प्रचंड की सरकार पर मंडराया खतरा, ओली ने समर्थन वापस लिया, नेपाली प्रधानमंत्री ने रद्द की कतर यात्रा

काठमांडू: नेपाल में एक बार फिर से सियासी उलटफेर तेज हो गया है। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ की कतर यात्रा देश में कुछ ‘महत्वपूर्ण राजनीतिक कार्यक्रमों’ के चलते रद्द कर दी गई है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। प्रचंड की सरकार पर मंडरा रहे खतरे और आगामी राष्ट्रपति चुनाव के बीच यह फैसला किया गया है। प्रचंड सबसे कम विकसित देशों (एलडीसी) के पांचवें सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए तीन मार्च को कतर रवाना होने वाले थे। इस बीच पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली ने प्रचंड सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया है। माना जा रहा है कि ओली के इस ऐलान के बाद प्रचंड ने अपनी यात्रा रद्द की है। कार्यभार संभालने के बाद यह प्रचंड की पहली आधिकारिक विदेश यात्रा होती। इससे पहले उनके भारत आने की अटकलें थीं। उन्होंने पिछले साल 26 दिसंबर को प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभाला था। प्रचंड के मीडिया समन्वयक सूर्य किरण शर्मा ने सोमवार को कहा, ‘प्रधानमंत्री का सबसे कम विकसित देशों (एलडीसी) के पांचवें सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए कतर जाने का कार्यक्रम देश में कुछ महत्वपूर्ण राजनीतिक कार्यों के चलते रद्द कर दिया गया है।’ राष्ट्रपति पद चुनाव को लेकर घमासान इससे पहले, रविवार को विदेश मंत्रालय ने कहा था कि प्रचंड के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल सबसे कम विकसित देशों (एलडीसी) के पांचवें सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए कतर जाएगा। प्रचंड के एक सहयोगी ने पुष्टि की कि प्रधानमंत्री ने नौ मार्च को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर देश नहीं छोड़ने का फैसला किया है। विदेश मंत्री बिमला राय पौडयाल को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के एक उच्च-स्तरीय सत्र में हिस्सा लेने के लिए जिनेवा रवाना होने से कुछ घंटे पहले, प्रधानमंत्री प्रचंड ने उन्हें यात्रा रद्द करने को कहा। नेपाल के मीडिया की खबरों के अनुसार, प्रचंड के नेतृत्व वाली सीपीएन-माओवादी सेंटर सहित आठ राजनीतिक दलों ने राष्ट्रपति पद चुनाव के दौरान नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामचंद्र पौडयाल को समर्थन देने का निर्णय लिया है। इससे ओली भड़के हुए हैं और उन्‍होंने समर्थन को वापस लेने का ऐलान कर दिया है। इससे प्रचंड सरकार के भविष्‍य पर खतरा मंडरा रहा है। हालांकि प्रचंड को नेपाली कांग्रेस का भी समर्थन हासिल है। इससे प्रचंड सरकार के गिरने की आशंका कम है।