नई दिल्ली: बीमारी का पता लगाने के लिए कई तरह के ब्लड टेस्ट किए जाते हैं। कई बार ये इतने महंगे होते हैं कि इसका खर्चा उठा पाना गरीब आदमी के बस बात नहीं होती है। लेकिन जल्दी ही यह स्थिति बदलने वाली है। आईआईटी खड़गपुर में ऐसी टेक्नीक विकसित की जा रही है जिससे ब्लड टेस्ट की लागत मात्र 10 रुपये रह जाएगी। आईआईटी खड़गपुर में प्रोफेसर सुमन चक्रवर्ती ने कहा कि उनकी टीम ने ऐसी टेक्नीक्स डेवलप की हैं जो ग्रामीण इलाकों में हेल्थकेयर के क्षेत्र में क्रांति ला सकती हैं। इससे बीमारियों का समय रहते पता लगाया जा सकता है। इसमें काफी कम खर्च आता है और ब्लड टेस्ट की कीमत 19 रुपये तक आ सकती है। इसमें ब्लड टेस्ट के लिए मेडिकल लैबोरेटरी की भी जरूरत नहीं पड़ती है। प्रोफेसर चक्रवर्ती को पिछले साल इंजीनियरिंग एंड कंप्यूटर साइंस में इन्फोसिस प्राइस 2022 से नवाजा गया था। प्रोफेसर चक्रवर्ती ने टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ एक इंटरव्यू में कहा, ‘अभी हेल्थकेयर वन-डाइमेंशनल प्रैक्टिस है। मैं इस स्थिति के बदलना चाहता हूं। मैं साइंस और टेक्नोलॉजी को जोड़कर ऐसी तकनीक विकसित करना चाहता हूं जिनका इस्तेमाल आसानी से किया जा सकेगा और उनकी लागत बहुत कम है। इससें एक्यूरेसी के साथ कोई समझौता नहीं होगा।’ उन्होंने कहा कि उनका फोकस डायग्नॉस्टिक टेक्नोलॉजी पर है। अगर जांच की सुविधा नहीं होगी तो बीमारियों का पता नहीं लग पाएगा। हम शुरुआती स्तर पर बीमारियों का पता लगाना चाहते हैं। कैसे काम करेगी यह तकनीकउन्होंने कहा कि किसी भी बीमारी का पता लगाने के लिए हम रूटीन ब्लड टेस्ट करते हैं। इसके अलावा केएफटी, एलएफटी और कंप्लीट ब्लड काउंट टेस्ट होता है। ये सारे टेस्ट कॉमन हैं। परंपरागत व्यवस्था में ब्लड सैंपल लिया जाता है और इसे लैब में भेज दिया जाता है। वहां महंगी मशीनों पर टेस्ट किया जाता है। लेकिन हमारा टेस्ट काफी सस्ता है। इसका तरीका बेहद आसान है। मान लीजिए आपको हीमोग्लोबिन टेस्ट करना है। आप ब्लड की कुछ बूंदें एक पेपर पर डालते हैं जिसमें पहले से रीजेंट होता है। पेपर ब्लड को सोखता है। कुछ ही देर में इसका रंग बदल जाता है। अगर किसी के खून में ज्यादा हीमोग्लोबिन है तो खून का रंग ब्लू ग्रीन हो जाएगा और अगर किसी को एनीमिया है तो खून का रंग हल्का होगा।प्रोफेसर चक्रवर्ती ने कहा कि ब्लड शुगर टेस्ट के मामले में खून में कंटेंट ज्यादा होने पर पेपर पर रेड ब्राउन कलर दिखेगा। अब हमें इस टेस्ट को ऑब्जेक्टिव टेस्ट में बदलने की जरूरत होगी। हम स्मार्टफोन की मदद से ऐसा कर सकते हैं। हमने पहले ही कई टेस्ट के डेटा रखे हैं। जब पेपर का कलर स्मार्टफोन पर अपलोड किया जाता है तो हम इमेज एनालिसिस अल्गॉरिद्म्स का इस्तेमाल करते हैं। इसे एक मोबाइल एप के जरिए लागू किया जा सकता है।