दिल्ली में फरिश्ते स्कीम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पहुंची ‘एलजी बनाम सरकार’ की लड़ाई, जानिए पूरा मामला

नई दिल्ली: दिल्ली में ‘फरिश्ते योजना’ को लेकर एक बार फिर से एलजी और सरकार आमने-सामने आ गई है। इस बार ये मामला तक पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट ने की उस याचिका पर एलजी से जवाब दाखिल करने को कहा है, जिसमें कहा गया है कि दुर्घटना पीड़ितों के मुफ्त इलाज के लिए बनाई गई योजना ‘फरिश्ते दिल्ली के’ लिए फंड जारी करने का निर्देश देने की गुहार लगाई गई है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सुधांशु धुलिया की बेंच ने एलजी, दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय और अन्य को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि हमें यह समझ में नहीं आता कि सरकार की एक ब्रांच दूसरे से लड़ रही है।’सोशल वेलफेयर का है मामला पॉलिटिक्स का नहीं’दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सड़क दुर्घटना के 23 हजार मामले हैं। लेटर लिखा जाता है और उधर से भुगतान नहीं किया जाता। यह मामला सोशल वेलफेयर का है और इसमें कोई पॉलिटिक्स नहीं है। फरिश्ते दिल्ली योजना लोगों को सड़क दुर्घटना में घायलों को बचाने के लिए प्रोत्साहित करती है। सरकार वैसे घायलों को बचाने के लिए अस्पताल के बिलों का भुगतान करती है, जो घायल होने के बाद इलाज के लिए अस्पताल पहुंचते हैं। ‘एलजी रोक रह फंड’दिल्ली की आप सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी कर आरोप लगाया गया है कि सड़क हादसे के पीड़ितों को बचाने के लिए बनाए गए फरिश्ते दिल्ली के स्कीम के लिए एलजी फंड को रोक रहे हैं। इस स्कीम के तहत घायलों को फ्री में इलाज की व्यवस्था है। सिंघवी ने कहा कि इस स्कीम के लिए फंड रोका जा रहा है। हेल्थ कैसे एलजी के अंदर हो सकता है। यह पूरी तरह से सोशल वेलफेयर का मसला है। दिल्ली सरकार की अर्जी में कहा गया है कि इस स्कीम के तहत जो फंड है उसे तुरंत रिलीव किया जाना चाहिए। सरकार की ओर से कहा गया है कि प्राइवेट अस्पतालों का पेंडिंग बिल समय पर क्लियर किया जाना है।