिलाफ आरसी जारी कर दी गई।
आरसी तहसील पहुंचते ही मचा हडकंप, मांगा एक माह का समय
न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करने पर डिप्टी सीएमओ यशवीर सिंह और पूर्व सीएमओ सुषमा चंद्रा के खिलाफ आरसी तहसील में पहुंचे ही हडकंप मच गया। जिले के अधिकारियों ने मामले से संबंधित दोनों अधिकारियों को वारंट जारी किया है। दोनों अधिकारीयों ने धनराशि जमा करने के लिए एक माह का समय मांगा है। इस मामले में एडीएम बागपत प्रतिपाल सिंह ने बताया कि एक महिला नसबन्दी के बाद भी गर्भवती हो गयी। जिसमें न्यायालय से एक आरसी तहसील बागपत में प्राप्त हुई है।