-4 डिग्री में कांप रहा उत्‍तराखंड, वहीं -40 डिग्री में भी बेपरवाह घूम रहा है ‘हिमालय का भूत’

देहरादून: इस समय उत्तराखंड () में जमकर बर्फबारी हो रही है। उत्तरकाशी में गंगोत्री और हर्षिल में इस कारण तापमान में काफी गिरावट आ गई है। यमुनोत्री, चकराता, मुनस्यारी में भी बर्फ पड़ने के कारण न्यूनतम तापमान माइनस चार डिग्री सेल्सियस हो गया है। लेकिन इस कड़ाके की सर्दी में भी उत्तराखंड के ऊचे पहाडों पर 121 ” () बिना किसी परवाह के आराम से घूम रहे हैं।

ये हैं हिमालय के भूत दबे पांव आते हैं। भारी फरों वाले इनके पंजे आवाज भी नहीं करते। प्रकृति ने इनका रंग रूप ऐसा दिया है कि बर्फ और चट्टानों के बीच ये घुलमिल जाते हैं। अदृश्‍य हो जाते हैं। इनके दर्शन इतने दुर्लभ हैं कि वन्‍य जीव फोटोग्राफर महीनों इनकी एक झलक का इंतजार करते रहते हैं। ये अनोखे जीव हैं या स्‍नो लेपर्ड।

हिमालय के योगी सरीखे ये खुद भी स्‍वभाव से इतने शर्मीले होते हैं कि इंसानों की बस्‍ती से दूर दूर भागते हैं। झुंड बनाकर नहीं रहते अकेले जीते हैं हिमालय के किसी योगी की तरह। इनकी आंखों में हिमालय की अनंत घाटियों की गहराई और बर्फ सा ठंडापन है।

माइनस 40 डिग्री में भी ठंड का असर नहीं इनका मोटा फर इनके शरीर पर कई जगह तो पांच इंच तक मोटा होता है। इसी की बदौलत ये माइनस 40 डिग्री सेल्सियस की ठंड भी झेल जाते हैं। ये समुद्र तल से 5,859 मीटर की ऊंचाई पर पाए जाते हैं। इतनी ऊंचाई पर पाए जाने वाले ये शेर प्रजाति की बिरादरी में इकलौते हैं।

खूबसूरत आंखें, लंबी पूंछइनके शरीर में इनकी आंखों के अलावा सबसे सम्‍मोहक अंग है इनकी लंबी, मोटी, इठलाती हुई पूंछ। यह कड़ाके की सर्दी में इन्‍हें गर्मी देती है, पर्वत की ऊंची चोटियों पर एक चट्टान से दूसरी चट्टान पर उछलने में इनका बैलेंस बनाती है।

करीब 7 फुट की लंबाई बिजली की फुर्ती वाले इन तेंदुओं का वजन 40 से 55 किलो के आसपास होता है लेकिन यह अपने से तीन गुना तक भारी शिकार को पलक झपकते ही पहाड़ी चट्टानों और खोह में घसीटते हुए ले जाते हैं। इनकी लंबाई पूंछ से सिर तक करीब 7 फुट होती है।

असल में ये हैं बाघ के रिश्‍तेदार इनके शिकार में शामिल हैं पहाड़ी खरगोश से लेकर भेड़ और जंगली बकरियां तक। करीब 32 लाख साल पहले ये बाघ से विकसित हुए थे। कहा इन्‍हें तेंदुए जाता है लेकिन ये बाघ के ज्‍यादा नजदीक हैं।

इंसानी लालच सबसे बड़ा दुश्‍मन लेकिन हिमालय के इन भूतों का सबसे बड़ा दुश्‍मन है इंसानी लालच। इनकी खूबसूरत खाल और शरीर के अंगों के लिए अवैध व्‍यापार किया जाता है। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन इनकी आबादी के लिए एक बड़ा खतरा है।

दुनिया के सिर्फ 12 देशों में पाए जाते हैं हिम तेंदुएदुनिया के केवल 12 देशों में ही स्नो लेपर्ड पाए जाते हैं, और भारत उनमें से एक है। इन देशों में हिम तेंदुओं की आबादी 3000 से 7000 के बीच आंकलित है। वर्ष 2016 की गणना में भारत में 516 हिम तेंदुए पाए गए थे। हालांकि खुशी की बात यह है कि पर्वतीय राज्य उत्तराखंड में ताजा गणना के मुताबिक हिम तेंदुओं (स्नो लेपर्ड) की संख्या 121 हो गई है। वन्य जीव संरक्षक समीर सिन्‍हा ने बताया कि छह साल पहले 2016 में हुई गणना में राज्य में महज 86 हिम तेंदुए पाए गए थे। देश का पहला हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र उत्तरकाशी में बन रहा है।