उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की अपील पर 35 साल बाद आया फैसला, यहां जानें उनका वकालत से राजनीति तक का सफर

जयपुर : देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कानून की डिग्री लेने के बाद वर्ष 1979 में वकालात शुरू की थी। वे राजस्थान हाईकोर्ट में प्रेक्टिस करते थे। करीब दस साल बाद वर्ष 1989 में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में वकालात करते हुए देश के कई बड़े बड़े मुकदमों की पैरवी सुप्रीम कोर्ट में की। वर्ष 2019 में उन्हें राज्यपाल बनाया गया और गत वर्ष वे देश के उपराष्ट्रपति चुने गए। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राजस्थान हाईकोर्ट में वकालात करते समय एक याचिका दाखिल की थी। इसमें चौकाने वाली बात यह है कि इस याचिका में 35 साल बाद अब राजस्थान हाईकोर्ट ने निस्तारण किया है। जानिए क्या थी याचिकामार्च 1988 में अलवर जिले के किशनगढ में राजेन्द्र कुमार नामक युवक को चाकू मार कर घायल करने का प्रकरण सामने आया था। इस मामले की जांच लंबे समय तक चलती रही। कुछ समय बाद इलाज के दौरान राजेन्द्र की मृत्यु हो गई। इस मामले में आरोपी गुरुदयाल सिंह को दोषी माना गया था। कोर्ट ने उन दिनों दोषी गुरुदयाल सिंह को चार साल की सजा और एक हजार रुपए का जुर्माना लगाया था। इस सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी।अब गुरुदयाल की उम्र हुई 80 सालजगदीप धनखड़ की ओर से एकवोकेट के तौर पर याचिका दाखिल करते समय दोषी गुरुदयाल सिंह की उम्र करीब 45 साल थी। यह याचिका लंबे समय से कोर्ट में लम्बित रही। तारीख पर तारीख पड़ती गई। अब गुरुदयाल की उम्र 80 साल हो गई। दोषी गुरुदयाल सिंह की एडवोकेट भावना चौधरी ने बताया कि गैरइरादन हत्या के मामले में दी गई सजा के विरुद्ध दाखिल की गई याचिका में सुनवाई के दौरान कहा गया कि दोषी की आयु अब 80 साल के ऊपर हो गई है। ऐसे में उन्हें राहत दी जाए। जस्टिस महेन्द्र गोयल ने मामले की सुनवाई करते हुए याचिका का निस्तारण कर दिया। दोषी की सजा को वहीं तक सिमित कर दिया जितनी सजा उन्होंने भुगत ली है।करीब 2 माह 19 दिन की काटी जेलआरोपी की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता भावना चौधरी ने बताया कि यह घटना 5 मार्च 1988 की है। उस दिन अलवर जिले के किशनगढ़ बास थाने में प्रीतम सिंह ने एक रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि गुरुदयाल सिंह ने राजेन्द्र सिंह पर चाकू से वार करके उसे घायल कर दिया हैं। जिस पर पुलिस ने गुरुदयाल सिंह को 13 मार्च 1988 को गिरफ्तार किया। इलाज के दौरान राजेन्द्र सिंह की मृत्यु होने पर गुरुदयाल सिंह के खिलाफ पुलिस ने हत्या के मामले में चालान पेश किया। लेकिन कोर्ट ने गुरुदयाल सिंह को 10 मार्च 1989 को गैर इरादतन हत्या का दोषी मानते हुए 4 साल की सजा सुनाई। आरोपी करीब 2 माह 19 दिन जेल में रहा। उसके बाद उसे जमानत का लाभ मिल गया। इस दौरान आरोपी ने 1989 में एडीजे किशनगढ़ बास के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की।30 साल राजनीति, फिर बने उपराष्ट्रपतिउपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ वर्ष 1989 में झुंझुनूं लोकसभा से जनता दल के टिकट पर सांसद बने थे। लोकसभा सांसद रहते हुए वह चंद्रशेखर की केंद्र सरकार में संसदीय कार्यमंत्री भी रह चुके हैं। बाद में वर्ष 1993 में वह राजस्थान विधानसभा के सदस्य भी रहे। वर्ष 2019 में उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया। पिछले साल अगस्त 2022 में वे उपराष्ट्रपति चुने गए। रिपोर्ट – रामस्वरूप लामरोड़