यूक्रेन युद्ध रोक सकता है भारत, चीन पर मानी गलती, पाकिस्तान से रिश्ते अलग…अमेरिका ने क्या-क्या कहा

वॉशिंगटन: रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध गहराता जा रहा है और इसमें अब चीन के कूदने का खतरा मंडराने लगा है। दिल्‍ली में जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक हो रही है जिसमें रूस और यूक्रेन का मुद्दा प्रमुखता से उठने जा रहा है। अमेरिका ने चीन को यूक्रेन युद्ध से दूर रहने की चेतावनी दी है। यह वही चीन है जो लद्दाख से लेकर ताइवान तक आंखें दिखा रहा है। चीन की इस बढ़ती दादागिरी से निपटने के लिए अमेरिका ने ब्रिटेन और ऑस्‍ट्रेलिया के साथ मिलकर ऑकस डील की है। इसके तहत ऑस्‍ट्रेलिया को परमाणु ऊर्जा से चलने वाली अत्‍याधुनिक पनडुब्‍बी दिया जाना है। यह पनडुब्‍बी घातक मिसाइलों से लैस होगी और चीन के किसी हमले का मुंहतोड़ जवाब दे सकेगी। अमेरिका जहां ऑस्‍ट्रेलिया को घातक हथियारों से लैस कर रहा है, वहीं भारत को अत्‍याधुनिक परमाणु तकनीक देने से परहेज कर रहा है। अब अमेरिकी विदेश मंत्रालय के हिंदी और ऊर्दू के प्रवक्‍ता जेड तरार ने एक एनबीटी ऑनलाइन के शैलेश शुक्‍ला और नीरज बधवार से एक्‍सक्‍लूसिव बातचीत में इस सवाल का जवाब दिया है…चीन से भारत को बढ़ते खतरे और ऑकस जैसी सैन्‍य डील नहीं करने पर जेड तरार ने एनबीटी ऑनलाइन कहा, ‘आप यह बिल्‍कुल शिकायत कर सकते हैं कि जिस स्‍तर पर भारत और अमेरिका के बीच सहयोग होना चाहिए, वह नहीं हो रहा है। हालांकि भारत और अमेरिका के बीच रक्षा संबंध दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है और यह अत्‍याधुनिक तकनीक की ओर बढ़ रहा है। बाइडन चाहते हैं कि भारत अपनी रक्षा जरूरतों को रूस से पूरा न करके अमेरिका से करे।’ तरार ने कहा, ‘अमेरिका धीरे-धीरे अपनी रणनीति को बदल रहा है और हम इस तकनीकी मदद को बढ़ाने पर काम कर रहे हैं। हम भारत के साथ तकनीक शेयर करना चाहते हैं, बस य‍ह विचार कर रहे हैं कि क्‍या देना है और क्‍या नहीं देना है।’ ‘यूक्रेन युद्ध को रोकने में भारत करे मदद’उन्‍होंने कहा, ‘बाइडन का यह मानना है कि हर देश यह नहीं चुने कि अमेरिका या चीन। कई ऐसे मुद्दे हैं जो चीन के बिना संभव ही नहीं है। चीन की कई नीति ठीक नहीं है जो अमेरिका से लेकर यूरोपीय देश भी ठीक नहीं मानते हैं। हम चाहते हैं कि भारत और अमेरिका एक लोकतांत्रिक देश हैं और दोनों के बीच 70 से 80 साल से दोस्‍ती चल रही है। हम समझते हैं कि हम मिलकर लोकतांत्रिक नीतियों को आगे बढ़ा सकते हैं।’ राष्‍ट्रपति बाइडन की भारत और चीन के बीच लद्दाख को लेकर चल रहे विवाद पर नीति है कि हमें अंतरराष्‍ट्रीय कानून के मुताबिक काम करना है। इससे हर देश का फायदा है और ताकतवर देश अपनी मर्जी के हिसाब से काम नहीं कर पाएंगे। तरार ने रूस- यूक्रेन युद्ध और भारत की भूमिका पर कहा, ‘अमेरिका चाहता है कि यूक्रेन युद्ध जल्‍द से जल्‍द खत्‍म हो। पुतिन आज अगर फैसला लें तो यह युद्ध खत्‍म हो सकता है। बाइडन का मानना है कि जब तक पुतिन अपने कदम पीछे नहीं करते हैं तब तक हम सभी देशों को यूक्रेन को मदद देते रहना चाहिए।’ उन्‍होंने कहा, ‘भारत समेत अंतरराष्‍ट्रीय जगत और सहयोगी देश पुतिन को यह बताएं कि मिसाइलों की बारिश ठीक नहीं है। हम चाहते हैं कि सब एक आवाज में पुतिन से कहें कि यह युद्ध रोकें। सच यह है कि अगर यूक्रेन नहीं लड़ता है तो वह खुद खत्‍म हो जाएगा और अगर पुतिन नहीं लड़ता है तो यह युद्ध खत्‍म होगा।’ भारत के रूस से तेल लेने पर जेड तरार ने कहा कि हम अपने सहयोगी देशों को सजा नहीं देने जा रहे हैं लेकिन हमारा मकसद पुतिन को सजा देना है। पाकिस्‍तान के साथ रिश्‍तों पर क्‍या बोला अमेरिका ?अमेरिकी प्रवक्‍ता ने कहा, ‘हम पुतिन के संसाधनों को बर्बाद करने में लगे हुए हैं ताकि रूस को पैसा मिलना बंद हो जाए। इसी वजह से बाइडन ने यह नहीं कहा है कि हम रूस से तेल पर कोई प्रतिबंध नहीं लगा रहे हैं। हमारा मानना है कि रूस से हम जितना तेल की सप्‍लाइ कम कर सकते हैं, वह बेहतर है। इसी वजह से हम रूसी तेल पर प्राइस कैप लगा रहे हैं।’ भारत की आर्थिक क्षमता पर अमेरिकी प्रवक्‍ता ने कहा कि वाइट हाउस ने हाल ही में जो बयान दिया है, उसमें भारत की भूमिका साफ तौर पर है। कोविड वैक्‍सीन इसमें एक मिसाल की तरह से है। भविष्‍य में बाइडन सरकार से उम्‍मीद है कि हम भारत के साथ मिलकर सभी बड़े मुद्दों का हल निकालेंगे।आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले पाकिस्‍तान को अमेरिकी हथियार और पैसा देने पर जेड तरार ने कहा, ‘हर देश अपने हित के आधार पर दूसरे देश के साथ रिश्‍ते बनाता है। हम पाकिस्‍तान और भारत को लेकर इसलिए रणनीति नहीं बनाते हैं कि दोनों के बीच बराबरी करनी है। पाकिस्‍तान के साथ एफ-16 फाइटर जेट की डील काफी पुरानी है और हमें संविदा के नियमों के तहत उनकी मदद करनी पड़ रही है। एफ-16 को लेकर दी गई मदद बहुत मामूली बात है। सच यह है कि राष्‍ट्रपति बाइडन भारत के बारे में जी-20 बैठक में क्‍या कहा था और पीएम मोदी से किस तरह से मुलाकात की थी।