जकार्ता: दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम देश इंडोनेशिया के नए राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिआंतो चुने गए हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक सुबिआंतो के सत्ता में आने के बाद अब भारत के साथ रिश्ते और मजबूत हो सकते हैं। इंडोनेशियाई राष्ट्रपति चुने गए सुबिआंतो देश के रक्षा मंत्री रह चुके हैं और विशेषज्ञों के मुताबिक भारत के साथ रक्षा संबंधों को वह मजबूत करना चाहते हैं। सुबिआंतो ने फिलीपीन्स की तरह से ही भारत की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस को खरीदने की इच्छा जताई है। यही नहीं सुबिआंतो अब इंडोनेशिया के स्कूलों के अंदर भी मिड डे मील योजना को लागू कर सकते हैं। सुबिआंतो की तुलना पीएम मोदी से भी हो रही है जिन्हें अमेरिका ने लंबे समय तक वीजा नहीं दिया था। हालांकि अब राष्ट्रपति बनने के बाद सुबिआंतो आसानी से अमेरिका जा सकेंगे। सुबिआंतो ने साल 2014 और साल 2019 में राष्ट्रपति चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें जीत नहीं मिल पाई थी। इस बार इंडोनेशियाई सेना के स्पेशल फोर्सेस के कमांडर रह चुके सुबिआंतो को इस बार इतने वोट मिल गए हैं कि वह आसानी से राष्ट्रपति बन जाएंगे। सुबिआंतो सेना से रिटायर हैं और पड़ोसी भारत के साथ मजबूत रिश्तों की वकालत करते हैं। भारत और इंडोनेशिया की समुद्री सीमा मिलती हैं। साल 2020 में कोरोना संकट के बाद भी सुबिआंतो भारत के दौरे पर आए थे और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी। वह भारत के साथ रक्षा संबंधों को मजबूत करना चाहते थे। इसमें ब्रह्मोस मिसाइल समझौता शामिल है। पीएम मोदी से क्यों हो रही है तुलना ?राजनाथ और सुबिआंतो ने रक्षा संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया था और इसमें भी खासतौर पर समुद्री इलाके में शामिल थी। दोनों देशों की सेनाएं ट्रेनिंग और अभ्यास करती रहती हैं। अगर ऐसा होता है तो फिलीपीन्स के बाद इंडोनेशिया ऐसा दूसरा देश होगा जो ब्रह्मोस मिसाइल खरीदेगा। इस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को भारत और रूस ने मिलकर बनाया है। भारत और इंडोनेशिया में भारतीय ब्रह्मास्त्र की खरीद को लेकर बातचीत हो चुकी है। विशेषज्ञों के मुताबिक सुबिआंतो भारत की बहुत सफल मिड डे मील और दूध योजना को अपने देश में स्कूलों लागू कर सकते हैं। सुबिआंतो ने चुनाव प्रचार के दौरान इसका कई बार उल्लेख किया था। सुबिआंतो के भाई हाशिम देश के बड़े उद्योगपति हैं और उनके भारत में काफी ज्यादा बिजनस संबंध हैं। निजी बातचीत में सुबिआंतो एशिया में गठबंधन बनाने की वकालत करते हैं जिसमें भारत भी शामिल है। हालांकि अमेरिका समेत कई पश्चिमी देश उनके खिलाफ मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाते रहे हैं। अमेरिका ने तो उन्हें वीजा नहीं दिया था। यह ठीक उसी तरह था जैसे पीएम मोदी को प्रधानमंत्री बनने के पहले तक अमेरिका ने वीजा बैन लगा रखा था।