Ujjain: 13 साल पुलिसिंग, उज्जैन ने किया प्रभावित; खाकी की चुनौतियों पर पुलिस अधिकारी ने कर डाली PHD

उज्जैन: पुलिस विभाग मे 13 वर्षों से नौकरी कर रहे एक अधिकारी को त्योहारों के विविध रूप और प्रारूप काफी आकर्षित करते थे, लेकिन विभिन्न जिलों में ट्रांसफर के बावजूद उन्हें धार्मिक नगरी उज्जैन इतना पसंद आया कि उन्होंने विक्रम विश्वविद्यालय से त्योहारों पर कानून व्यवस्था का प्रबंधन और पुलिस की चुनौतियों विषय पर ही पीएचडी कर दी. जिसमें उन्होंने इस बात का उल्लेख भी किया है कि महाकाल की नगरी में एक भी दिन ऐसा नहीं जाता जब यहां कोई उत्सव नहीं मनाया जाता है. इस नगरी में त्योहारों और व्यवहारों का जो बाहुल्य है वह भारत मे कहीं नहीं है इसीलिए उज्जैन को लघु भारत कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगा.
विक्रम विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान और लोक प्रशासन अध्ययनशाला के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ वीरेंद्र चावरे ने बताया कि इंदौर उज्जैन जोन मे सहायक पुलिस महानिरीक्षक के पद पर पदस्थ नितेश भार्गव द्वारा विक्रम विश्व विद्यालय के राजनीति विज्ञान और लोक प्रशासन अध्ययनशाला की आचार्य और अध्यक्ष डॉ. दीपिका गुप्ता के निर्देशन और व्यावहारिक मार्गदर्शन मे त्योहारो पर कानून व्यवस्था का प्रबंधन और पुलिस की चुनौतियाँ विषय पर पीएचडी की थी जिसमे 22 मार्च 2023 को गुड़ी पड़वा पर उन्हें यह उपाधि दीक्षांत समारोह के दौरान प्रदान कर दी गई है.
उज्जैन के उत्सव ने पुलिस अधिकारी को किया प्रभावित
त्योहारों पर कानून व्यवस्था का प्रबंधन और पुलिस की चुनौतियां विषय पर पीएचडी करने वाले सहायक पुलिस महानिरीक्षक नितेश भार्गव बताते हैं कि उन्होंने 13 वर्षों में इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, उमरिया, बालाघाट, मंडला, टीकमगढ़ जैसे विविध और भिन्न लोक व्यवहार के जिलों में रहते हुए त्योहारों के विविध रूप और प्रारूप देखे. लेकिन इन सभी जिलो मेंं भी त्योहारों के जो विविध और प्रारूप उज्जैन में देखने में आए वे काफी दुर्लभ हैं.
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बताया कि महाकाल की नगरी मे प्रतिदिन कोई ना कोई उत्सव जरूर मनाया जाता है, बस यही बात इस विषय मे पीएचडी करने का प्रमुख कारण बनी इसीलिए विषय का चयन भी त्योहारों पर कानून व्यवस्था के प्रबंधन पर आधारित रहा.
साहित्य में भी रही भार्गव की विशेष रूचि
13 वर्ष की पुलिस सेवा में उप पुलिस अधीक्षक, सहायक सेनानी, अनुविभागीय पुलिस अधिकारी, नगर पुलिस अधीक्षक, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, सहायक पुलिस महानिरीक्षक जैसे विभिन्न पदों पर रहते हुए अपराधों के अन्वेषण, कानून व्यवस्था के प्रबंधन, महिला सुरक्षा, प्रशिक्षण, नक्सल अभियान, सी.आई.डी., एस.आई.टी., एस.टी.एफ. जैसी विशेष इकाइयों में पदस्थ रहकर विभिन्न प्रकार के कार्यों का संपादन करने के साथ ही नितेश भार्गव की साहित्य के क्षेत्र में भी विशेष रुचि रही. उन्होंने अपना स्नातकोत्तर हिन्दी साहित्य व लोक प्रशासन मे करने के साथ ही यू.जी.सी. नेट भी हिन्दी साहित्य व लोक प्रशासन मैं पूरा किया है.

‘काननू व्यवस्था के प्रबंधन पर निर्भर होता है विकास’
जैसी कानून व्यवस्था की स्थिति होगी वैसी ही सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था एवं प्रणालियां होंगी. बिना प्रबंधित कानून व्यवस्था के सामाजिक राजनीतिक प्रणालियों, संगठन यहां तक कि मानव सभ्यता और संस्कृति का सुचारू विकास भी संभव नहीं. इकोनॉमिक समिट और अर्थ केंद्रित विश्व व्यवस्था में विकास और निवेश परस्पर निर्भर हैं. निवेश वहीं होगा जहाँ कानून व्यवस्था प्रबंधित होगी. इसका सीधा सीधा आशय यह है कि विकास पूर्णत: काननू व्यवस्था के सुप्रबंधन पर निर्भर है. अत: कानून व्यवस्था का प्रबंधन एक प्रसांगिक और आवश्यक अध्ययन क्षेत्र है. इससे संबंधित एजेंसियां विकास की भूमिका और पीठिका तैयार करती हैं.
लोकतांत्रिक ढंग से पुलिसिंग करना आज की सबसे बड़ी चुनौती
सहायक पुलिस महानिरीक्षक नितेश भार्गव ने अपनी पीएचडी मे लिखा है कि पुलिस के लिए लोकतांत्रिक ढंग से पुलिसिंग करना ही आज की सबसे बड़ी चुनौती है. इसके अतिरिक्त तमाम मीडिया, सोशल मीडिया और मोबाइल टेलीफोनी के युग में पुलिसिंग, अधिकारों के लिए आंदोलित युग में पुलिसिंग, उपनिवेशवादी दौर से कल्याणकारी राज्य में संक्रमण काल में पुलिसिंग, कानून का सूक्ष्मता से पालन करवाते हुए लोक संतुष्टि के मापदंड को बनाए रखते हुए पुलिसिंग करना अत्यंत चुनौतीपूर्ण और संवेदनशील है.
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