मशरूम की खेती से चार गुना मुनाफा कमा रहा यूपी का यह किसान, पहले कर्ज में डूबी थी जिंदगी

कौशांबी: समय के साथ हमारे किसान भी बदल रहे हैं। वे अब परंपरागत खेती से अलग हटकर फसलें उगा रहे हैं। यूपी के कौशांबी () जिले की स‍िराथू तहसील में ऐसे ही एक किसान हैं। वह अपने खेतों में मचानों पर छप्‍पर डालकर कर रहे हैं। उन्‍हें मशरूम () की खेती में दो से चार गुना तक मुनाफा होता है। औसतन एक सीजन में वह 4 लाख रुपये तक का शुद्ध लाभ कमा लेते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि वह यह सब बिना सरकारी मदद के कर रहे हैं। वह आने वाली पीढ़ी से भी इस तरह की खेती करने की सलाह देते हैं।

सिराथू तहसील के कनवार गांव के एक किसान हैं संगम लाल मौर्या। वह पहले परंपरागत खेती करते थे। लेकिन वह उन पर खेती मुनाफा कम और कर्ज का बोझ ज्‍यादा डाल रही थी। इस बीच उन्‍हें मशरूम की खेती के बारे में जानकारी हुई। उसे सीखने के लिए वह कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के संपर्क में आए। उन्‍होंने मशरूम की खेती करने का तरीका सीखा।

कड़ी मेहनत और लगन से उन्होंने पिछले साल से नगदी फसल के रूप में मशरूम के 4 छप्पर में मचान विधि से खेती शुरू की। संगम लाल के मुताबिक, पहली बार में उन्‍हें चौंकाने वाले नतीजे मिले। मशरूम के पहले कलस्टर में उन्होंने 8 टन का उत्पादन पाया। जिस समय उन्‍होंने इसे बाजार में बेचा उस समय बाजार में मशरूम का रेट ज्‍यादा था। नतीजे में उन्‍हें 4 गुना मुनाफा हुआ। उनकी एक और खूबी यह है कि वह मशरूम उगाने में जैविक खाद का प्रयोग करते हैं। जैविक खाद से तैयार मशरूम की मांग के चलते ये मशरूम खेत से हाथों-हाथ बिक जा रहे हैं।

संगम लाल मौर्या ने बताया, मशरूम की खेती करने के लिए सबसे पहले गोबर की खाद में धान-गेहूं का भूसा को डाल कर उसे तैयार होने के लिए छोड़ा जाता है। खाद तैयार होने के बाद उसे छप्पर में तैयार बेड पर डालकर बीज रोपित किया जाया है। करीब 3 महीने में मशरूम बिक्री के लिए तैयार हो जाते हैं। एक छप्पर से वह मशरूम के 5 से 8 टन का उत्पादन पाते है। शुद्ध कमाई के बारे में कहा जाय तो लागत निकाल कर वह एक सीजन में 4 लाख रुपये तक कमा लेते है जो शायद परम्परागत खेती में संभव नहीं हो पा रहा था। (रिपोर्ट: अशोक कुमार विश्‍वकर्मा)