4 साल 53 सुसाइड… इंजीनियर बनाने वाले इस जगह को लग गई किसकी नजर? सरकार लेने जा रही बड़ा फैसला

जयपुर: राजस्थान का कोटा शहर कोचिंग सेंटर्स का हब बन चुका है। हर साल देशभर से बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं यहां पढ़ने के लिए आते हैं। हालांकि, कोटा में पिछले कुछ साल के दौरान आत्महत्या के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। पुलिस के मुताबिक, पिछले 4 साल के दौरान शहर में 52 सुसाइड केस हुए हैं। इनमें अलग-अलग कोचिंग सेंटर में पढ़ने वाले 27 स्टूडेंट्स शामिल हैं। पुलिस की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी 2019 से दिसंबर 2022 के बीच 52 आत्महत्या के मामले दर्ज हुए हैं। इस दौरान कोचिंग सेंटर में सुसाइड के सबसे ज्यादा 15 मामले साल 2022 में सामने आए। इन आंकड़ों को देखकर सवाल उठ रहा कि आखिर कोटा को किसकी नजर लग गई? ऐसे मामलों पर लगाम के लिए अब सरकार भी बड़ा कदम उठाने जा रही।पिछले 4 साल में 53 आत्महत्याइंजीनियरिंग और एमबीबीएस की तैयारी को लेकर पहली पसंद माना जाने वाले कोटा शहर में सुसाइड की बढ़ती घटनाओं ने हर किसी को झकझोर के रख दिया है। इस मुद्दे को विधायक पाना चंद मेघवाल ने राजस्थान असेंबली में भी उठाया। उन्होंने कोटा संभाग में छात्रों के आत्महत्या की संख्या और उनके कारणों की जानकारी मांगी। जिसके जवाब में प्रदेश सरकार ने एक लिखित डिटेल्स मुहैया कराई। इसमें सरकार की ओर से बताया कि संभाग में पिछले चार साल के दौरान सुसाइड की 53 घटनाएं हुईं। जिसमें अकेले कोटा में 52 और बारां में 1 आत्महत्या का मामला शामिल है।इस वजह से छात्र उठा रहे खौफनाक कदमसरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, सुसाइड करने वालों में 16 कॉलेज के छात्र, 10 स्कूली छात्र शामिल हैं। इनके अलावा अन्य सभी छात्र अलग-अलग कोचिंग सेंटर्स के थे। यही नहीं कोचिंग सेंटर्स में सुसाइड के बढ़ते मामलों को लेकर रिपोर्ट चार अहम बातें सामने आईं। इसके मुताबिक, एग्जाम में खराब प्रदर्शन का डर, आत्मविश्वास की कमी, माता-पिता की अपेक्षाओं का दबाव, शारीरिक और मानसिक तनाव के अलावा आर्थिक तंगी और लव अफेयर मुख्य वजहें हैं। इन्हीं से परेशान होकर स्टूडेंट्स खौफनाक कदम उठा रहे हैं।हालिया रिपोर्ट के बाद सरकार का बड़ा प्लानहालांकि, सरकार ने स्थानीय प्रशासन और पुलिस की ओर से दी गई जानकारी के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की है। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि ज्यादातर मामलों में, छात्र अपने पीछे कोई सुसाइड नोट नहीं छोड़ते हैं। जिससे हमें मामलों के कारणों का पता लगाने के लिए गहन जांच करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। पिछले कई वर्षों से लगातार सामने आ रहे सुसाइड केस का आकलन करने के बाद फाइनल रिपोर्ट तैयार की गई।साल 2022 में 15 सुसाइड के केस आए कोचिंग सेंटर मेंसुसाइड के मामलों को लेकर साल 2022 बेहद खौफनाक रहा। इस साल कोचिंग संस्थानों में सुसाइड के 15 मामले सामने आए। इसमें भी अक्टूबर से दिसंबर के दौरान आंकड़ा 65 फीसदी से भी ज्यादा था। आत्महत्या से जान गंवाने वाले छात्रों में सबसे अधिक बिहार के 4, उसके बाद छत्तीसगढ़ के 3 छात्र थे। सरकार की ओर से जारी रिपोर्ट पर विश्वास किया जाए तो इन मामलों के पीछे बड़ी वजह कोचिंग संस्थानों में होने वाले टेस्ट में खराब रिजल्ट हैं। जिसके चलते छात्रों का आत्मविश्वास हिल जाता है।इस वजह से छात्र उठाते हैं खौफनाक कदमअक्सर यह देखा जाता है कि कोचिंग सेंटर में टेस्ट वीकली होते हैं। जिसमें एवरेज और उनसे भी कमजोर स्तर के छात्रों को कड़ी टक्कर मिलती है। जिससे वो परेशान रहने लगते हैं। जानकारों के मुताबिक, अगर कोचिंग में इन एग्जाम को खत्म नहीं किया जा सकता तो कम से कदम ऐसे छात्रों के लिए एक काउंसलिंग सेशन जरूर होना चाहिए। जिससे इन छात्रों को समझाया जा सके। साथ ही, उन छात्रों के माता-पिता या अभिभावकों को इनके रिजल्ट के बारे में बताना चाहिए। ये बातें एजुकेशन एक्सपर्ट पुनीत शर्मा ने कही हैं। उन्होंने ऐसे छात्रों को तनावमुक्त रखने को लेकर कई प्रोग्राम पर काम भी किया है।सरकार लाने जा रही नया बिल2018 में, राज्य सरकार कोटा कोचिंग संस्थानों के लिए विस्तृत गाइडलाइंस लेकर आई थी। हालांकि सुसाइड केस के मामलों में इससे कोई प्रभाव नहीं पड़ा। वहीं सरकार इस खतरे का मुकाबला करने के लिए अलग से बिल लाने की तैयारी में है। सरकार मौजूदा विधानसभा सत्र में तनाव और आत्महत्याओं की ओर ले जाने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए एक नया कानून लाने जा रही है। राजस्थान कोचिंग संस्थान (नियंत्रण और विनियमन) विधेयक असेंबली में पेश करने को तैयार है।नए बिल में होगा ये प्रावधानइस बिल में ऐसा प्रावधान किया गया है कि कोचिंग संस्थानों में किसी भी छात्र की एंट्री से पहले एक टेस्ट होगा। ये अनिवार्य एप्टीट्यूड टेस्ट का प्रस्ताव है। जिसके रिजल्ट माता-पिता और अभिभावकों के साथ साझा किए जाएंगे। ऐसा माना जाता है कि यह उन छात्रों को कोचिंग संस्थानों में एंट्री लेने से बाहर कर देगा, जिनके पास इंजीनियरिंग या मेडिकल कोर्स के लिए खास योग्यता नहीं है।