विकलांग महिला को कार डीलर ने गाड़ी बेचने से किया इनकार, मचा बवाल

नई दिल्‍ली (dailyhindinews.com)। एक बार विकलांगों के लिए सुविधाजनक वाहन की आवाज बुलंद होने लगी है। इस बार भी आवाज एक विकलांग महिला ने उठाई है। दिल्ली की रहने वाली इस महिला ने हाल ही में टाटा विंगर कार खरीदने गई और इसे विकलांग फ्रेंडली बनाने के लिए कहा था। लेकिन डीलर कंपनी ने कार देने से मना कर दिया। दिल्ली महिला आयोग ने अब परिवहन विभाग को नोटिस जारी किया है। इससे पहले इसी तरह की मांग ओलंपियन दीपा मलिक ने भी की थी। उन्होंने इसके लिए लंबी लड़ाई भी लड़ी थी।

दिल्ली की रहने वाली 40 वर्षीय काजल ने बताया कि देश में तमाम स्थानों पर विकलांगों के लिए सुविधाएं दी गई हैं, लेकिन यह व्यवस्था नहीं है कि इन जगहों पर विकलांग महिलाएं जाएंगी कैसे। उन्होंने बताया कि वह खुद दुनिया घूमना चाहती है। पार्कों व मंदिरों में खुद जाना चाहती हैं। लेकिन कार डीलर कंपनी ने उन्हें ऐसी कार देने से मना कर दिया है।

काजल के भाई पारुल ने बताया कि हाल ही में उन्होंने एक ऐसी कार खरीदने का प्रयास किया, जिसमें व्हीलचेयर लग सके। इसके लिए उन्होंने टाटा विंगर कार का चुनाव किया था, लेकिन कंपनी ने इस कामर्शियल कार बताते हुए गाड़ी देने से मना कर दिया। कार डीलर कंपनी ने साफ तौर पर कहा कि सरकार के नियमों के मुताबिक इसका केवल कामर्शियल इस्तेमाल ही संभव है।

महिला ने जारी किया नोटिस

काजल शर्मा के भाई पारुल की शिकायत पर अब दिल्ली महिला आयोग ने परिवहन विभाग को नोटिस जारी किया है। आयोग ने अपनी नोटिस में विभाग को मामले का निस्तारण करने के लिए टाइम लाइन निर्धारित करने को कहा है। साथ ही पूछा है कि अब तक इस मामले में क्या कार्रवाई हुई है? उधर, पारुल ने बताया कि उनकी बहन चल फिर नहीं सकती। इसके अलावा वह बौद्धिक रूप से भी 90 प्रतिशत विकलांग है। ऐसे हालात में उसे कहीं भी ले जाने में काफी दिक्कत होती है। यदि उनके पास ऐसा कोई वाहन हो तो वह भी आम लोगों के साथ कहीं भी अपने मन से जा सकेगी।

बंगलुरु में कैब है तो दिल्ली में क्यों नहीं

पारुल ने सवाल किया कि बंगलुरु में ऐसी कैब की सुविधा है जिसमें कोई विकलांग अपनी व्हीलचेयर के साथ चढ़ सकता है, लेकिन आश्चर्यजनक है कि इस तरह की सुविधा देश की राजधानी दिल्ली में नहीं है। यहां तक कई मेट्रो स्टेशनों पर भी इस तरह की व्यवस्थित सुविधा नहीं है। उन्होंने बताया कि उनकी बहन एक स्पेशल स्कूल में पढ़ाई कर रही है। लेकिन ओवरवेट की वजह से कई बार उसे स्कूल जाने में भी दिक्कत होती है।

विकलांगों के अधिकार के लिए काम करती है काजल

पारुल ने बताया कि उनकी बहन खुद तो विकलांग है ही, वह देश में अन्य विकलांग लोगों के अधिकार की लड़ाई भी लड़ रही है। इसके अलावा वह उनकी काउंसलिंग भी करती है। इसके लिए कई बार उसे दिल्ली और केंद्र सरकार ने सम्मानित किया है। जबकि वह खुद यूनाइटेड नेशनंस में रीजनल एडवाइजर की नौकरी करते हैं। उन्होंने कहा कि अपनी समस्या की वजह से काजल किसी भी सामाजिक कार्यक्रम में भाग नहीं ले सकती।

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