उत्तराखंड के हल्द्वानी में 4 हजार से ज्यादा घरों को तोड़ने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर की गई याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। कहा गया है कि यह घर रेलवे की जमीन पर बने हैं। रेलवे ने यह मुकदमा हाईकोर्ट में जीत लिया था। ऐसे में कई दशकों से यहां रह रहे करीब 50 हजार लोगों की मुश्किलें बढ़ गईं। अब सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं।
उधर, इस कड़ाके की सर्दी में हल्द्वानी के बनभूलपुरा और गफूर बस्ती में रेलवे की करीब 70 एकड़ जमीन से करीब चार हजार से ज्यादा घरों को हटाने के लिए रेलवे, पुलिस और प्रशासन ने कमर कस ली है। इसके लिए आरपीएफ समेत पीएसी की कंपनियां को भी बुलाया गया है।
मामले में अतिक्रमणकारियों को रेलवे नोटिस जारी कर चुका है। पूर्वोत्तर रेलवे ने नोटिस जारी करते हुए कहा है कि 7 दिन के अंदर जगह खाली कर दें, नहीं तो जबरदस्ती अतिक्रमण हटाएगा। उस पर आने वाला खर्च कब्जेदारों से वसूला जाएगा। अतिक्रमण तोड़ने के दौरान अगर गिरफ्तार करने की नौबत आई, तो इसके लिए ऊधमसिंह नगर में जेल बनाने की योजना बनाई जा रही है।
नोटिस जारी होने से एक दिन पहले रेलवे की टीम ने पुलिस-प्रशासन की मौजूदगी में बनभूलपुरा अतिक्रमण क्षेत्र की ड्रोन मैपिंग की। सिटी मजिस्ट्रेट ऋचा सिंह ने बताया कि दो घंटे तक ड्रोन से काम किया गया, जिसके बाद रेलवे ने अपनी भूमि से जुड़े सभी हिस्सों की मैपिंग पूरी कर ली। ड्रोन के माध्यम से भवनों की पूरी फोटो और वीडियोग्राफी हो चुकी है। ऊधमसिंह नगर में जेल बनाने की योजना इस जमीन पर कौन रहता है? रिपोर्ट के अनुसार, यहां रहने वाले लोग 90 फीसदी मुस्लिम हैं।
स्थानीय निवासियों के मुताबिक, यहां पांच वार्ड हैं और करीब 25,000 मतदाता हैं। बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओं और बच्चों की संख्या 15,000 के करीब है। 20 दिसंबर के हाईकोर्ट के आदेश के बाद समाचार पत्रों में नोटिस जारी किए गए थे, जिनमें लोगों को 9 जनवरी तक अपना घरेलू सामान हटाने का निर्देश दिया गया था। प्रशासन ने 10 एडीएम और 30 एसडीएम-रैंक के अधिकारियों को प्रक्रिया की निगरानी करने का निर्देश दिया है।