पहले से धधक रहा था बगावत का लावा, NCP के स्थापना दिवस से ही शरद पवार और अजित में बढ़ गई थीं दूरियां

मुंबई: एनसीपी प्रमुख और भतीजे अजित पवार के बीच दूरियां बहुत बढ़ गई थीं। पार्टी के स्थापना दिवस पर जिस तरह से शरद पवार ने अजित को संगठन से दूर रखा, उससे अजित बेहद खफा थे। कहते हैं कि इसे लेकर पवार परिवार में काफी लंबी बहस हुई। फिर हाल ही में पटना में विपक्षी एकता की बैठक में राहुल गांधी के साथ सुप्रिया और शरद पवार का मंच साझा करना अजित को रास नहीं आया। दबे स्वर से अजित ने कहा भी था कि पार्टी में फैसले लोकतांत्रिक तरीके से नहीं लिए जा रहे हैं।इससे पहले शरद पवार के रोटी पलटने वाली कहानी से अजित पवार बेहद नाराज हुए थे। बीते 2 मई को शरद पवार ने एनपीसी अध्यक्ष पद छोड़ा था। उस वक्त इस बात की संभावना थी कि अजित पवार को पार्टी की कमान सौंपी जा सकती है। जब पार्टी नेताओं और समर्थकों ने शरद पवार के फैसले का विरोध किया तो अजित ने खुलेआम कहा था कि इस विरोध से कुछ नहीं होगा। पवार साहब अपना फैसला नहीं बदलेंगे। हालांकि 4 दिन में ही पवार ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया। वे जब इस बात की जानकारी मीडिया को देने आए तो अजित पवार वहां मौजूद नहीं थे। तब इस बात की चर्चा थी कि शरद पवार के फैसले से अजित नाराज हैं।हाल ही में शरद पवार ने एनसीपी संगठन में बड़ा बदलाव किया। शरद पवार ने 10 जून यानी पार्टी के 25वें स्थापना दिवस पर बेटी सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष समेत विभिन्न राज्यों का प्रभार दे दिया। इसके बाद अजित पवार की नाराजगी की खबरें आईं। हालांकि उन्होंने इससे इनकार किया था। शरद पवार ने भी कहा कि अजित पहले से ही विपक्ष के नेता के तौर पर बड़ी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। वे राज्य देखेंगे।पवार थे पुणे में, मुंबई में खेल हो गयारविवार को अजित पवार ने अपने सरकारी आवास पर पार्टी के कुछ नेताओं और विधायकों के साथ बैठक की। इसके बाद जब अजित पवार के राजभवन पहुंचे तो उस वक्त एनसीपी प्रमुख शरद पवार पुणे में थे। उन्हें विधायकों की मीटिंग की जानकारी नहीं थी। बाद में जब उन्हें इसका पता लगा, तो बोले अजित पवार विपक्ष के नेता हैं। उन्हें विधायकों की बैठक बुलाने का अधिकार है।एनसीपी किसकी होगीअजित पवार के सरकार में शामिल होने के बाद अब बड़ा सवाल ये है कि एनसीपी किसकी होगी। पार्टी पर अधिकार को लेकर क्या अजित पवार और शरद पवार में सीधी लड़ाई होगी? अजित पवार का कहना है कि उनके साथ पार्टी के 53 में से 40 विधायक हैं। यानी एक तिहाई से ज्यादा। ऐसे में पार्टी पर अधिकार को लेकर क्या चुनाव आयोग में अजित पवार गुट का दावा मजबूत रहेगा और क्या शरद पवार को पार्टी अध्यक्ष पद भी छोड़ना पड़ सकता है? फिर सुप्रिया सुले का क्या होगा? इन सवालों का जवाब आने वाले दिनों में मिलेगा।