अडानी की छलांग
एक तरफ कर्ज दूसरी ओर नए-नए सेक्टर्स में अडानी की नजर। गौतम अडानी मानो पूरे बिजनस यूनिवर्स पर छा जाना चाहते हैं। अब तो उनको एयरपोर्ट्स मैनेजमेंट का भी ठेका मिल गया है। जब 2019 में ऐसा पहली बार हुआ तब इस कंपनी को एयरपोर्ट संभालने का कोई भी अनुभव नहीं था। यही नहीं दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन हाइड्रोजन ईकोसिस्टम भी तैयार करने का टारगेट अडानी ने बना लिया है। तो इन साब कामों के लिए पैसे लगेंगे ही। ये आएगा कहां से। राउंड ट्रिपिंग की भी हद होती है। राउंड ट्रिपिंग मतलब अपनी ही कंपनियों का पैसा एक से निकाल दूसरे में लगाना। खैर, विस्तार के लिए जो पैसा चाहिए उसे लेने का तरीका है बैंकों से पैसा लेना या प्रमोटर्स का मुंह देखना। लिहाजा अडानी ने दोनों काम भरपूर किया है। मतलब दोनों स्रोतों से पैसे लेने का काम।फिर आया एफपीओ जिस पर हिंडनबर्ग का ग्रहण लग गया है। गौतम अडानी को उम्मीद थी कि दुनिया के सबसे बड़े एफपीओ से 20,000 करोड़ रुपए का जुगाड़ हो जाएगा। लेकिन जो कीमत रखी गई उससे मुकाबले अडानी एंटरप्राइजेज का शेयर काफी नीचे चला गया। लिहाजा गौतम अडानी ने एफपीओ ही वापस ले लिया। आज यानी दो फरवरी को जब ये फैसला हुआ तब एफपीओ और मार्केट प्राइस के बीच लगभग 40 परसेंट का गैप है।
खतरे की घंटी
उधर अडानी को अगले दो साल में हाथ में लिया काम निपटाने के लिए 400 अरब यानी लगभग पांच अरब डॉलर की जरूरत है। एफपीओ वापस लेने के बाद अडानी ने दावा किया है कि ग्रुप के जरूर कैश उनके पास है लेकिन शेयर बाजार उनके दावे पर भरोसा नहीं कर रहा। दूसरी ओर ये भी सच है कि अडानी ग्रुप ने आज तक कोई भी ईएमआई बाउंस नहीं किया है। यानी पैसे से पैसे बनाने का सिलसिला जारी है। पर भारी कर्ज साइकल को तोड़ भी तो सकता है। उदाहरण के लिए अडानी की कंपनी अडानी ग्रीन को लेते हैं। 2015 में कंपनी बनती है और 2022 में इसे पांच अरब रुपए का फायदा भी हो जाता है। लेकिन 2019 से 2022 के बीच इसका कर्ज 108 अरब से बढ़ कर 513 अरब रुपए हो जाता है। मतलब ऑपरेटिंग इनकम से 15 गुना ज्यादा कर्ज। यही मुकेश अंबानी और गौतम अडानी में फर्क है।
एलआईसी का पैसा
अडानी के कुल कर्ज में 40 प्रतिशत अपने देश के बैंकों से है। इसमें भी 30 परसेंट सरकारी बैंकों ने दिया हुआ है। और दस परसेंट निजी बैंकों ने। इसीलिए हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अडानी के अलावा बैंकों के शेयर भी गोता लगा रहे हैं। यही नहीं हमारे देश के मोस्ट ट्रस्टेड ब्रांड में से एक लाइफ इंश्योरेंस ऑफ इंडिया यानी एलआईसी ने भी अडानी में पैसा लगाया हुआ है। लगभग 30 हजार करोड़ रुपए। कंपनी का कहना है कि वो अभी फायदे में है लेकिन इसने लाखों लोगों को चिंता में जरूर डाल दिया है।