ये बजट भी नाउम्मीदगी का पुलिंदा है, शुक्र है इंसान जिंदा है… अखिलेश यादव का शायराना अंदाज

लखनऊ: वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को बजट पेश किया। इसमें उत्‍तर प्रदेश के लिए कुछ खास घोषणाएं नहीं की गईं। विपक्षी दलों ने मोदी सरकार के इस बजट से निराशा जताई है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि कमजोर तबके के सुधार के लिए इस बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया है। अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर उन्‍होंने लिखा है- ‘संसद में आज पेश केन्द्रीय बजट अपने पुराने ढर्रे पर कुछ मुट्ठी भर अमीर और धन्नासेठों को छोड़कर देश के गरीबों, बेरोजगारों, किसानों, महिलाओं, मेहनतकशों, वंचितों व उपेक्षित बहुजनों के त्रस्त जीवन से मुक्ति हेतु ‘अच्छे दिन’ की उम्मीदों वाला कम बल्कि उन्‍हें मायूस करने वाला ज्यादा।’ इसी तरह, सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा है कि जब देश में इतनी बेरोजगारी है तो क्या फायदा 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का। उन्‍होंने X पर लिखा है- ‘ये बजट भी नाउम्मीदगी का ही पुलिंदा है, शुक्र है इंसान इन हालातों में भी जिंदा है।’ सदन के बाहर पत्रकारों से बातचीत में अखिलेश ने कहा- ‘आप यूपी का ही उदाहरण ले लीजिए। जो इनके प्रोजेक्‍ट चल रहे हैं, वे समय से पूरे नहीं हो रहे। अब सरकार बचानी है तो बिहार और आंध्र प्रदेश जैसे राज्‍यों को विशेष योजनाएं दी गई हैं। यूपी जैसा प्रदेश जो प्रधानमंत्री देता है क्‍या इस बजट में यहां के किसान के लिए कुछ बड़े फैसले हैं। किसान की फसल की पैदावार और उसकी कीमत के लिए कोई फैसला हुआ है। मोदी सरकार ने किसान की आय दोगुनी करने के लिए क्‍या किया है। इस सरकार में दस सालों में जो बेरोजगारी बढ़ी है, उसको ये कैसे कम करेंगे। ये लोग आधी अधूरी नौकरी देते हैं। एक साल या दो साल के लिए नौकरी देते हैं। देश का नौजवान अपना भविष्‍य बनाने के लिए पक्‍की नौकरी चाहता है।’ ‘मोदी सरकार बीएसपी सरकार की तरह हर हाथ को काम दे’वहीं, मायावती ने अपने X अकाउंट पर एक के बाद एक कर तीन पोस्‍ट किए। उन्‍होंने लिखा है- ‘देश में छाई जबरदस्त गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, पिछड़ापन तथा यहां के 125 करोड़ से अधिक कमजोर तबकों के उत्थान व उनके लिए जरूरी बुनियादी सुविधाओं के प्रति इस नई सरकार में भी अपेक्षित सुधारवादी नीति व नीयत का अभाव। बजट में ऐसे प्रावधानों से क्या लोगों का जीवन खुश व खुशहाल हो पाएगा? देश का विकास व लोगों का उत्थान आँकड़ों के भूल भुलैया वाला न हो, बल्कि लोगों को त्रस्त जीवन से मुक्ति के लिए रोजगार के अवसर, जेब में खर्च के लिए पैसे/ आमदनी जैसी बुनियादी तरक्की सभी को मिलकर महसूस भी हो। रेलवे का विकास भी अति-जरूरी। सरकार बीएसपी सरकार की तरह हर हाथ को काम दे।’