अभी तक दो ट्रॉफी का इस्तेमाल
फुटबॉल वर्ल्ड कप की शुरुआत 1930 में हुई थी। उस समय विजेता टीम को जो ट्रॉफी दी जाती थी, उसका नाम जूल्स रिमेट ट्रॉफी था। 1970 तक चैंपियन बनने वाली टीमों को यह ट्रॉफी दी जाती थी। इसके बाद ट्रॉफी दोबारा डिजाइन की गई। अभी यही ट्रॉफी दी जाती है। नई ट्रॉफी पहली बार 1974 वर्ल्ड कप की विजेता टीम को दी गई थी। अभी तक 12 टीमों ने नई ट्रॉफी पर कब्जा जमाया है। नई ट्रॉफी को जर्मनी ने सबसे ज्यादा तीन बार जीता है। पुरानी ट्रॉफी को ब्राजील ने सबसे ज्यादा तीन बार जीता था।
नई ट्रॉफी में क्या है खास
वर्तमान में दी जाने वाले ट्रॉफी को फीफा वर्ल्ड कप ट्रॉफी नाम दिया गया। इटली के सिल्वियो गाजानिया ने इस ट्रॉफी का डिजाइन तैयार किया था। सात देशों के मूर्तिकारों ने ट्रॉफी के नए डिजाइन के लिए 53 प्रस्तुतियां भेजीं थी। लेकिन अंत में सिल्वियो को चुना गया था।
फीफा वर्ल्ड कप ट्रॉफी का वजन 6.175 किलो ग्राम है। इसे बनाने में 18 कैरेट गोल्ड का इस्तेमाल किया गया है। इसकी लंबाई 36.5 सेंटीमीटर है। ट्रॉफी के बेस का डाईमीटर 13 सेमी है। यह मैलाकाइट की दो परतों से बनाया गया है। इसमें पृथ्वी को पकड़े हुए दो मानव आकृतियों को दर्शाया गया है। यह ट्रॉफी अंदर से खोखली होती है। 1994 में इसमें थोड़ा बदलाव किया गया था। विजेता टीमों का नाम लिखने के लिए ट्रॉफी के निचले हिस्से में एक प्लेट लगाई गई थी। 2018 में इस ट्रॉफी की कीमत 1 करोड़ 33 लाख रुपये आंकी गई थी।
विजेता टीम को नहीं मिलती असली ट्रॉफी
फीफा वर्ल्ड कप की असली ट्रॉफी उसके ज्यूरिख स्थित हेडक्वार्टर में ही रहती है। इसे कुछ ही मौकों पर निकाला जाता है। फीफा वर्ल्ड कप टूर के अलावा वर्ल्ड कप के मुकाबले और मेजबानी के लिए निकलने वाले ड्रॉ के दौरान ही अलसी ट्रॉफी दुनिया के सामने आती है। विजेता बनने वाली टीम को ट्रॉफी की जगह उसकी रेप्लिका दी जाती है। वह कांस्य की होती है और उसपर सोने की परत लगी होती है।
2005 में बनाया गया नियम
2005 में फीफा ने नियम बनाया कि विजेता टीम को ओरिजनल ट्रॉफी नहीं दी जाएगी। पहले नियम था कि विजेता टीम ट्रॉफी अपने साथ लेकर जाती थी। फेडरेशन के ट्रॉफी कैबिनेट में उसे दर्शाने के बाद फीफा को वापस लौटाती थी। लेकिन अब प्राइज सेरेमनी के बाद ही फीफा के अधिकारी विजेता टीम से ट्रॉफी ले लेते हैं।