नई दिल्ली : को लेकर सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों की लड़ाई दिलचस्प होती जा रही है। जिस तरह से बीजेपी ने हिमाचल प्रदेश और यूपी में अपना एक-एक अतिरिक्त उम्मीदवार उतारकर राज्यसभा चुनाव को चुनावी मैदान में बदल दिया है, उससे कई राज्यों में विपक्षी सीटें फंसती दिख रही हैं। बीजेपी के इस दांव से हिमाचल में अभिषेक मनु सिंघवी की सीट फंस सकती है। वहीं दूसरी ओर यूपी में एसपी की एक सीट फंस सकती है। इसके अलावा, महाराष्ट्र में भी कांग्रेस की एकमात्र सीट पर खतरा मंडरा रहा है। अगर कांग्रेस में और टूट होती है तो वहां कांग्रेस उम्मीदवार चद्रकांत हंडोरे फंस सकते हैं। हिमाचल प्रदेश में बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा का कार्यकाल खत्म होने से एक सीट खाली हुई है। इस बार प्रदेश में बीजेपी के पास संख्याबल न होने के चलते नड्डा हिमाचल की जगह गुजरात से मैदान में हैं। हिमाचल में मुकाबला होना तयदूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी को टिकट दिया है। यहां से एक सीट के लिए बीजेपी ने कांग्रेस के ही एक बागी और कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे हर्ष महाजन को मुकाबले में उतार दिया है। ऐसे में यहां मुकाबला होना तय है। हालांकि मौजूदा अंक गणित के हिसाब से कांग्रेस के पास जीतने के लिए पर्याप्त संख्याबल है। 68 सदस्यीय असेंबली में कांग्रेस के 40 विधायक हैं, जबकि बीजेपी के 25 विधायक। जबकि तीन निर्दलीय विधायक हैं। इनमें से एक निर्दलीय कांग्रेस और दो निर्दलीय विधायक बीजेपी के बागी हैं। यहां जीत के लिए 34 विधायक चाहिए। कांग्रेस के पास जीत के लिए आंकड़ा है। लेकिन जिस तरह से कांग्रेस के भीतर असंतोष सामने आ रहा है, उसे देखते हुए वहां क्रॉस वोटिंग का खतरा नजर आ रहा है। वैसे भी क्रॉस वोटिंग कांग्रेस का पुराना इतिहास रहा है। कांग्रेस को डर है कि बीजेपी अपने धन बल या बाहुबल के प्रयोग से कांग्रेस विधायकों पर दबाव बना सकती है। कर्नाटक का क्या है खेल?कनार्टक में चार सीटें हैं, जिनमें संख्याबल के हिसाब से तीन सीट कांग्रेस और एक सीट बीजेपी-जेडीएस गठबंधन के खाते की है। कांग्रेस ने यहां से अजय माकन, नासिर हुसैन और अनिल कुमार यादव को उम्मीदवार बनाया है। जबकि बीजेपी-जेडीएस ने मिलकर दो उम्मीदवार उतारे हैं। बीजेपी ने जहां नारायणसा बांगडे को उतारा है तो वहीं जेडीएस ने पूर्व राज्यसभा सदस्य डी.कुपेंद्र रेड्डी को अपना उम्मीदवार बनाया है। यहां 224 सदस्यीय असेंबली में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस के 135 विधायक हैं, जबकि उसे सर्वोदया कर्नाटक पक्ष के दर्शन पुत्तनियाह के साथ-साथ दो निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी हासिल है, जिनके बल पर वह तीन सीट पर अपना कब्जा बरकरार रख सकती है। दूसरी ओर बीजेपी के पास 66 और जेडीएस के पास 19 विधायक हैं। ऐसे में वे केवल एक सीट निकाल सकते हैं। चार उम्मीदवार होने पर जीत के लिए 45 नंबर चाहिए। लेकिन पांचवां उम्मीदवार होने से प्राथमिकता के आधार पर फैसला होगा, ऐसे में कांग्रेस फंस सकती है। यूपी में फंसेगा पेचयूपी में एसपी की एक सीट फंसना तय मानी जा रही है। 10 सीटों पर चुनाव होना है। आंकड़ों के हिसाब से सात सीटें बीजेपी और तीन एसपी की निकल रही हैं। यहां बीजेपी ने संजय सेठ के तौर पर अपना आठवां उम्मीदवार उतार दिया। आठवें उम्मीदवार को जिताने के लिए आठ विधायकों के वोट की ज़रूरत पड़ेगी। आरएलडी विधायकों को मिलाकर एनडीए के पास 288 वोटों का आंकड़ा है। जबकि एसपी को तीसरे उम्मीदवार को जिताने के लिए एक अतिरिक्त विधायक के वोट की ज़रूरत है, लेकिन एसपी के दो विधायक जेल में हैं। जबकि पल्लवी पटेल ने बागी तेवर अपना लिए हैं। एसपी-कांग्रेस को मिलाकर 110 विधायक हैं। ऐसे में एसपी को चार अतिरिक्त वोट की जरूरत पड़ेगी। यहां जीत के लिए उम्मीदवार को 37 वोट चाहिए। एनडीए के पास 279 सीटें हैं, आरएलडी के 9 मिलाकर कुल आंकड़ा 288 का बनता है। बीजेपी को आठवीं सीट के लिए आठ नंबर कम पड़ रहे हैं, जबकि एसपी-कांग्रेस को 111 वोट चाहिए। लेकिन एसपी में क्रॉस वोटिंग का खतरा मंडरा रहा है, क्योंकि सेठ एसपी से ही बीजेपी में गए हैं। ऐसे में सेठ से सहानुभूति रखने वाले एसपी विधायकों के क्रॉस वोटिंग का खतरा है।