यूपी कॉग्रेस के नए बॉस अजय राय, लोकसभा चुनाव से पहले गांधी परिवार का दांव, सियासी लाभ समझिए

वाराणसी: देश की राजनीति में 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश का अहम स्थान है। इस सूबे पर राजनीतिक दलों की नजर रहती है। कांग्रेस और विपक्षी दलों का गठबंधन भी 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी की चुनौती साधने के लिए यूपी पर फोकस किए हुए है। इसी क्रम में गुरुवार को कांग्रेस ने यूपी में बड़ा बदलाव किया है। अजय राय (Ajay Rai) को यूपी कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया है। वाराणसी और आसपास के जिलों की राजनीति में जाने-पहचाने नाम अजय राय को पीएम नरेंद्र मोदी को सीधी चुनौती देने के लिए जाना जाता है। वहीं माफिया मुख्तार अंसारी से 3 दशक से चल रही अदावत की वजह से बाहुबल में भी नाम है। अजय राय को बड़ी जिम्मेदारी सौंपने के पीछे कांग्रेस का क्या इरादा है, आइए समझते हैं। कांग्रेस ने दलित चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी लेकिन वह इस पर खरा नहीं उतर सके। इसके बाद अजय राय को जिम्मेदारी सौंपी गई है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने पत्र जारी कर उनके नाम की घोषणा की। अजय राय के कंधों पर डूबती कांग्रेस को उबारने की जिम्मेदारी है। वाराणसी संसदीय सीट से अजय राय ने पीएम मोदी के खिलाफ भी चुनाव लड़ा था। हालांकि, वह चुनाव हार गए थे। लेकिन, उन्होंने अपनी संघर्ष क्षमता का लोहा मनवाया था। अब कांग्रेस ने ऐसे समय में अजय को कमान सौंपी है, जब कांग्रेस की यूपी में हालत पतली है। यूपी में कांग्रेस के पास 80 लोकसभा सीटों में केवल रायबरेली ही एक मात्र सीट है, जहां से कांग्रेस की सांसद सोनिया गांधी हैं। दूसरी ओर देखें तो यूपी की 403 विधानसभा सीटों में से केवल दो सीटें कांग्रेस के पास हैं। ऐसे में अजय राय को न सिर्फ संगठन मजबूत करना होगा बल्कि उन्हें लोकसभा में कांग्रेस की सीट भी बढ़ानी होगी।1996 में वाराणसी के कोलअसला विधानसभा से अजय राय विधायक बने। इसके बाद अजय राय से यह सीट कोई छीन नहीं पाया। 1996 से 2009 तक लगातार अजय राय यहां से विधायक रहे। 2009 में भाजपा नेताओं से मतभेद होने के चलते अजय राय ने पार्टी छोड़ दी थी। फिर वह सपा से होते हुए कांग्रेस में गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में अजय राय तीसरे स्थान पर आए थे। इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में फिर से अजय राय पिंडरा की विधानसभा सीट से खड़े हुए।अजय को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का करीबी माना जाता है। राज्य इकाई के फेरबदल में, उन्हें प्रयागराज क्षेत्र के लिए पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया। इसमें पूर्वी यूपी के करीब 12 जिलों की जिम्‍मेदारी उन्‍हीं पर है। अजय की पहचान जुझारू और जमीनी नेता के तौर पर रही है। वह दो बार पीएम मोदी को भी राजनीतिक मैदान में चुनौती दे चुके हैं। यही वजह है कि अजय लल्लू और बृजलाल खाबरी के बाद उन्हें प्रभार दिया गया है। अजय राय भूमिहार जाति से आते हैं। कांग्रेस नेतृत्व ने उन्हें जिम्मेदारी देकर यह स्पष्ट करने की कोशिश की है कि ब्राह्मण सहित अन्य सवर्ण जातियों को भी साधने का प्रयास है। पूर्वांचल में अस्तितव के लिए संघर्ष कर रही कांग्रेस पार्टी को आगे ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिक निभा सकते हैं। राष्ट्रीय नेतृत्व कांग्रेस ने यूपी में ब्राह्मणों के साथ-साथ अन्य उच्च जातियों को अपने साथ जोड़ने का संकेत दिया है। वह मुरली मनोहर जोशी से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक को चुनौती दी और बड़ी संख्या में वोट हासिल किए।