नई दिल्ली: भारत में कई जगहें किसी न किसी खास बात के लिए मशहूर हैं। कोई शहर किसी खास हस्ती के लिए जाना जाता है, तो कोई किसी खास पकवान या उद्योग के लिए। लेकिन कुछ जगहें अपने अजीबोगरीब नाम के लिए भी जानी जाती हैं। आज हम आपको ऐसी ही एक जगह की कहानी बता रहे हैं। ये जगह देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में है। हम बात कर रहे हैं मुंबई के ‘नालासोपारा’ की। नालासोपारा का नाम आपने फिल्मों या धारावाहिकों मं जरूर सुना होगा। अगर इस इलाके का नाम सुनकर आप भी ये सोचते हैं कि ये किसी नाले के नाम पर पड़ा है, तो ऐसा नहीं है। नालासोपारा के नाम का किसी नाले से कोई संबंध नहीं है। इसकी कहानी कुछ और ही है।कैसे नाम पड़ा नालासोपारा?मुंबई में स्थित नालासोपारा का इतिहास हजार साल से भी पुराना बताया जाता है। कोरा वेबसाइट पर मुंबई के रहने वाले अनुराग मिश्रा ने इसके नाम की कहानी बताई है। उनके मुताबिक, इसके नाम के पीछे एक रोचक तथ्य जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि नालासोपारा की जड़े शुर्पारक से जुड़ी है। शुर्पारक महाराष्ट्र का एक साम्राज्य था जो भार्गव रामा(जिन्हें परशुराम के नाम से भी जाना जाता है) द्वारा खड़ा किया गया था, जिसका उल्लेख महाभारत में भी मिलता है। यहां शूर का अर्थ है बहादुर और पराका का मतलब शहर होता है। यानी इसका शाब्दिक अर्थ बहादुरों का शहर है। लेकिन धीरे-धीरे इसका नाम नालासोपारा पड़ गया। लेकिन आज भी कई लोग इसे सोपारा के नाम से जानते हैं।बौद्ध धर्म से है गहरा नातासोपारा इलाके का बौद्ध धर्म से भी गहरा नाता है। पाली साहित्य में इसके प्रमाण मिलते हैं कि ये बौद्ध भिक्षुओं का केंद्र रहा था। यहां सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए स्तूप भी हैं। ये स्तूप पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित हैं। पुरातत्व विभाग को यहां बुद्ध और साथ में एक अन्य बौद्ध भिक्षु की मूर्ति भी थी। यहां से मिले बौद्ध मूर्तियां और शिलालेख औरंगाबाद के म्यूजियम में संरक्षित रखे गए हैं। बौद्ध के अलावा ये जगह जैन और हिन्दू धर्म स्थलों के लिए भी खास थी।दो अलग-अलग गांव थे नाला और सोपाराऐसा बताया जाता है कि नाला और सोपारा दो अलग-अलग गांव थे। लेकिन मुंबई के विस्तार होने पर ये शहर में आ गए और धीरे-धीरे पूरे इलाके को नालासोपारा कहा जाने लगा। ये इलाका पहले पश्चिमी घाट का एक बड़ा व्यापारिक केंद्र था। विदेशी व्यापार के लिए ये प्रमुख बंदरगाहों में से एक था। इस बंदरगाह से अरब, अफ्रीका, मिस्र और रोम के साथ व्यापार किया जाता था।क्या-क्या है घूमने की जगह?अब ये इलाका मुंबई के सबसे बिजी एरिया में से एक है। यहां आप लोकल ट्रेन से आसानी से पहुंच चुके हैं। नालासोपारा रेलवे स्टेशन भी काफी प्रसिद्ध है, ये मुंबई से चार सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशनों में गिना जाता है। इसकी स्थापना साल 1920 में हुई थी। यहां चक्रेश्वर महादेव मंदिर है, जो देश के प्रसिद्ध शिव मंदिरों में से एक है। देशभर से हर साल लाखों भक्त यहां आते हैं। ये वही जगह है जहां स्वामी समर्थ ने राम मंदिर के लिए ध्यान किया था। ये मंदिर चकेश्वर झील के किनारे स्थित है। इसके अलावा राजोडी बीच, कालंब बीच से समुद्र का नजारा लेने के लिए यहां जाया जा सकता है।