नई दिल्ली: दिल्ली कभी देखी नहीं थी। दूरदराज के गांव-देहात में पली बढ़ीं। वहीं कुछ सपने बुने। ये नींद में देखे गए सपने नहीं थे। जागती आखों की वो उम्मीदें थीं, जिन्होंने गांव के कच्चे-पक्के रास्तों पर दौड़कर सुबह शाम टप-टप पसीने को बहाया। साधन-संसाधनों के अभाव में संघर्ष किया। आज गांव की उन पगडंडियों पर कामयाबी के निशान छोड़कर ये लड़कियां दिल्ली पुलिस की ‘19 फ्रंट लाइन शार्प शूटर’ हैं। 2018 बैच की ये 19 कॉन्स्टेबल अब ‘मार्क्सविमेन’ हैं। स्पेशल सेल की स्वाट कमांडो होना फख्र की बात तो है ही, उससे भी ज्यादा इनमें खतरों से खेलने का जोश भरती है ‘मार्क्सविमेन’ की खास पहचान। पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा की पहल पर दिल्ली पुलिस में यह पहली बार स्वाट कमांडो में ‘19 मार्क्सविमेन’ टुकड़ी तैयार हुई है। यह टुकड़ी G20 के मेहमानों की सुरक्षा में फ्रंट लाइन पर रहेगी।देशभर की लड़कियों के मिशाल हैं ये वीर बेटियांगांव से हौसलों के पंख लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक की दूरी तय करने वाली ये लड़कियां आज अपने ही परिवार और इलाके में बाकी लड़कियों के लिए मिसाल हैं। नाम है सविता, अमृता, शिल्पा, कविता, गुड्डी, निशा, वैशाली, किरण, प्रोमिला, जुनू बारो, कल्पिता, गुलशन, सुचित्रा, मंजू, मोनिका, सपना, रिंकू, रूली रानी और सुखवंती। सभी 2018 बैच की कॉन्स्टेबल भर्ती हैं।’कभी नहीं देखी थी दिल्ली’इन्हीं में से बागपत जिले के एक गांव की रहने वाली कमांडो निशा ने बताया, उनके पिता एक किसान हैं। घर में कोई और जॉब में नहीं है। वही अकेली दिल्ली पुलिस में हैं। दिल्ली कभी देखी नहीं थी, आज स्वाट कमांडो में रहते हुए आईटीबीपी से एडवांस शार्प शूटिंग ट्रेनिंग से गौरवान्वित हूं। सहारनपुर जिले के एक गांव की कमांडो वैशाली का कहना है, पापा गांव में खेती-बाड़ी करते हैं। बच्चों में वे घर में सबसे बड़ी हैं। परिवार में सरकारी जॉब करने वाली पहली वे ही हैं।’कभी नहीं सोचा था दिल्ली पुलिस में भर्ती हो पाऊंगी’मुजफ्फरनगर जिले के एक गांव की कमांडो किरण का कहना है कि गांव में सुबह शाम फिजिकल की तैयारी करते थे, तो किसी को भरोसा ही नहीं होता था कि मैं दिल्ली पुलिस में भर्ती हो पाऊंगी। मगर, हमने कर दिखाया। हमें अलग-अलग हथियारों का इस्तेमाल करके शूटिंग करने और दिन और रात के दौरान भी सटीक निशाना लगाने के लिए ट्रेंड किया गया है।’नौकरी मिली तो गांव में बांटी मिठाई’बागपत की ही कमांडो सपना के पिता भी किसान हैं। वे बताती हैं, जब जॉइनिंग लेटर आया। गांव में मिठाई बांटी गई। यह मेरे लिए बहुत अलग अनुभव था। दिल्ली पुलिस जॉइन करने के बाद जब वह पहली बार दिल्ली के बाहर कमांडो ट्रेनिंग ले रही थीं, तो यह गांव-परिवार में सबके लिए फख्र की बात थी।’पिता करते थे मजदूरी’हरियाणा के हिसार की कमांडो सुखवंती ने बताया कि, मेरे पापा मजदूरी करते थे। अभाव में जीवन गुजारा है। परिवार में मेरी ही सरकारी जॉब लगी। मैंने अपनी सैलरी से पैसे जोड़कर सबसे पहले पिता के लिए एक फर्नीचर की शॉप खुलवाई। अब छोटे भाई की पढ़ाई का खर्चा उठा रही हूं।सिक्के जैसे टारगेट पर 300 फीट की दूरी से अचूक निशानास्पेशल सेल (स्वाट कमांडो) के डीसीपी इंगित प्रताप सिंह ने बताया, जी20 समिट भारत के लिए बहुत गर्व की बात है, इसका मुख्य आयोजन सितंबर के पहले सप्ताह में है। जिसे देखते हुए आतंकवाद से निपटने के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। SWAT यानी (Special Weapons and Tactics) कमांडो आतंकवाद विरोधी एक्शन में सबसे आगे हैं। स्वाट में 200 कमांडो हैं। उन कमांडो में से सिलेक्ट हुईं ये 19 लड़कियां मार्क्सविमेन हैं। एसीपी पूर्णिमा, इंस्पेक्टर गणेश के सुपरविजन में मध्य प्रदेश, करेरा के आईटीबीपी कमांडो ट्रेनिंग सेंटर से 19 लड़कियां ट्रेंड हुई हैं। इनकी खासियत है कि 300 फीट की दूरी से सिक्के के बराबर 4 सेंटीमीटर के टारगेट पर अचूक निशाना लगा सकती हैं। लड़कियां ही क्यों? इस सवाल पर डीसीपी इंगित प्रताप सिंह ने कहा, चूंकि लड़कियां धैर्यशील होती हैं। उनके उत्साह को बढ़ाना है। 19 लड़कियों की टुकड़ी जी-20 के लिए तैयार की है। ये राष्ट्राध्यक्षों और मेहमानों के सुरक्षा घेरे के आसपास तैनात रहेंगी। कुछ भी संदिग्ध दिखाई देने पर फुर्ती से एक्शन में होंगीं।