ढाका: बांग्लादेश की सबसे शक्तिशाली संस्था के रूप में देखी जाने वाली देश की सेना के सामने बड़ी मुश्किल स्थिति आ गई है। ये मुश्किल सेना के अंदर से ही खड़ी हुई है। सेना के अंदर विभाजन गहरा गया है और तीन पावर सेंटर बन रहे हैं। इनमें से प्रत्येक केंद्र का नेतृत्व एक जनरल कर सकता है। घटनाक्रम से अवगत लोगों ने ये जानकारी दी है।
बांग्लादेश में शेख हसीना के जाने के बाद फैली राजनीतिक अस्थिरता के दौरान देश को अराजकता में जाने से बचाने के लिए सेना की तरफ उम्मीद से देखा जाता है।सेना के अंदर तीन पावर सेंटरतीन शक्ति केंद्रों के उदय के साथ बांग्लादेश की सेना को कठिन स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
जानकारी के अनुसार, हालांकि अभी तक पूरी तरह से संकट की स्थिति नहीं दिख रही है, लेकिन अवामी लीग समर्थक और इस्लामिक गुटों के प्रभाव वाले जनरलों के बीच होड़ के चलते सेना को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। अवामी लीग समर्थक हो रहे एकजुटईटी को जानकारी मिली है कि वर्तमान सेना प्रमुख वकार-उज-जमान एक मध्यमार्गी हैं और अभी उनका सेना पर नियंत्रण हैं, लेकिन सेना के अंदर दो अन्य पावर सेंटर उभरे हैं।
स्थितियों के जानकार लोगों के अनुसार, सत्ता के एक केंद्र का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद शाहीनुल हक कर रहे हैं। उन्हें बांग्लादेश सेना की नौंवी डिवीजन के अवामी लीग समर्थक मेजर जनरल मोहम्मद मोइन खान का समर्थन प्राप्त है, जिसे सबसे शक्तिशाली डिवीजन माना जाता है।
लेफ्टिनेंट जनरल हक विजय दिवस परेड 2022 के परेड कमांडर थे और इससे पहले सेना मुख्यालय में चीफ ऑफ जनरल स्टाफ थे। उन्हें जुलाई 1989 में इन्फैंट्री कोर में कमीशन दिया गया था। उन्हें अपने कमीशन में सर्वश्रेष्ठ ऑल-राउड प्रदर्शन के लिए स्वॉर्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया था। उन्होंने सेना के मुख्यालय, जनरल स्टाफ ब्रांच में हथियार, उपकरण और सांख्यिकी निदेशालय के निदेशक के रूप में भी काम किया है।
फैजुर रहमान को इस्लामिक कट्टरपंथियों का साथसेना के दूसरे गुट की अगुवाई लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैजुर रहमान कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, हिजबुत तहरीर से जुड़े मोहम्मद यूनुस के सलाहकार महफूज आलम समेत छात्र नेताओं के संपर्क में हैं। वे पहले बांग्लादेश सेना की सैन्य खुफिया एजेंसी डीजीएफआई के प्रमुख के रूप में काम कर चुके हैं।सेना के अंदर बगावत का खतराऐसी अफवाहें हैं कि लेफ्टिनेंट जनरल फैजुर रहमान बांग्लादेश के राष्ट्रपति को हटाने की साजिश का हिस्सा थे, जब जनरल वकार-उज-जमान विदेश दौरे पर थे।
सूत्रों ने आरोप लगाया कि अगर आने वाले महीनों में मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस पद छोड़ देते हैं और ढाका से चले जाते हैं तो फैजुल रहमान सेना प्रमुख को हटाने की साजिश का हिस्सा भी हो सकते हैं। बांग्लादेश की सेना में तख्तापलट कोई नई बात नहीं है। 1970 के दशक के मध्य से लेकर 1980 के दशक की शुरुआत तक सेना में 20 से ज्यादा तख्तापलट और जवाबी तख्तापलट का इतिहास रहा है।