जितना पुराना रोटी-बेटी का रिश्‍ता उतना ही गहरा काली नदी विवाद, भारत-नेपाल टेंशन में चीन का एंगल

देहरादून: रविवार को पिथौरागढ़ () जिले के धारचूला में सीमावर्ती नेपाल की ओर से भारतीय सीमा में पथराव किया गया। इसमें कई मजदूर घायल हो गए। इसके पीछे विवाद () है। भारत और नेपाल के बीच जितना पुराना रोटी और बेटी का रिश्ता है उतना ही गहरा विवाद काली नदी के उद्गम स्थल को लेकर है। सुगौली समझौते के अनुसार नेपाल की पश्चिमी सीमा पर भारत से सीमा का निर्धारण काली नदी से हुआ। इसके मुताबिक, काली नदी का पश्चिमी इलाका हिंदुस्तान है और पूर्वी इलाका नेपाल है।

काली नदी का उद्गम स्थल कहां है इसे लेकर दोनों देशों के बीच विवाद रहा है। नेपाल का दावा है कि काली नदी लिंपियाधुरा से शुरू होती है तो उसके नीचे का पूरा इलाका उसका है। लिंपियाधुरा के नीचे के इलाके में लिपुलेख और कालापानी है। नेपाल इन तीनों पर अपना दावा करता है जबकि भारत नदी का उद्गगम कालापानी से मानता है, ऐसे में सीमा कालापानी से शुरू होती है। नदी के रास्ते में हर साल कुछ न कुछ बदलाव होता रहता है जिस कारण सीमा का एकदम सटीक निर्धारण भी नहीं हो पा रहा है।

पथराव में नेपाली मजदूर घायल हुआ

इसी के चलते यहां हमेशा विवाद होता रहता है।
। पथराव में जिसमें नेपाल का मूल निवासी मजदूर संतोष कुमार घायल हो गया। संतोष मजदूरी करने भारत आया था। कुछ और स्थानीय लोग भी घायल हुए हैं। तब नेपाल पुलिस और एसएसबी के बीच हुई वार्ता के बाद काम शुरू हो गया था।

नेपाल गई बारात फंस गई थी

देर शाम फिर से पथराव शुरू हो गया। तब सयुंक्त मजिस्ट्रेट दिवेश शाशनी ने मौके पर पहुंच कर निरीक्षण किया साथ ही नेपाल के जिलाधिकारी से भी वार्ता की। साथ ही एक बैठक नेपाल के साथ करने की बात भी कही। घटनाक्रम के बाद दोनों देशों के बीच पुल से होने वाली आवाजाही तो बंद कर दी गई थी। इस दौरान नेपाल गई बारात वहीं फंस गई थी। इसके अलावा भारत के अन्य कई लोग भी नेपाल में ही फंस गये थे। एसएसबी और नेपाल पुलिस की बातचीत के बाद देर शाम पुल से आवाजाही खोल दी गई और तब नेपाल में फंसे लोग वहां से वापस भारत आए।

चीन को होता है ऐतराज

उत्तराखंड के पिथौराढ़ जिले में स्थित कालापानी भारत-नेपाल-चीन के बीच रणनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण ट्राई-जंक्शन है। कालापानी से भारत चीनी सेना पर बड़ी ही आसानी से नजर रख सकता है। भारत ने पहली बार 1962 के युद्ध में यहां सेना तैनात की थी। इन दिनों यहां भारत-तिब्बत सीमा पुलिस तैनात है। यह भी उल्लेखनीय है कि मानसरोवर जाने के लिए तीर्थयात्री लिपुलेख दर्रे से हो कर जाते हैं। वर्ष 1962 में चीन के हमले के बाद भारत ने लिपुलेख दर्रे को बंद कर दिया था लेकिन 2015 में चीन के साथ व्यापार और मानसरोवर यात्रा को सुगम बनाने के लिए इसे दोबारा खोला गया। मई 2020 में भारत ने कैलाश मानसरोवर यात्रा को सुगम बनाने के लिए पिथौरागढ़ से लिपुलेख दर्रे तक 80 किमी लंबी नई सड़क का उद्घाटन किया था, जिसे लेकर नेपाल ने नाराजगी जताई थी। जिसके बाद एक और नया विवाद खड़ा हो गया था। यह भी माना जाता है कि नेपाल को उकसाने के पीछे चीन का हाथ है।

इतना जरूर है कि भारत और नेपाल के बीच होने वाले विवाद के कारण उन लोगों के लिए समस्या खड़ी हो जाती है जिन परिवारों के बच्चों की शादियां इन दोनों देशों में हुई हैं। वे लोग न तो अपने रिश्ते निभा पाते हैं और न ही दुश्मनी ही रख पाते हैं। (रिपोर्ट: रश्मि खत्री)