‘आसमान नहीं टूट पड़ेगा’, जमानत पर रात 10 बजे तक बैठा सुप्रीम कोर्ट, SC में दोनों ओर से क्या दी गईं दलीलें

नई दिल्‍ली: सुप्रीम कोर्ट ने कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर शनिवार रात करीब सवा नौ बजे सुनवाई शुरू की। सीतलवाड़ ने गिरफ्तारी से अंतरिम राहत देने की गुहार लगाई थी। यह 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए साक्ष्य गढ़ने का मामला था। तीस्‍ता सीतलवाड़ इसमें आरोपी हैं। सीतलवाड़ को अंतरिम राहत देने पर दो न्यायाधीशों की अवकाश पीठ में मतभेद के बाद मामला तीन जजों की पीठ में गया। न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने विशेष बैठक में मामले की सुनवाई की। रात करीब 10 बजे सुप्रीम कोर्ट ने सीतलवाड़ की जमानत अर्जी मंजूर कर ली। इस दौरान तीखी दलीलें चलीं। आइए, जानते हैं कोर्ट में क्‍या-क्‍या हुआ। गुजरात हाईकोर्ट की ओर से नियमित जमानत याचिका खारिज किए जाने के तुरंत बाद सीतलवाड़ ने राहत के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। शाम के समय सुनवाई हुई तो दो जजों की पीठ में मतभेद हो गया। दो जजों की इस पीठ में न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्र शामिल थे। उन्‍होंने याचिका को बड़ी पीठ को भेज दिया। न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने केस पर रात करीब 10 बजे तक सुनवाई की। तीस्‍ता की ओर से एडवोकेट सीयू स‍िंंह ने रखा पक्षतीस्‍ता की ओर से सीनियर एडवोकेट सीयू सिंह पेश हुए। तीन जजों की पीठ से वह बोले कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल सितंबर में सीतलवाड़ को अंतरिम जमानत दी थी। उन्‍होंने अंतरिम बेल की किसी भी शर्त का उल्‍लंघन नहीं किया। गुजरात हाईकोर्ट को उनकी जमानत याचिका पर फैसला लेना था। हाईकोर्ट ने सीतलवाड़ को तुरंत सरेंडर करने के लिए कहा। साथ ही 30 दिन तक आदेश के अमल पर रोक लगाने के अनुरोध को भी मानने से इनकार कर दिया। तीस्‍ता के वकील ने इस बात को भी हाईलाइट किया कि केस में पिछले साल चार्जशीट दाखिल हुई थी। ट्रायल अब तक नहीं शुरू हुआ है। सॉल‍िस‍िटर जनरल ने जमानत का क‍िया व‍िरोधगुजरात सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। उन्‍होंने कहा कि सीतलवाड़ के साथ सामान्‍य नागरिक जैसा ही बर्ताव होना चाहिए। उनकी जमानत याचिका को खारिज किया जाना चाहिए। क्‍या आसमान टूट पड़ेगा अगर कुछ दिनों के लिए… हालांकि, गुजरात हाईकोर्ट ने सीतलवाड़ को जिस तरह तुरंत सरेंडर करने को कहा उस पर बेंच ने असहमति जताई। जस्टिस गवई ने कहा- सीतलवाड़ को कस्‍टडी में लेने की इतनी अर्जेंसी क्‍या है? क्‍या आसमान टूट पड़ेगा अगर कुछ दिनों के लिए अंतरित सुरक्षा दे दी जाएगी? हाईकोर्ट ने जो किया उसने हमें चौंकाया है। ऐसी अर्जेंसी क्‍या है?