बाकू: रूस-यूक्रेन युद्ध से त्रस्त दुनिया एक और जंग की गवाह बनने जा रही है। यह जंग दशकों पुराने दो दुश्मन अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच होने वाला है। कई ओपन सोर्स इंटेलिजेंस ने दावा किया है कि अजरबैजान सीमा के नजदीक तेजी से अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा रहा है। उसने बड़े पैमाने पर हथियारों और दूसरे सैन्य साजो-सामान को भी सीमा के नजदीक पहुंचा दिया है। पिछले कई दिनों से आर्मेनिया भी ऐसा ही दावा कर रहा है। ब्रिटिश मीडिया टेलीग्राफ ने द सेंटर फॉर इंफॉर्मेशन रेजिलिएंस (सीआईआर) के ओपन सोर्स इंटेलीजेंस के सबूतों के आदार पर आर्मेनियाई दावों की पुष्टि की है कि अजरबैजान युद्ध की तैयारी कर रहा है। अजरबैजान की सहायता कर रहा इजरायलसीआईआर ने अजरबैजानी सैन्य ठिकानों पर गतिविधि तेज होने की भी पुष्टि की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि उसने अजरबैजान और इजरायल के बीच सैन्य हवाई उड़ानों में बढ़ोतरी का भी पता लगाया है। हालांकि, ईरान ने अजरबैजान के इस सैन्य तैयारियों का विरोध किया है, जो आर्मेनिया से जुड़ा हुआ है। सीआईआर खोजकर्ता काइल ग्लेन ने कहा कि यह संभव है कि ये नियमित गतिविधियां हैं, लेकिन उपलब्ध अन्य ओपन सोर्स डेटा का विश्लेषण आगे मिलिट्री बिल्डअप का संकेत दे सकता है। रूस की तरह सैन्य वाहनों पर बना रहा प्रतीक चिन्हअजरबैजानी सैन्य प्रतीक उल्टे ‘ए’ और एक खास शैली में लिखा गया ‘एफ’ है। इन्हें मुख्य रूप से अजरबैजानी सेना के ट्रकों और बख्तरबंद वाहनों पर चित्रित किया जाता है। अज़रबैजान ने प्रतीकों की व्याख्या नहीं की है, लेकिन फरवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण करने से पहले रूसी सेना ने युद्ध समूह पहचानकर्ताओं के रूप में “वी” और “जेड” प्रतीकों का इस्तेमाल किया था। ऐसे में माना जा रहा है कि अजरबैजान भी रूस की तरह ही सैन्य चिन्हों को लोगों के रूप में अपनाकर एक युद्ध रणनीति को तैयार कर रहा है। आर्मेनिया ने आक्रमण का जताया डरउधर, आर्मेनियाई सरकार ने कहा है कि अजरबैजान के इरादे स्पष्ट हैं। आर्मेनिया के उप विदेश मंत्री वाहान कोस्टानियन ने कहा कि हमें चिंता है कि एक नया युद्ध शुरू हो सकता है, या कम से कम बड़े पैमाने पर आक्रामकता बढ़ सकती है। हालांकि, अजरबैजान इससेपहले ही इनकार कर चुका है। आर्मनिया का दावा है कि अजरबैजान आक्रमण की तैयारी कर रहा है। अजरबैजान ने ज्यादातर सेनाओं की तैनाती नागोर्नो-काराबाख के आसपास की है। इस इलाके को लेकर अजरबैजान और आर्मेनिया ने 1991 में सोवियत संघ के टूटने के बाद से विवाद है। दोनों देशों ने इस इलाके में कई युद्धों को भी लड़ा है, जिसमें 2020 में तीन महीने तक की जंग भी शामिल है।