तुर्की ने पहली बार उड़ाया ‘अदृय’ हवाई योद्धा, पाकिस्‍तान के दोनों हाथ में लड्डू, पिछड़ रहे भारत को कितना खतरा?

अंकारा: तुर्की के पांचवीं पीढ़ी के पहले स्‍टील्‍थ फाइटर जेट टीएफ कान ने पहली सफल उड़ान भरी है। रेडॉर की पकड़ में नहीं आने वाले कान की इस उड़ान को तुर्की के लिए ऐतिहासिक घटना माना जा रहा है। तुर्की पहले से ही ड्रोन विमानों का किंग है और अब फाइटर जेट उड़ाकर उसने अपनी ताकत से दुनिया को परिचय कराया है। इस विमान के साथ एक अमेरिका निर्मित एफ-16 फाइटर जेट ने भी उड़ान भरी। तुर्की का यह फाइटर प्‍लेन करीब 13 मिनट तक हवा में रहा और 8000 फुट की ऊंचाई तक गया। इस दौरान उसकी स्‍पीड 230 नॉट तक रही। कान तुर्की का पहला स्‍वदेशी फाइटर जेट है और इसको वह पाकिस्‍तान समेत कई देशों के साथ मिलकर बनाना चाहता है। तुर्की के इस सफल उड़ान से पाकिस्‍तान के दोनों हाथ लड्डू आ गए हैं, वहीं भारत अब पिछड़ता हुआ दिख रहा है। आइए समझते हैं पूरा मामला… दरअसल, पाकिस्‍तान ने ऐलान किया है कि वह चीन से पहला पांचवीं पीढ़ी का विमान एफसी 31 फाइटर जेट खरीद रहा है। चीन का दावा है कि यह स्‍टील्‍थ फाइटर जेट रेडॉर की पकड़ में नहीं आता है। पाकिस्‍तानी वायुसेना प्रमुख ने ऐलान किया था कि जल्‍द ही उनके देश को चीन से यह विमान मिल जाएगा। वहीं पाकिस्‍तान के पास एक और दोस्‍त तुर्की से पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट कान का ऑफर मिल गया है। तुर्की चाहता है कि पाकिस्‍तान उसके साथ मिलकर कान विमान का निर्माण करे। इसके लिए वह कंगाल पाकिस्‍तान से आर्थिक मदद भी चाहता है लेकिन अभी तक पाकिस्‍तान ने कोई फैसला नहीं किया है। स्‍टील्‍थ फाइटर जेट में पिछड़ रहा है भारत एक तरफ जहां पाकिस्‍तान पांचवीं पीढ़ी के विमान खरीद रहा है, वहीं भारत राफेल जैसे चौथी पीढ़ी के विमान की डील के बाद अब आगे नहीं बढ़ पा रहा है। भारत का स्‍वदेशी स्‍टील्‍थ फाइटर प्रोग्राम अभी बहुत पीछे चल रहा है। इस बीच तुर्की कान लड़ाकू जेट को एशिया और खाड़ी के देशों में निर्यात करने की काफी उम्मीदें कर रहा है। रूस से एस 400 सिस्‍टम खरीदने के बाद साल 2019 में अमेरिका के F-35 कार्यक्रम से तुर्की को निष्कासित कर दिया गया। इसके बाद तुर्की अपने लड़ाकू विमानों को विकसित करने के लिए लगातार काम कर रहा है। राष्ट्रपति एर्दोगन ने एक राजनीतिक रैली के दौरान पहली उड़ान के महत्व पर प्रकाश डाला था। एर्दोगान ने कहा, ‘हम अपने स्वयं के 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान के उत्पादन की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील के पत्थर पर पहुंच गए हैं।’ तुर्की में जल्‍द स्थानीय चुनाव होने हैं। तुर्की एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज, एक सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी है और साल 2028 तक तुर्की वायु सेना को स्थानीय रूप से उत्पादित इंजन द्वारा संचालित पहले 20 कान जेट देने की योजना बना रही है। इस कंपनी का लक्ष्य साल 2030 तक कान को स्टील्थ क्षमताओं के साथ 5वीं पीढ़ी के मॉडल में अपग्रेड करना है। हालांकि प्रोटोटाइप जेट वर्तमान में अमेरिका निर्मित इंजनों का उपयोग करते हैं। TAI अपने स्वयं के इंजन विकास पर सक्रिय रूप से काम कर रहा है। तुर्की एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज पहले ही मलेशिया, इंडोनेशिया, कजाकिस्तान को सशस्त्र ड्रोन और फिलीपींस को हमलावर हेलीकॉप्टरों की सफल बिक्री कर चुका है। एशिया के कई देशों को ‘कान’ बेचना चाहता है तुर्की तुर्की एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज ने एशिया में कार्यालय स्थापित किए हैं और रक्षा परियोजनाओं के लिए स्थानीय इंजीनियरों की भर्ती कर रही है। कंपनी के सीईओ टेमेर कोटिल ने पाकिस्तान, मलेशिया, इंडोनेशिया, अजरबैजान और कतर जैसे देशों को तुर्की की प्रमुख रक्षा विकास परियोजनाओं में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है। तुर्की ने कान विमान परियोजना के लिए अजरबैजान के साथ एक सहयोग ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। पाकिस्तान के साथ इसी तरह के समझौते की जल्द ही उम्मीद है। अमेरिका के स्‍टील्‍थ फाइटर F-35 की अनुपस्थिति में, तुर्की अतिरिक्त F-16 जेट, यूरोफाइटर टाइफून और घरेलू रूप से बने ड्रोन प्राप्त करके अपनी वायुसेना को बढ़ाने की योजना बना रहा है।