वॉशिंगटन: हाल ही में दुनिया ने पेंटागन लीक के बारे में जाना जिसकी वजह से यूक्रेन युद्ध के कई राज सामने आ गए। लेकिन इस घटना से कई दशक पहले ऐसी ही एक घटना हुई थी जिसमें वियतनाम युद्ध में अमेरिका की पोल खुल गई थी। उसे पेंटागन पेपर्स का नाम दिया गया था जिसे डैनियल एल्सबर्ग ने अंजाम दिया था। आज डैनियल की बात इसलिए हो रही है क्योंकि 92 साल की उम्र में उनका निधन हो गया है। डैनियल वह शख्स थे जिन्होंने वियतनाम युद्ध में हिस्सा तो लिया लेकिन इसकी वजह से उनका हृदय परिवर्तन हो गया। इस वजह से उन्होंने पेंटागन पेपर्स लीक के जरिए अमेरिकी सरकार के धोखे का खुलासा किया था। अमेरिका ने उन्हें सबसे खतरनाक शख्स घोषित किया हुआ था।चुपचाप पहुंचे थे मीडिया के पास कैंसर से जूझते एल्सबर्ग ने केंसिग्टन, कैलिफोर्निया के अपने घर पर दम तोड़ा। एडवर्ड स्नोडेन और विकीलीक्स के जूलियन असांज से भी पहले एल्सबर्ग ने अपनी ही सरकार के राज दुनिया के सामने लाकर रख दिए थे। एल्सबर्ग ने अमेरिकियों को बताया था कि उनकी सरकार उन्हें गुमराह करने और यहां तक कि झूठ बोलने में भी सक्षम थी। अपने बाद के वर्षों में एल्सबर्ग व्हिसलब्लोअर और लीकर्स के वकील बन गए और उनके ‘पेंटागन पेपर्स’ लीक को 2017 की फिल्म ‘द पोस्ट’ में दिखाया गया था। एल्सबर्ग चुपके से सन् 1971 में वियतनाम युद्ध के खत्म होने की उम्मीद में मीडिया के पास गए। इस वजह से तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन का प्रशासन ने उन्हें निशाना बनाने में लग गया। किसने कहा था सबसे खतरनाक हेनरी किसिंजर, जो उस समय राष्ट्रपति के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) थे, उन्होंने एल्सबर्ग को ‘अमेरिका का सबसे खतरनाक आदमी’ करार दिया था। किसिंजर ने कहा था कि एल्सबर्ग को हर कीमत पर रोका जाना चाहिए। सन् 1960 के दशक के मध्य में एल्सबर्ग विदेश विभाग की तरफ से साइगॉन गए थे। उस समय तक उन्होंने हार्वर्ड से तीन डिग्रियां हासिल कर ली थी। साथ ही वह मरीन कोर के साथ तैनात रहे थे और पेंटागन के अलावा रैंड कॉर्पोरेशन का भी हिस्सा थे। एल्सबर्ग ने शीत युद्ध में हिस्सा लिया था और फिर वियतनाम में शामिल हुए थे। बच्चों की मदद से चुराए थे पेपर्स पेंटागन के अधिकारी चुपचाप सन् 1945 से 1967 तक वियतनाम में अमेरिका के शामिल होने से जुड़ी घटनाओं को कवर करने वाली 7,000 पन्नों की एक रिपोर्ट एक साथ रख रहे थे। सन् 1969 में जब युद्ध खत्म हुआ तो 15 पब्लिश्ड कॉपी में से दो रैंड कॉर्पोरेशन के पास थीं, जहां एल्सबर्ग एक बार फिर से काम कर रहे थे। एल्सबर्ग ने अपने 13 साल के बेटे और 10 साल की बेटी को हेल्पर के तौर पर प्रयोग किया। उन्होंने बच्चों की मदद से रैंड ऑफिस से सीक्रेट डॉक्यूमेंट्स चुराना शुरू किया। रात में वह किराए की जेरॉक्स मशीन से इसे कॉपी करना शुरू कर देते थे। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में नौकरी के लिए बोस्टन जाते समय वह इन डॉक्यूमेंट्स साथ लेकर चले गए थे। फिर डेढ़ साल के बाद उन्होंने डॉक्यूमेंट्स न्यूयॉर्क टाइम्स को दे दिए। द टाइम्स ने 13 जून, 1971 को ‘पेंटागन पेपर्स’ की पहली किस्त जारी की। कैनेडी ने थोपा युद्ध पेंटागन पेपर्स के मुताबिक अमेरिकी अधिकारियों ने यह निष्कर्ष निकाला था कि अमेरिका शायद वियतनाम युद्ध जीत नहीं सकता है। उनकी मानें तो राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने दक्षिण वियतनामी नेता को उखाड़ फेंकने के लिए तख्तापलट की योजना को मंजूरी दी थी। कैनेडी के उत्तराधिकारी, लिंडन जॉनसन, ने सन् 1964 के अभियान के दौरान ऐसा करने से मना कर दिया था। मगर इसके बावजूद उत्तरी वियतनाम में बमबारी हुई। साथ ही डॉक्यूमेंट्स में युद्ध का विस्तार करने की योजना समेत कई राज थे। इन डॉक्यूमेंट्स में कंबोडिया और लाओस में सीक्रेट अमेरिकी बमबारी का भी खुलासा किया गया था। साथ ही घायलों की संख्या रिपोर्ट की तुलना में कहीं ज्यादा थी। टाइम्स ने यह नहीं बताया कि ये डॉक्यूमेंट्स उसके पास कैसे आए मगर एफबीआई ने इसके पीछे एल्सबर्ग का ही हाथ माना। इन पेपर के सामने आने के दो हफ्तों तक एल्सबर्ग अंडरग्राउंड रहे थे।