मॉस्को: रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया तीसरे विश्व युद्ध के कगार पर पहुंचती जा रही है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ऐलान किया है कि रूस बिना लक्ष्यों को पाए यूक्रेन से पीछे नहीं हटेगा। उधर, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि पश्चिमी देश और नाटो यूक्रेन की सहायता से पीछे नहीं हटेंगे। पुतिन ने जो बाइडेन के यूक्रेन दौरे के जवाब में न्यू स्टार्ट संधि से बाहर निकलने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि रूस अब तेजी से परमाणु हथियारों की रेस में जुटेगा। उन्होंने यह भी बोला था कि रूस परमाणु परीक्षण से भी पीछे नहीं हटने वाला। उनकी इस धमकी को पूरी दुनिया में काफी गंभीरता से लिया जा रहा है। रूस के पास दुनिया का सबसे शक्तिशाली परमाणु बम है। अगर पुतिन ने अपने इस हथियार का इस्तेमाल किया तो पूरा का पूरा यूक्रेन खत्म हो सकता है।यूक्रेनी ड्रोन ने रूस को और भड़कायाइस बीच एक यूक्रेनी ड्रोन को रूस की राजधानी मॉस्को के पास मार गिराया गया है। रूस ने इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताते हुए करारा जवाब देने की बात की है। दरअसल, युद्ध के शुरुआती दो महीनों के बाद रूसी सेना ने यूक्रेन की राजधानी कीव की घेराबंदी छोड़ डोनबास पर ही अपना ध्यान केंद्रित किया था। तब से लेकर यूक्रेन ने सिर्फ अपने इलाके में ही रूसी सेना पर हमले किए थे। यह हमला बताता है कि यूक्रेन अब रूस के अंदर घुसकर हमला करने की तैयारी में है। ऐसे हमलों से पुतिन का चिढ़ना तय माना जा रहा है। पुतिन पहले भी रूसी संप्रभुता को लेकर काफी सख्त बयान दे चुके हैं। ऐसे में ड्रोन के मार गिराए जाने से रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर संकट और ज्यादा बढ़ गया है।रूस के पास परमाणु बमों का राजाआज से 60 साल पहले रूस ने दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु परीक्षण किया था। यह बम इतना शक्तिशाली है कि पूरे के पूरे शहर को मिट्टी में मिला सकता है। इसकी चपेट में आने से एक झटके में लाखों लोगों की मौत हो सकती है। इस बम का नाम जाप बॉम्बा () है। इसका परीक्षण अब तक का सबसे शक्तिशाली मानव निर्मित विस्फोट था। इस बम में हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम की तुलना में 3300 गुना अधिक ऊर्जा उत्पन्न हुई थी। इस घटना का एक वीडियो भी जारी हुआ था, जिसमें रूसी वैज्ञानिक 1961 में रूस के आर्कटिक क्षेत्र में एक दूर दराज के द्वीप पर भयानक परमाणु परीक्षण करते दिखे थे। अमेरिका से मुकाबले के लिए किया था निर्माण जार बॉम्बा को बमों का राजा भी कहा जाता है। यह एक प्रायोगिक वॉरहेड का उपनाम था, जिसे शीत युद्ध के दौरान टेस्ट किया गया था। इसे आधिकारित तौर पर प्रोडक्ट 602 भी कहा जाता है। इसका कोड नेम इवान है। इस महाशक्तिशाली थर्मोन्यूक्लियर बम को सोवियत वैज्ञानिकों ने अमेरिका का मुकाबला करने के लिए डिजाइन किया था। यह बम 26 फीट लंबा, 7 फीट चौड़ा और 27 टन वजनी था। यह इतना बड़ा है कि किसी रूसी परमाणु बमवर्षक में फिट नहीं हो सकता है। 2020 में डिक्लासिफाइड हए एक गुप्त वीडियो फुटेज से पता चलता है कि इसका सिर्फ एक बार परीक्षण स्पेशल मोडिफाइड किए गए टीयू-95 बमवर्षक से नीचे गिराकर दिया गया था।माउंट एवरेस्ट से सात गुना ऊपर तक बना था मशरूम बादल30 अक्टूबर, 1961 को टीयू-95 के चालक दल ने जार बॉम्बा को रूस के सुदूर उत्तर में सेवर्नी द्वीप पर काफी ऊंचाई से छोड़ा था। जमीन से 2.4 मील ऊपर फटने से पहले एक पैराशूट ने इस बम के गिरने की गति को धीमा कर दिया। जब यह बम फटा तो 630 मीटर की दूरी तक अंधा कर देने वाली एक चमक दिखाई दी। फुटेज में धूल और मलबे के मशरूम वाले बादल बनते नजर आए, जिसकी ऊंचाई 42 मील मापी गई थी। यह दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट से भी सात गुना ज्यादा है। धरती को चकनाचूर करने वाली शॉकवेव को 34 मील दूरी तक महसूस किया गया। इतने इलाके में आने वाली हर इमारत धूल में मिल गई थी। 1000 मील दूर घरों की खिड़कियां टूटीकहा जाता है कि इस परमाणु बम के विस्फोट स्थल से 1,000 मील से अधिक दूर नॉर्वे और फिनलैंड में कई मकानों की खिड़कियां टूट गई थीं। रिपोर्टों के अनुसार, जिस टीयू-95 बॉम्बर से इस परमाणु बम को गिराया गया था, उस पर पायलट और को-पायलट समेत नौ लोग सवार थे। विस्फोट से पहले उनके सुरक्षित बचने की संभावना 50 फीसदी ही आंकी गई थी। इन पायलटों को बता दिया गया था कि आप लोगों की मौत भी हो सकती है। बम फटने के समय यह विमान 24 मील दूर चला गया था, लेकिन शॉकवेव ने इस विमान को आधा मील नीचे गिरा दिया था। इसके बावजूद यह विमान सुरक्षित रूप से जमीन पर लैंड करने में सफल रहा था। 50 मेगा टन ऊर्जा हुई थी पैदाएक दूसरे विमान पर इस परीक्षण की निगरानी करने के लिए पांच वैज्ञानिकों को बैठाया गया था। इन दोनों विमानों पर विकिरण को परावर्तित करने के लिए एक विशेष सफेद रंग का पेंट किया गया था। मापन से पता चला कि जार बॉम्बा के विस्फोट से पैदा हुई ऊर्जा 50 मेगाटन थी, जो 50 मिलियन टन टीएनटी के बराबर है। लेकिन, अगर जॉर बॉम्बा को कभी किसी निर्मित क्षेत्र पर गिराया गया होता, तो परिणाम विनाशकारी होते। इतिहासकार एलेक्स वेलरस्टीन के बनाए गए एक उपकरण न्यूक मैप के अनुसार, आज लंदन में 50 मेगाटन का विस्फोट 5.8 मिलियन लोगों को मार देगा और अन्य 3.4 मिलियन को घायल कर देगा।पिछले हफ्ते ही समरत मिसाइल का किया था टेस्टइस बम को याद कर ही पूरी दुनिया की नींद उड़ी हुई है। पुतिन ने पिछले हफ्ते ही आरएस-28 समरत मिसाइल का परीक्षण किया था। इस मिसाइल की रेंज 18000 किलोमीटर बताई जाती है। यह मिसाइल अपने साथ 15 परमाणु वॉरहेड को लेकर जाने में सक्षम है। इसके सभी वॉरहेड अलग-अलग निशानों को साध सकते हैं। रूस ने ऐसे 46 मिसाइल बनाने की योजना बनाई है। इस मिसाइल को इस साल के आखिर तक रूसी सेना में तैनात कर दिया जाएगा। इसे रूसी सेना की स्ट्रैटजिक रॉकेट फोर्सेज में तैनात करने की योजना है। 208 टन की यह मिसाइल 35.5 मीटर लंबी और 3 मीटर मोटी है। इस मिसाइल में तीन स्टेज का सॉलिड फ्यूल रॉकेट मोटर लगा हुआ है, जो लिक्विड प्रोपलेंट से चलता है।