नई दिल्ली: अडानी ग्रुप (Adani Group) के शेयरों में 24 जनवरी से 27 फरवरी तक भारी गिरावट देखने को मिली। इस दौरान इन शेयरों में 80 फीसदी तक गिरावट आई। लेकिन इसके बाद बाजी अचानक पलट गई। 28 फरवरी से तीन मार्च तक अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी तेजी देखने को मिली। इस दौरान ग्रुप के ओवरऑल मार्केट कैप में 1.7 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हुआ। 27 फरवरी को ग्रुप का मार्केट कैप 6.82 लाख करोड़ रुपये रह गया था जो तीन मार्च को 8.55 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया। अडानी ग्रुप के शेयरों में मुख्य रूप से दो कारणों से तेजी आई। पहले रिपोर्ट आई थी कि अडानी ग्रुप को तीन अरब डॉलर का लोन मिल गया है। लेकिन ग्रुप ने इसका खंडन कर दिया। गुरुवार को एसेट मैनेजर फर्म GQG Partners ने अडानी ग्रुप की चार कंपनियों में 15,446 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। Hindenburg Research की रिपोर्ट आने के बाद अडानी ग्रुप की कंपनियों में यह पहला बड़ा निवेश था।चार दिन की तेजी से अडानी ग्रुप का मार्केट कैप 8.55 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया। 24 जनवरी को अडानी ग्रुप की दस लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 19.20 लाख करोड़ रुपये था। लेकिन अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग कंपनी Hindenburg Research की रिपोर्ट आने के बाद इसमें भारी गिरावट आई। पिछले चार सत्रों में अडानी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) के शेयरों में सबसे ज्यादा 57.37 फीसदी तेजी आई है। 27 फरवरी को इसका बंद भाव 1,194.20 रुपये था जो शुक्रवार को 1,879.35 रुपये पहुंच गया। आगे कैसी रहेगी चालचार दिन में अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकॉनमिक जोन (APSEZ) में 21.77 फीसदी, अडानी विल्मर (Adani Wilmar) में 21.53 फीसदी, अडानी ग्रीन एनर्जी (Adani Green Energy) में 21.53 फीसदी, अडानी पावर (Adani Power) में 21.47 फीसदी और एनडीटीवी (New Delhi Television) में 21.47 फीसदी की तेजी आई है। इसी तरह अंबूजा सीमेंट्स (Ambuja Cements), एसीसी (ACC), अडानी ट्रांसमिशन (Adani Transmission) और अडानी टोटल गैस (Adani Total Gas) में नौ से 19 फीसदी तक तेजी आई है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अडानी एंटरप्राइजेज का शेयर 2000 रुपये तक जा सकता है। जानकारों का कहना है कि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद निवेशकों ने अडानी ग्रुप की कंपनियों को लेकर ओवररिएक्ट किया। अडानी रातोंरात इस मुकाम पर नहीं पहुंचे हैं। कर्ज लेना या इक्विटी घटाना बिजनस में ग्रोथ का एक जरिया है। ग्रुप ने अब तक कोई डिफॉल्ट नहीं किया है। सेबी या इस तरह की किसी एजेंसी ने ग्रुप में कॉरपोरेट गवर्नेंस को लेकर कोई आशंका नहीं जताई है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से कंपनी की छवि को नुकसान पहुंचा है और उसे अपने गिरवी शेयरों को छुड़ाने के लिए समय से पहले रिपेमेंट करना पड़ा है। लेकिन निश्चित रूप के ग्रुप वापसी करेगा।