थाली खींचना इसे ही कहते हैं! सीएम नीतीश को भोज पर बुलाकर ‘गायब’ हो गए चिराग, मकर संक्रांति पर हुआ ‘खेला’

पटना: मकर संक्रांति के दिन पटना में लोजपा (रामविलास) प्रमुख और केंद्रीय मंत्री ने दही-चूड़ा भोज का आयोजन किया। इस भोज में मुख्यमंत्री समेत NDA गठबंधन के नेताओं को आमंत्रित किया गया था। हालांकि, चिराग पासवान खुद इस आयोजन में शामिल नहीं हुए, जिससे राजनीतिक गलियारों में चर्चा छिड़ गई। नीतीश कुमार तय समय पर भोज में पहुंचे, लेकिन चिराग की अनुपस्थिति ने गठबंधन की एकता पर सवाल खड़े कर दिए।एकजुटता का संदेश देना चाहते थे चिरागदरअसल, लोजपा (रामविलास) के कार्यालय में आयोजित इस दही-चूड़ा भोज के माध्यम से चिराग पासवान NDA में एकजुटता का संदेश देना चाहते थे। लेकिन उनकी खुद की अनुपस्थिति ने इस संदेश को कमजोर कर दिया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समय पर पहुंचे, उनके साथ जेडीयू कोटे के मंत्री विजय कुमार चौधरी और कुछ अन्य पार्टी नेता भी मौजूद थे। चिराग पासवान की गैरमौजूदगी में पार्टी के अन्य नेताओं ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया। चिराग पासवान ही नहीं थे मौजूदमुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आगमन के समय चिराग पासवान वहां मौजूद नहीं थे। एलडेपी ऑफिस में नीतीश कुमार ने चिराग के पिता स्वर्गीय रामविलास पासवान को श्रद्धांजलि अर्पित की और कुछ देर बाद वहां से चले गए। इस मौके पर दोनों उपमुख्यमंत्री, सम्राट चौधरी और तेजस्वी यादव भी अनुपस्थित रहे। तो रणनीति के तहत दूर रहे चिरागचिराग पासवान द्वारा आयोजित दही-चूड़ा भोज NDA गठबंधन के लिए एकता प्रदर्शन का अवसर था। हालांकि, चिराग की अनुपस्थिति ने इस अवसर को एक राजनीतिक पहेली में बदल दिया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का समय पर आना और चिराग का न आना, कई सवाल खड़े करता है। क्या यह NDA गठबंधन में किसी दरार का संकेत है? क्या चिराग पासवान किसी रणनीति के तहत इस भोज से दूर रहे? इन सवालों के जवाब आने वाले समय में ही मिल पाएंगे। बिहार की सियासत में कुछ नया होगा?बिहार की राजनीति में मकर संक्रांति का महत्व जगजाहिर है। इस दिन होने वाले आयोजन और नेताओं की उपस्थिति-अनुपस्थिति अक्सर राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करती है। चिराग पासवान का यह कदम आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति में क्या रंग लाता है, यह देखना दिलचस्प होगा।