तुर्की के ‘खलीफा’ एर्दोगान की अकड़ ढीली, भारत के दोस्‍त सीसी के आगे झुके, 12 साल बाद मिस्र संग की दोस्‍ती

काहिरा: तुर्की के राष्‍ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगान करीब 12 साल बाद पड़ोसी मिस्र की यात्रा पर पहुंचे हैं। इतने वर्षों से इन दोनों ही बेहद अहम मुस्लिम देशों तुर्की और मिस्र के बीच काफी तनाव चल रहा था। मुस्लिम देशों का खलीफा बनने के सपने देख रहे तुर्की के राष्‍ट्रपति मिस्र के राष्‍ट्रपति अब्‍देल फतह अल सीसी से नाराज थे। दरअसल, साल 2013 में अल सीसी ने अपने पूर्ववर्ती राष्‍ट्रपति मोहम्‍मद मुर्सी के खिलाफ तख्‍तापलट कर दिया था और सत्‍ता पर कब्‍जा जमा लिया था। अल सीसी को मिस्र की शक्तिशाली सेना का समर्थन मिला हुआ था। मुर्सी एर्दोगान के करीबी मित्र थे और यही वजह थी कि तुर्की के राष्‍ट्रपति ने अल सीसी के साथ दुश्‍मनी कर ली। इतने सालों के बाद अब एर्दोगान को अपनी गलती समझ में आ गई है और वह खुद अल सीसी से मिलने के लिए बुधवार को काहिरा पहुंच गए। एर्दोगान के इस कदम को पश्चिम एशिया में क्रांतिकारी माना जा रहा है। तुर्की और मिस्र दोनों ही क्षेत्रीय ताकते हैं और इनके बीच यह दोस्‍ती तब हो रही है जब गाजा में इजरायल जमकर हमले कर रहा है। इजरायल के खिलाफ मिस्र और तुर्की ने बयान दिया है। मिस्र के राष्‍ट्रपति ने एर्दोगान का जोरदार स्‍वागत किया। एर्दोगान और सीसी दोनों ने ही कई साल से एक-दूसरे को अवांछित व्‍यक्ति करार दे रखा था। अफ्रीका से लेकर पश्चिम एशिया तक होगा असरतुर्की और सऊदी अरब के बेहद करीबी मित्र मिस्र के बीच संबंधों में नरमी साल 2021 में आनी शुरू हुई। साल 2022 में कतर में फुटबाल वर्ल्‍ड कप के दौरान एर्दोगान और सीसी के बीच पहली बार एक छोटी सी मुलाकात हुई। बुधवार को काहिरा पहुंचे एर्दोगान के साथ मिस्र ने कई समझौतों पर हस्‍ताक्षर किया है। उन्‍होंने कहा कि यह मिस्र और तुर्की के बीच रिश्‍तों में एक नए युग की शुरुआत है। दोनों देश व्‍यापार को 15 अरब डॉलर तक पहुंचाएंगे और खाड़ी देशों से लेकर अफ्रीका तक एक-दूसरे को सहयोग करेंगे। राष्‍ट्रपति अल सीसी ने कहा कि मिस्र इस समय अफ्रीका में तुर्की का सबसे बड़ा व्‍यापारिक साझीदार है। एर्दोगान की यह काहिरा यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब मिस्र, कतर और अमेरिका इजराय तथा हमास के बीच एक नए शांति समझौते को कराने पर काम कर रहे हैं। तुर्की के राष्‍ट्रपति ने कहा कि सीसी के साथ उनकी यात्रा में इजरायल का गाजा पर हमला प्रमुखता से उठेगा। एर्दोगान और सीसी दोनों ने ही इजरायल के कार्रवाई की आलोचना की। विश्‍लेषकों का कहना है कि तुर्की और मिस्र में दोस्‍ती होने का असर पूरे उत्‍तरी पूर्वी अफ्रीका और खाड़ी के इलाके पर पड़ेगा। सूडान से लेकर इथियोपिया तक और लीबिया में मिस्र तथा तुर्की एक-दूसरे के विरोधी गुट को सपोर्ट करते हैं। यही नहीं एर्दोगान अब मुस्लिम ब्रदरहुड के खिलाफ भी ऐक्‍शन ले रहे हैं जिसकी मिस्र लंबे समय से मांग कर रहा था।