उत्तराखंड में यूसीसी का मसौदा तैयार, क्या है ये कानून और इसके फायदे, जानिए सबकुछ

रश्मि खत्री, देहरादून: यूनिफॉर्म सिविल कोड (Benefits of Uniform Civil Code) विशेषज्ञ समिति रात को अंतिम रूप देकर जल्द ही सरकार को सौंपने का ऐलान किया है। ड्राफ्ट समिति की सदस्य जस्टिस (रिटायर्ड) संजना प्रसाद देसाई ने आज दिल्ली में इस संबंध में घोषणा की। यूनिफॉर्म सिविल कोड देशवासियों के लिए कई महीनों में अहम साबित हो सकता है। विशेषज्ञ समिति के सदस्य लंबे समय से इस ड्राफ्ट पर काम कर रहे थे और पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में ड्राफ्ट रिपोर्ट को अंतिम रूप देने में जुटे हुए थे। समिति के अनुसार जल्द ही यह ड्राफ्ट सरकार को सौंप दिया जाएगा। आइए जानते हैं और इसके क्या फायदे हो सकते हैं? उत्तराखंड में सिविल कोड लागू करने के लिए कर समिति की कुछ अहम सिफारिशें हैं। माना जा रहा है कि यूसीसी में महिलाओं को समान अधिकार दिए जाने पर फैसला हो सकता है। इसके तहत हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई समेत किसी भी धर्म से ताल्लुक रखने वाली महिला को परिवार और माता पिता की संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा। क्या बदल जाएगा बेटियों की शादी की उम्र?इसके अलावा बेटियों की शादी की उम्र भी 21 साल करने का फैसला यूसीसी में हो सकता है। मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत कोई भी मुसलमान को कुछ शब्दों के साथ शादी कर सकता है लेकिन उत्तराखंड यूसीसी के तहत किसी भी पुरुष और महिला को बहु विवाह करने की अनुमति नहीं होगी।बुजुर्गों को भी मिलेगी सहूलियत यूसीसी के तहत लिव इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन के प्रावधान पर भी विचार किया गया है। इसके साथी एक प्रस्ताव यह भी है कि परिवार की बहू और दामाद को भी अपने ऊपर निर्भर बुजुर्गों की देखभाल का जिम्मेदार माना जाएगा। राज्य के लिए यह प्रस्ताव भी शामिल किया जा सकता है कि किसी भी धर्म की महिला को संपत्ति में समान अधिकार मिलना चाहिए। यूसीसी में बराबर के हक की वकालत नियम के अनुसार मुस्लिम महिलाओं को अधिक अधिकार मिल सकेंगे। पैतृक संपत्ति के बंटवारे की स्थिति में पुरुष को महिला के मुकाबले दोगुनी संपत्ति मिलती है, लेकिन यूसीसी में बराबर के हक की वकालत की जा रही है। इस तरह के किसी भी धर्म से ताल्लुक रखने वाली महिलाएं संपत्ति में बराबर की हकदार होंगी। सभी धर्मों में गोद ली जाने वाली संतानों को कैसे होगा फायदा?इसके साथ ही पैनल ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि लड़कियों की शादी के लिए लड़कों की तरह ही कर दी जाए। इसके साथ गोद ली जाने वाली संतानों के अधिकारों को लेकर भी बड़ा फैसला हो सकता है। हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत दत्तक पुत्र या पुत्री को भी जैविक संतान के बराबर करेगी हक मिलता है, लेकिन मुस्लिम, पारसी और यहूदी समुदायों के पर्सनल लॉ में बराबर हक की बात नहीं है। ऐसे में यूसीसी लागू होने से गोद ली जाने वाली संतानों को भी बराबर का हक मिलेगा। दो से ज्यादा बच्चे होने पर क्या होगा?इसे अहम बदलाव लाना जा रहा है। बेटियों को संपत्ति पर बराबर अधिकार और शादी की उम्र का कुछ मुस्लिम संगठनों की ओर से विरोध हो सकता है। यूटीसी में एक्सपर्ट कमेटी ने जनसंख्या नियंत्रण कानून को भी सम्मिलित किया है। यदि राज्य में किसी भी चीज दो से ज्यादा बच्चे होते हैं तो उसे चुनाव में वोटिंग का अधिकार नहीं दिया जाएगा। इसके साथ ही उन्हें सरकार की तरफ से मिलने वाली सुविधाओं के लाभ से वंचित रखा जाएगा। मुस्लिम समाज के लिए क्या होंगे बदलावमुस्लिम समाज में हलाला और इद्दत की रस्म है, जिसे यूसीसी लागू होने के बाद खत्म कर दिया जाएगा। यहीं नहीं, तलाक लेने के लिए पति और पत्नी के आधार अलग-अलग हैं, लेकिन यूसीसी के बाद तलाक के समान आधार लागू हो सकते हैं। इसके साथ ही यूसीसी में अनाथ बच्चों की गार्जियन शिप की प्रक्रिया को आसान और मजबूत बनाने का प्रस्ताव भी दिया गया है। ऑनलाइन और ऑफलाइन लिए गए सुझावमई 2022 को उत्तराखंड समान नागरिकता संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने अपने गठन के बाद से लेकर मसौदा तैयार करने तक ढाई लाख से अधिक सुझाव ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से प्राप्त किए। समिति इस संबंध में 13 जिलों में हित धारकों के साथ सीधे संवाद कर चुकी है, जबकि नई दिल्ली में प्रवासी उत्तराखंडियों से भी चर्चा की गई।