लूना-25 का फेल होना रूस के लिए कितना बड़ा झटका? पुतिन की ‘इज्जत का सवाल’ था चांद पर उतरना

मॉस्को: रूस ने 47 वर्षों के बाद चंद्रमा पर लैंडर उतारने से जुड़ा मिशन लॉन्च किया था। लेकिन उसके लिए एक बुरी खबर आई है। रूस का लूना-25 मिशन फेल कर गया है। रूस का स्पेसक्राफ्ट आउट ऑफ कंट्रोल हो गया और चांद की सतह पर क्रैश कर गया। रूसी स्पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस ने पहले बताया था कि प्री लैंडिंग ऑर्बिट में जाने के दौरान लूना-25 में एक ग्लिच आ गया था। लेकिन उसके कुछ समय बाद यह साफ हो गया कि लूना-25 से संपर्क पूरी तरह टूट गया है।रोस्कोसमोस ने एक बयान में कहा कि लैंडर अप्रत्याशित कक्षा में चला गया और चंद्रमा की सतह से टकरा गया। परिणामस्वरूप अब वह अस्तित्व में नहीं रहा। बयान में आगे कहा गया कि सोमवार को लैंडिंग होनी थी, लेकिन उससे पहले 20 अगस्त को इसे प्री लैंडिंग ऑर्बिट में स्थानांतरित किया गया। लूना-25 का फेल होना रूस के लिए एक बड़ा झटका है। ऐसा इसलिए क्योंकि सोवियत समय के बाद यह रूस का पहला बड़ा मिशन होने वाला था।रूस को चाहिए इज्जतदरअसल सोवियत समय में रूस और अमेरिका के बीच स्पेस में रेस चलती थी। तब दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित स्पेस एजेंसी सोवियत संघ की थी। दुनिया की पहली सैटेलाइट स्पुतनिक-1 को सोवियत संघ ने लॉन्च किया था। वहीं सोवियत संघ के यूरी गागरिन 1961 में अंतरिक्ष में जाने वाले पहले इंसान थे। इसके अलावा रूस का लूना 1 पहला इंपैक्टर स्पेसक्राफ्ट था जो चांद पर पहुंचा। वहीं लूना-2 पहला लैंडर था जो चांद पर सफलतापूर्वक उतरा। रूस एक बार फिर कोल्ड वार के समय वाली प्रतिष्ठा को वापस चाहता था।पुतिन को बड़ा झटकासोवियत ने अपना आखिरी मिशन लूना-24 को 1976 में लॉन्च किया था। इस मिशन के जरिए 170 ग्राम चांद के पत्थर धरती पर लाए गए थे। रूसी अंतरिक्ष अधिकारियों के मुताबिक लूना-25 को 21 अगस्त को चांद पर उतरना था। इसके अलावा रूस ने यह लॉन्च ऐसे समय में किया था जब वह यूक्रेन के साथ युद्ध लड़ रहा है। युद्ध की शुरुआत से पहले लूना मिशन में यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) शामिल थी। लेकिन जब रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया तब उसने अपना हाथ खींच लिया। पुतिन इस मिशन के जरिए यह दिखाना चाहते थे कि बिना पश्चिम की मदद के रूस स्पेस मिशन में सफलता हासिल कर सकता है।