नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने विधायक मुकुल रॉय को अयोग्य नहीं ठहराने के पश्चिम बंगाल विधानसभा स्पीकर के फैसले के खिलाफ बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी की तरफ से बार-बार याचिकाएं दायर करने पर शुक्रवार को कड़ी आपत्ति जताई।
जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने अधिकारी की ओर से इस मामले में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन से कहा, ‘यह तरीका नहीं है। आपने पहले भी इसी तरह की याचिका दायर की थी और बाद में उसे वापस ले लिया था। आपको पता है कि इस मुद्दे पर हाई कोर्ट के समक्ष एक रिट याचिका लंबित है। आप इस तरह हाई कोर्ट को दरकिनार नहीं कर सकते। हम इस पर कड़ी आपत्ति जताते हैं।’
वैद्यनाथन ने अदालत से माफी मांगी लेकिन कहा कि मौजूदा अर्जी 11 अप्रैल, 2022 को हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली एक अन्य याचिका के रूप में दायर की गई थी, जो शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित है। बेंच ने वैद्यनाथन से कहा कि वह वरिष्ठ वकील हैं और उन्हें माफी मांगने की जरूरत नहीं है लेकिन वह ये टिप्पणियां कर रही हैं क्योंकि उसे याचिकाकर्ता की तरफ से अपनाई गई प्रक्रिया ठीक नहीं लगी।
बेंच ने कहा, ‘यहां एक व्यवस्था है। आप पिछले साल भी यहां आए थे और फिर आपने यह कहते हुए अपनी याचिका वापस लेने का फैसला किया कि आप हाई कोर्ट के समक्ष उपाय तलाशेंगे।’ साथ ही बेंच ने कहा कि शुभेंदु अधिकारी की तरफ से विधानसभा अध्यक्ष के 2022 के आदेश को वापस ले लिया गया।
पिछले साल 8 जून को, पश्चिम बंगाल विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने शुभेंदु अधिकारी की तरफ से उन्हें एक शिकायत देने के बाद फैसला सुनाया था कि रॉय भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक थे, जो 2021 के विधानसभा चुनाव के बाद पाला बदल कर तृणमूल कांग्रेस में चले गए।
वैद्यनाथन ने कहा कि वह बेंच के समक्ष सूचीबद्ध दो याचिकाओं को वापस लेना चाहेंगे, जिनमें एक याचिका विधानसभा अध्यक्ष के आदेश को चुनौती देने वाली भी है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने 11 अप्रैल, 2022 को नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी की तरफ से दायर एक याचिका को खारिज कर दिया था। अधिकारी ने दल-बदल के आधार पर रॉय को सदन के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित करने और मामले को नए सिरे से विचार करने के लिए बहाल करने का अनुरोध किया था।
अधिकारी ने एक अलग याचिका में उच्च न्यायालय के 11 अप्रैल, 2022 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था। पिछले साल आठ जून को बनर्जी ने रॉय को अयोग्य ठहराने की अधिकारी की अर्जी को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि उन्हें याचिकाकर्ता की दलीलों में कोई दम नजर नहीं आता। विधानसभा अध्यक्ष ने मामले में पूर्व के अपने फैसले पर कायम रखा था।