जयपुर: त्यौहारों के मौके पर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जब प्रशासन की ओर से धारा 144 लगाई जाती है तो आरोप प्रत्यारोपों के शुरू हो जाते हैं। कानून व्यवस्था के मुद्दे को धार्मिक भावनाओं को जोड़कर अलग अलग बयान जारी होने लगते हैं। इस महीने (मार्च में) होली, धुलंडी, नवरात्रा और रामनवमी के त्योहार हैं। बाड़मेर जिला कलेक्टर लोक बंधु ने त्योहारों पर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए धारा 144 लागू करने के आदेश जारी किए। आदेश जारी होते ही सोशल मीडिया पर सियासत शुरू हो गई। जिला कलेक्टर के इस आदेश को बीजेपी सांसद अर्जुन लाल मीणा ने गहलोत सरकार का तुगलकी फरमान करार दिया। उदयपुर सांसद अर्जुनलाल मीणा ने पूछा कि अशोक गहलोत जी हिन्दू पर्वों से आखिर आपको इतनी नफरत क्यों है? एक तरफ हिन्दूओं के धार्मिक प्रतीकों, यात्राओं पर रोक और दूसरी तरफ रमजान में मुस्लिम इलाकों में बिजली न काटने का फरमान… यह कैसी दोहरी मानसिकता है आपकी। हालांकि इन आरोपों को खंडन करते हुए सरकार की ओर से भी जवाबी ट्वीट और रिट्वीट हुए। मुख्यमंत्री के ओएसडी ने दिया ये जवाबबीजेपी सांसद द्वारा सोशल मीडिया के ट्विटर प्लेटफार्म के जरिए बयान जारी करने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा ने जवाब दिया है। लोकेश शर्मा ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के अलग अलग शहरी प्रशासन की ओर से जारी धारा 144 के आदेशों से जुड़ी खबरों को ट्वीट किया। नोएडा, अलीगढ, जौनपुर और लखनऊ प्रशासन की ओर से होली और धुलंडी के मौके पर कानून व्यवस्था के मद्देनजर धारा 144 लागू करने के आदेश जारी किए हैं। सीएम के ओएसडी ने लिखा कि होली रंग, गुलाल और उल्लास और सद्भाव का पर्व है। होली में लोग घुलते रंगों के साथ मिलते हैं ना कि दिलों में खटास पैदा की जाती है। लोकेश शर्मा ने सांसद से आग्रह करते हुए लिखा कि राजस्थान में नकारात्मक माहौल ना बनाएं। त्यौहारों पर धारा 144 बीजेपी शासित राज्यों में भी है, उसे भी देखिए। जानिए क्यों लागू की जाती है धारा 144?जब जिला प्रशासन को ऐसा अंदेशा होता है कि किसी खास मौके पर कुछ असामाजिक तत्व समाज का साम्प्रदायिक माहौल खराब कर सकते हैं। अवांछनीय गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के लिए जिला प्रशासन की ओर से दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 लागू करते हुए कई तरह के प्रतिबंध लागू किए जाते हैं। विशेष आयोजन पर संगठनों को जिला प्रशासन की अनुमति लेनी होती है। बिना अनुमति किसी भी प्रकार के आयोजन की अनुमति नहीं होती है। धारार 144 लागू होने के उपरांत ऐसे किसी भी आयोजन की अनुमति नहीं दी जाती जिससे किसी अन्य की भावनाओं को ठेस पहुंचती हो। सार्वजनिक स्थानों पर 5 या 5 से ज्यादा व्यक्तियों के एकत्रित होने की अनुमति भी नहीं होती है। अक्सर त्यौहारों, चुनावों, दंगों और अन्य आपात स्थितियों में जिला प्रशासन की ओर से धारा 144 लागू की जाती है। रिपोर्ट – रामस्वरूप लामरोड़