आदिवासियों ने कभी मंदिरों में प्रवेश के लिए युद्ध नहीं किया… नई संसद के उद्घाटन विवाद में कूदे छोटू वसावा

अहमदाबाद: देश की नई संसद के उद्घाटन को लेकर खड़े हुए विवाद में गुजरात के दिग्गज आदिवासी नेता छोटू वसावा भी कूद पड़े हैं। छोटू वसावा सोशल मीडिया पर ट्वीट करके लिखा है कि आदिवासी हिंदू नहीं हैं और हिंदू वर्णव्यवस्था का हिस्सा नहीं हैं। इसीलिए संसद का उद्घाटन आदिवासी राष्ट्रपति के हाथों से नहीं कराया जा रहा है। इसके साथ ही वसावा ने एक फोटो भी ट्वीट की है। इसमें एक आदिवासी को पूजा करने हुए दिखाया गया है। विपक्षी दल पहले सही राष्ट्रपति के हाथों ने नहीं करवाने और निमंत्रण नहीं देने को लेकर विरोध कर रहे हैं। आदिवासी नहीं हैं हिंदू गुजरात की भरूच जिले की झगड़िया सीट से सात बार जीतकर विधायक रह चुके छोटू वसावा ने इस विवाद में नए एंगल डाल दिया है। उन्होंने दावा किया है कि आदिवासी हिंदू नहीं हैं। इसीलिए आदिवासी राष्ट्रपति को नहीं बुलाया गया है। नई संसद का उद्घाटन 28 मई को होना है। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। तो वहीं राष्ट्रपति झारखंड के दौरे पर हैं। छोटू वसावा ने अपने ट्वीट में लिखा है कि आदिवासी हिंदू नही हैं और हिंदू वर्णव्यवस्था का हिस्सा नहीं हैं आदिवासीयों ने कभी मंदिरों में प्रवेश के लिए युद्ध नही किया। नई संसद का उद्घाटन वर्णव्यवस्था वाली संस्कृति से किया जा रहा है, इसलिए आदिवासी राष्ट्रपति के द्वारा उसका उद्घाटन नही करवाया जा रहा। 19 दल कर रहे हैं बहिष्कार देश की नई संसद के उद्घाटन के लिए जोरशोर से तैयारियां चल रही हैं। संसद के उद्घाटन में में जहां देश की 20 पार्टियां शामिल हो रही हैं तो वहीं 19 दलों ने बॉयकॉट की बात कही है। कांग्रेस समेत तमाम दलों की मांग है कि संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति के हाथों होना चाहिए। गुजरात के आदिवासी नेता छोटू वसावा ने अब इस पूरे विवाद में यह कहकर नया रंग दे दिया है कि आदिवासी हिंदू नहीं है। इसीलिए आदिवासी राष्ट्रपति के हाथों इसका उद्घाटन नहीं हो रहा है।