500 साल पुरानी ये दरगाह हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक, जियारत से पूरी होती है हर मन्नत

मध्य प्रदेश के शाजापुर हट मैदान रोड पर हजरत सैयद मुर्तजा अली की दरगाह पर जो भी मन्नत मांगी जाती हैं. वह जरूर पूरी होती हैं. दरगाह हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक बनी हुई है. यहां पर प्रतिदिन सैकड़ों हिंदू-मुस्लिम श्रद्धालु बाबा की जियारत करने के लिए पहुंचते हैं. दरगाह के खादिम मिर्जा गुलाब बेग ने जानकारी देते हुए बताया कि हजरत सैयद मुर्तजा अली की दरगाह करीब साढ़े 500 साल साल पुरानी है. इस दरगाह पर सभी धर्मों के लोग पहुंचकर मन्नते करते हैं.
बताया जाता है कि इस दरगाह की यह खासियत है कि यह जो भी मन्नत मांगी जाती है. वह जरूर पूरी होती है. उन्होंने बताया कि दरगाह के पास में ही बावड़ी बनी हुई है. जो दरगाह में चार चांद लगाती है. यहां पर प्रतिवर्ष उर्स का आयोजन किया जाता है. जिसमें देशभर के कव्वाल शामिल होते हैं. दूरदराज से बड़ी संख्या में सभी धर्मों के लोग यहां पर पहुंचते हैं. हाथों में फूलों की टोकरी और सिर के ऊपर मन्नत की चादर लेकर दरगाह पर पेश करने के बाद मन्नते करते हैं. इसीलिए इस दरगाह को हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक माना जाता है.
500 सालों में कभी नहीं सूखी बावड़ी
हजरत मुर्तुजा अली शाह बाबा के दरगाह पर मौजूद बावड़ी में कभी पानी कम नहीं होता. यही कारण है कि करीब 500 सालों में एक बार भी बावड़ी का पानी नहीं सूखा है. भीषण गर्मी में जहां छोटे-बड़े जल स्रोत सूख जाते हैं लेकिन हॉट मैदान स्थित मुख्य दरगाह पर मौजूद बावड़ी कभी नहीं सूखती है. यह भीषण गर्मी के दिनों में भी बाकी मौसमों की तरह ही लबालब भरी रहती है. लोग इसे बाबा का चमत्कार मानते हैं.
बता दें कि इस दरगाह को लेकर आस-पास के लोगों के बीच खासा श्रद्धा है. दूर-दूर से लोग यहां आते हैं. दरगाह में अपनी मनोकामना मांगते हैं. यहां की 500 साल पुरानी बावड़ी भी लोगों के बीच चमत्कार को लेकर चर्चा में है.