जिनपिंग ने दिखाई आंख तो ट्रूडो को आई भारत की याद, कनाडा ने रणनीतिक डॉक्यूमेंट में 27 बार हिंदुस्‍तान का किया जिक्र

ओटावा: प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और चीन के राष्ट्रपति
के बाद अब कनाडा की सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। कनाडा ने लंबे समय से चली आ रही नीति में बदलाव करते हुए हिंद प्रशांत क्षेत्र में सैन्य खर्च को बढ़ाने का फैसला किया है। इसके साथ ही कनाडा व्यापार संबंधों में भी विस्तार करेगा। कनाडा की सरकार चीन के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए कदम उठा रही है। विदेश मंत्री मेलानी जोली ने रविवार को कनाडा की
को जारी किया, जिसमें 1.7 बिलियन डॉलर का खर्च शामिल है। इस पैसे का इस्तेमाल क्षेत्र में ज्यादा नौसेना गश्त, बेहतर खुफिया और साइबर सुरक्षा उपाय के लिए किया जाएगा।

26 पन्नों वाली रणनीतिक दस्तावेज को वैंकूवर में जोली समेत तीन मंत्रियों ने जारी किया। इसमें चीन को तेजी से बढ़ती विघटनकारी वैश्विक शक्ति बताया गया है। इसमें चीन की ओर से होने वाले कई सैन्य, सुरक्षा और आर्थिक खतरों का हवाला दिया गया है। दस्तावेज में जलवायु परिवर्तन, वैश्विक स्वास्थ्य, जैव विविधता और न्यूक्लियर नॉन प्रॉलिफरेशन का भी जिक्र किया गया है। दस्तावेज जारी करने से पहले जोली ने ब्लूमबर्ग के साथ एक घंटे के इंटरव्यू में कहा कि दुनिया की भू-राजनीति में बदलाव हो रहा है। इससे दूसरे विश्वयुद्ध के बाद दुनिया को सुरक्षित रखने वाले मानदंडो को खतरा हो रहा है।

शी जिनपिंग से बहस के बाद जारी की रणनीतिजोली ने शुक्रवार को मॉन्ट्रियल में कहा, ‘जब चीन की बात आती है तो हम जानते हैं कि उसके संग क्षेत्र में प्रभाव बढ़ाने की लड़ाई हो रही है। इसलिए हमें भी अपनी रणनीति बनानी होगी।’ दस्तावेज में कहा गया है कि कनाडा विदेशी निवेश से जुड़े नियमों को भी सख्त करेगा और विदेशी हस्तक्षेप से खुद को बचाने के लिए अन्य कदम उठाएगा। कनाडा ने अपनी रणनीति से जुड़ा डॉक्यूमेंट एक ऐसे समय में जारी किया है जब 17 नवंबर को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और कनाडा के PM जस्टिन ट्रूडो के बीच G20 में बहस हुई थी।

भारत का 27 बार किया जिक्रजोली ने कहा कि
एशिया में व्यापार से जुड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के लिए 45 अरब रुपए का निवेश करेगा। इसके साथ ही क्षेत्रीय साझेदारों के साथ सैन्य सहयोग में वृद्धि से देश के प्रशांत महासागर के हितों की रक्षा होगी। रणनीति के दस्तावेज में भारत के लिए एक विशेष सेक्शन है, जिसमें भारत के साथ आर्थिक संबंधों को और बढ़ाने का जिक्र शामिल है। कनाडा चीन से अलग हिंद प्रशांत क्षेत्र में अपने व्यापारिक संबंधों में विविधता के लिए संघर्ष करता रहा है। भारत, जापान, कोरिया, सिंगापुर और ताइवान के साथ विज्ञान और रिसर्च में साझेदारी बढ़ाने के लिए 65.1 मिलियन डॉलर कनाडा खर्च करेगा। डॉक्यूमेंट में भारत का 27 बार जिक्र किया गया है। वहीं पाकिस्तान का 5 बार और चीन का 54 बार जिक्र है।