पटना: शुरू होने के पहले नाराज नेताओं की फौज लगभग हर दल में थी। इनमें से कई विधायक थे, जो लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे।कुछ ऐसे भी सीटिंग सांसद थे, जिनका अपने दल से टिकट मिलना असंभव लग रहा था। पर जो किस्मत के धनी थे, उन्हें अपने मन मुताबिक मुकाम मिला, पर कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें न तो माया मिली न राम। आइए जानते हैं ऐसे राजनीतिक चितेरे को जो किसी न किसी तरह से प्रमुख दलों से टिकट प्राप्त करने में सफल हुए।बीमा भारतीबीमा भारती उन सफल विधायकों में से एक हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए जेडीयू से नाता तोड़ा और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की छत्र छाया में राजनीत को विस्तार देने का काम किया। जेडीयू से राजद में आने पर लालू यादव ने बीमा भारती को पुरस्कार स्वरूप लोकसभा का टिकट थमाया। ये वही बीमा भारती हैं, जिन्होंने मंत्री नहीं बनने पर सीएम नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला। तब बीमा भारती, लेसी सिंह के मंत्री बनाए जाने पर अपने गुस्से का इजहार किया और पूछा कि मुझमें क्या कमी हैं, जो मुझे मंत्री नहीं बनाया गया।अजय निषादअंततः अजय निषाद अब मुजफ्फरपुर लोकसभा से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ेंगे। दरअसल अजय निषाद भाजपा के सीटिंग सांसद थे। वर्ष 2019 की लोकसभा चुनाव में लगभग 6 लाख से ज्यादा वोट मिले। तब इन्होंने वीआईपी के उम्मीदवार राज भूषण निशाद को लाखों वोट से हराया। स्थितियां ऐसी पलटी कि भाजपा के सीटिंग सांसद अजय निषाद का इस बार टिकट कट गया। मुजफ्फरपुर से भाजपा ने राज भूषण निशाद को उम्मीदवार बनाया। टिकट से वंचित अजय निषाद कांग्रेस की शरण में गए और भाजपा के विरुद्ध ताल ठोक रहे हैं।राज भूषण निषादगत लोकसभा चुनाव 2019 में राजभुषण निषाद मुजफ्फरपुर लोकसभा से वीआईपी के उम्मीदवार थे। इस चुनाव में वीआईपी के उम्मीदवार राज भूषण चौधरी ने वीआईपी से नाता तोड़ा और भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। भाजपा ने वीआईपी छोड़ने का पुरस्कार मुजफ्फरपर की टिकट के रूप में मिला।लवली आनंदलवली आनंद भी उन नेताओं में शामिल हैं, जो पार्टी बदली और आज शिवहर लोकसभा से चुनाव लड़ रही हैं। दरअसल, शिवहर लोकसभा सीट से भाजपा के सीटिंग सांसद रमा देवी का टिकट कट गया। यह सीट समझौता में जीवी जनता दल यू को चला गया। इस बीच लवली आनंद ने राजद से नाता तोड़ जेडीयू की सदस्यता ग्रहण की और आज शिवहर से उम्मीदवार बन विपक्ष को टक्कर दे रही हैं।सन्नी पासवानसन्नी पासवान भी उन भाग्यशाली उम्मीदवार हैं, जिन्होंने ऐन मौके पर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की और आज उम्मीदवार बन लोजपा को चुनौती दे रहे हैं। सन्नी पासवान जेडीयू के मंत्री महेश्वर हजारी के बेटे हैं। हालांकि महेश्वर हजार पहले लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान से मिले। पर वहां बात नही बनी तो कांग्रेस की शरण में गए। अब वे समस्तीपुर लोकसभा से लोजपा की शांभवी चौधरी के विरुद्ध चुनाव लड़ रहे हैं। शांभवी चौधरी भी उन्हीं भाग्यशाली में से जिन्होंने इधर पार्टी ज्वाइन कि और उधर टिकट पक्का हो गया। शांभवी चौधरी जेडीयू के मंत्री अशोक चौधरी की बेटी हैं।अली अशरफ फातमीकुछ दिन पहले जेडीयू छोड़ने वाले वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री अली अशरफ फातमी ने लालू प्रसाद से मिलकर राजद की सदस्यता ले ली। फातमी के साथ ही उनके पुत्र फराज फातमी भी राजद में शामिल हो गए हैं। फातमी ने इस मौके पर कहा ये उनकी राजद में सदस्यता नहीं घर वापसी है। फातमी मधुबनी लोकसभा से चुनाव लड़ रहे हैं।मुन्ना शुक्लामुन्ना शुक्ला भी ऐन मौके पर राजद की सदस्यता ली और वैशाली से उम्मीदवार बने। इसके पहले वर्ष 2004 लोकसभा का चुनाव निर्दलीय लड़े और चुनाव हार गए। 2009 में एक बार फिर जेडीयू की टिकट पर लड़े और चुनाव हार गए। वर्ष 2024 लोकसभा का चुनाव मुन्ना शुक्ला इस बार राजद की टिकट पर लड़े रहे हैं। उनकी सीधी टक्कर लोजपा की सीटिंग सांसद वीणा देवी से होनी है। विजय लक्ष्मी कुशवाहाजेडीयू ने लोकसभा चुनाव 2024 में जिन दो महिलाओं को टिकट दिया है, उनमें शिवहर से लवली आनंद और सिवान से विजय लक्ष्मी कुशवाहा हैं। दरअसल जेडीयू ने सिवान की सीटिंग सांसद कविता सिंह को बेटिकट कर दिया। इनकी जगह पर जेडीयू नेतृत्वकर्ता ने हाल ही में शामिल विजय लक्ष्मी कुशवाहा को सिवान का उम्मीदवार बनाया है। विजय लक्ष्मी कुशवाहा सिवान के जीरादेई से पूर्व विधायक और आरएलएम के प्रदेश अध्यक्ष रमेश सिंह कुशवाहा की पत्नी हैं।आकाश प्रसाद सिंहबिहार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के बेटे आकाश प्रसाद सिंह महाराजगंज से खम ठोकेंगे। गत लोकसभा चुनाव पूर्वी चंपारण से भाजपा उम्मीदवार राधामोहन सिंह के विरुद्ध लड़ा था। इस बार आकाश कांग्रेस की टिकट पर भाजपा के उम्मीदवार जनार्दन सिंह सिग्रीवाल के विरुद्ध लड़ना है।