पिछले करीब पांच महीने से कम दाम की मार झेल रहे महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक किसानों को थोड़ी राहत मिलती नजर आ रही है. दिवाली से पहले उनके चेहरे पर खुशी लौटी है, क्योंकि अब प्याज का दाम बढ़ने लगा है. जिससे उन्हें पिछले घाटे की भरपाई होने की उम्मीद जगी है. येवला, नासिक, कलवन, संगमनेर और कल्याण जैसी कई मंडियों में प्याज का दाम औसतन 15 रुपये प्रति किलो के पार पहुंच गया है. हालांकि, अब भी उनकी लागत नहीं निकल पा रही है लेकिन एक-दो या पांच रुपये किलो वाली बहुत बुरी स्थिति भी नहीं है.
किसानों को उम्मीद है कि दिवाली से पहले दाम और बढ़ सकता है. क्योंकि अब ज्यादातर किसानों का प्याज खराब होकर आधा रह गया है. जिससे आवक में कमी आएगी. ऐसे में दाम में इजाफा होने की संभावना अधिक होगी. महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक है. यहां देश का करीब 40 फीसदी प्याज पैदा होता है. लगभग 15 लाख किसान परिवार इसकी खेती से जुड़े हुए हैं. लेकिन, दुर्भाग्य से इस साल उन्हें पिछले पांच महीने से उन्हें लागत के मुकाबले बहुत कम दाम मिला है.
अच्छे दाम से किसान खुश लेकिन…
महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संगठन के संस्थापक अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि दाम में तेजी दिख रही है इससे किसान खुश हैं. लेकिन अब भी उनके नुकसान की भरपाई नहीं हो पाई है. क्योंकि इस साल पूरे सीजन में किसानों को उचित दाम नहीं मिला. व्यापारियों ने 1 से लेकर 8 रुपये प्रति किलो तक का ही दाम दिया. जो बेहद कम है. किसानों को कम से कम 30 रुपये प्रति किलो का दाम अगले छह महीने मिले तब जाकर उनके नुकसान की भरपाई होगी.
किस मंडी में कितना है प्याज का दाम
मुंबई मार्केट में न्यूनतम 1400 रुपये जबकि औसत दाम 1950 रुपये प्रति क्विंटल रहा.
धुले की साकरी मंडी में न्यूनतम दाम 500 जबकि औसत रेट 1850 रुपये प्रति क्विंटल रहा.
अमरावती मंडी में न्यूनतम दाम 1000 जबकि औसत मूल्य 1900 रुपये क्विंटल तक पहुंच गया.
ठाणे की कल्याण मार्केट में न्यूनतम दाम 2100 जबकि औसत भाव 2150 रुपये तक पहुंच गया.
नागपुर मंडी में न्यूनतम 1000 और औसत भाव 1750 रुपये प्रति क्विंटल रहा.
नासिक मंडी में न्यूनतम रेट 550 और औसत भाव 1650 रुपये रहा.
लासलगांव मंडी में न्यूनतम 800 जबकि औसत भाव 2060 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया.
(महाराष्ट्र स्टेट एग्रीकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक 11 अक्टूबर के दाम)
क्यों हो रहा है डबल नुकसान
दिघोले का कहना है कि जिन किसानों ने रबी सीजन के प्याज को स्टोर करके रखा था, उन्हें डबल नुकसान हुआ है. क्योंकि ज्यादातर किसानों का रखा हुआ 50 फीसदी के करीब सड़ चुका है. ऐसे में अब अगर 10 की बजाय 20 रुपये किलो भी दाम मिले तो भी किसानों को कोई फायदा नहीं होगा. क्योंकि आधा प्याज बर्बाद हो चुका है. ऐसे में कम से कम 30 रुपये का दाम मिले तब जाकर किसानों को राहत मिलेगी. हमें सरकार से कोई उम्मीद नहीं है. क्योंकि उसके एजेंडे में प्याज उत्पादक किसान हैं ही नहीं. सरकार के एजेंडे में प्याज के कारोबारी हैं. सरकार उन्हीं के हितों के लिए काम कर रही है.