
कैसे आया ये बड़ा बदलाव?
प्रयागराज में किसान परंपरागत खेती पर ही जोर देते थे। आलू की फसल सबसे अधिक उपजाई जाती थी। लेकिन, इस फसल ने किसानों के लिए मौके अधिक नहीं बनाए। नुकसान होता गया। मुनाफा घटने लगा। परेशान किसान विकल्प की तलाश रहे थे। इसी दौरान उन्हें गुलाब की खेती का विकल्प मिला। नए ड्रिप इरिगेशन और माइक्रो- स्प्रिंकलिंग तकनीकों का उपयोग करते हुए यहां के किसान अब नूरजहाँ और प्राइड किस्मों के अलावा देसी किस्म के गुलाब उगाते हैं। करछना और चाका के बीच 500 एकड़ से अधिक खुले खेतों में पारंपरिक देसी गुलाब की खेती कर रहे हैं।
किसानों के एक वर्ग ने पॉलीहाउस तकनीक का उपयोग करते हुए ट्रांस गंगा क्षेत्र के सोरोन एवं झूंसी ब्लॉक और ट्रांस-यमुना क्षेत्र में जसरा ब्लॉक में गुलाब के पौधों को तैयार करने का विकल्प चुना है। राज्य के बागवानी विभाग में उप निदेशक, बागवानी पंकज शुकला कहते हैं कि ज्यादातर किसान ‘देसी’ किस्म के गुलाब उगा रहे हैं, क्योंकि इसका बहुत बड़ा बाजार है। दरअसल, यह पंकज शुक्ल ही थे, जिन्होंने किसानों को फूलों की खेती की नवीनतम तकनीकों से परिचित कराया।
पंकज शुक्ल कहते हैं कि अधिकांश किसान अपनी फसल का तत्काल रिटर्न चाहते हैं। ट्रांस यमुना के चाका और करछना ब्लॉक के लोगों ने गुलाब की खेती को एक उपयुक्त विकल्प पाया। कम से कम 200 किसान जो पहले आलू की खेती में लगे थे, पिछले 2-3 वर्षों में गुलाब की खेती करने लगे हैं।
आधुनिक किस्म की खेती की भी है योजना
प्रयागराज के किसान अब बागवानी विभाग की मदद से फूलों की कलियों सहित गुलाब की उन्नत किस्मों की खेती करने की भी योजना बना रहे हैं। कृषि विशेषज्ञ मनोज कुमार श्रीवास्तव कहते हैं क ट्रांस-यमुना बेल्ट में स्थितियां गुलाब की खेती के लिए अनुकूल हैं। किसान अब गुलाब की नई किस्मों के बारे में जानकारी मांग रहे हैं। वे कहते हैं कि वे दिन गए, जब वाराणसी या कोलकाता से गुलाब प्रयागराज लाए जाते थे। प्रयागराज में ही अब गुलाब की पर्याप्त फसलें हैं। प्रयागराज और आसपास के जिलों में पूरी फसल, विशेष रूप से खुली किस्म की खपत की जा रही है।
मनोज श्रीवास्तव कहते हैं कि औसतन हर रोज गुलाब के फूलों की मांग लगभग 3-4 टन है। यह शादी और त्योहारों के मौसम में दोगुनी हो जाती है। किसान इसकी भारी मांग के कारण ‘देसी गुलाब’ उगाने में अधिक रुचि रखते हैं। हम उन्हें गुलाब की खेती की नवीनतम तकनीकों के बारे में बताने की कोशिश कर रहे हैं। गुलाब उत्पादन के लिए हॉर्टिकल्चर विभाग ने व्यापक कार्ययोजना भी तैयार की है।
लगातार बढ़ रही है मांग
नैनी के एक फूल विक्रेता सूरज कहते हैं कि वाराणसी में गुलाब की मांग मंदिरों, पर्यटकों और होटलों के कारण है। प्रयागराज में भी गुलाब की मांग मंदिरों, डेकोरेटर्स और वेडिंग प्लानर्स की लगातार बढ़ रही है। बढ़ती मांग के कारण गुलाब उत्पादकों ने उत्पादन में वृद्धि की है। हाइब्रिड किस्में भी मांग में हैं, क्योंकि अधिकतर लोग उपहार के रूप में और सजावट के लिए गुलाब को चुनने लगे हैं। गुलाब उपजाने वाले एक किसान त्रिभुवन कहते हैं कि तीन किस्में छोटे गुलाब, कलियां और ‘देसी गुलाब’ इस समय सबसे अधिक मांग में हैं। वे कहते हैं कि किसानों को गुलाब की खेती के सही तरीके से प्रशिक्षित किया जा रहा है। इससे सीमित संसाधनों के बावजूद फूलों की अच्छी किस्मों की बड़ी पैदावार हासिल की जा सके।