‘वो दिन दूर नहीं जब संविधान संशोधन के जरिये महिलाओं को मिलेगा उचित प्रतिनिधित्व’, उपराष्ट्रपति धनखड़ का बड़ा बयान

सरकार ने 18 सितंबर से लेकर 22 सितंबर के बीच विषेश सत्र बुलाया है। इस विशेष सत्र को लेकर लगातार चर्चाओं का दौर जारी है। माना जा रहा है कि सरकार इस विशेष सत्र के जरिए कई बड़े विधेयक ला सकती हैं। इसी कड़ी में महिला आरक्षण बिल को लेकर भी चर्चा जबरदस्त तरीके से जारी है। इन सबके बीच भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कुछ ऐसा बयान दिया है जिसके बाद महिला आरक्षण बिल को लेकर चर्चाओं का दौर और भी बढ़ सकता है। सोमवार को जयपुर में राजस्थान विश्वविद्यालय से संबंध ‘‘महारानी महाविद्यालय की छात्राओं के साथ राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की भागीदारी विषय पर संवाद कार्यक्रम में भाग लेते हुए धनखड़ ने कहा कि वो दिन दूर नहीं जब संविधान संशोधन के जरिये संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा।  इसे भी पढ़ें: Parliament Special Session: संसद के विशेष सत्र को लेकर सियासत गर्म, कांग्रेस नेताओं के साथ सोनिया गांधी करेंगी अहम बैठकछात्राओं से संवाद के दौरान उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि महिलाओं के लिए आसमान ही सीमा है, वे हर क्षेत्र में – प्रशासन, सेना, कॉरपोरेट में सफलता के नए प्रतिमान गढ़ रही हैं। उन्होंने महिलाओं को कहा कि अपने निर्णय स्वयं लें और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनें। पुरुषों की नकल मत कीजिए, वे आपसे श्रेष्ठ नहीं हैं, अपने आपको मौलिक रखिये। धनखड़ ने छात्राओं को तीन मंत्र दिए – पहला, कभी टेंशन मत लीजिये, टेंशन लेने से कुछ नहीं होता। दूसरा, असफलता से कभी मत डरिये और तीसरा यह कि आपके दिमाग मे कोई अच्छा विचार आये तो उसे केवल दिमाग मे मत रखे रखिये बल्कि जमीन पर लागू करिये। उपराष्ट्रपति ने युवाओं से अति-प्रतिस्पर्धा में ना पड़ने की अपील करते हुए कहा कि उन्हें अपनी रुचि के अनुसार कैरियर के चुनाव करना चाहिए। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अब वो दिन दूर नहीं जब संविधान में संशोधन करके संसद और विधान सभाओं में महिलाओं को उनका उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा। यदि महिलाओं को ये आरक्षण जल्दी मिल गया तो भारत 2047 से पहले ही विश्व शक्ति बन जायेगा। महिला शिक्षा पर बल देते हुए धनखड़ ने कहा कि लड़के को पढ़ाने से एक परिवार ही तरक्की करता है, लेकिन यदि हम एक लड़की को पढ़ाते हैं तो कई परिवार शिक्षित होते हैं।  इसे भी पढ़ें: Tejashwi Yadav ने One Nation-One Income की मांग की, पलटवार में BJP ने कहा, उन्हें एक परिवार की चिंताएक छात्रा द्वारा महिला सुरक्षा पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में धनखड़ ने कहा कि यह केवल सरकारी तंत्र का ही काम नहीं है बल्कि महिलाओं के लिए सुरक्षित वातावरण तैयार करने में समाज, व्यक्ति और संस्थानों को मिलकर प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा, ‘‘हर सक्षम व्यक्ति यह निश्चय करे कि मैं इस विषय पर अपना योगदान करूंगा। असामाजिक तत्वों से सख्ती से निपटने पर बल देते हुए उन्होंने खुशी व्यक्त की की हम अंग्रेजों की बनायी दंड संहिता को बदल रहे हैं।’’ धनखड़ ने कहा, ‘‘मेरे जीवन में एक ही ताकत है – मेरी नानी, दादी, मेरी मां और मेरी धर्मपत्नी। पांच दशक के सार्वजनिक जीवन मे अनेक उतार चढ़ाव आये, लेकिन ये महिलाएं मेरे पीछे चट्टान के समान अडिग खड़ी रहीं।’’ महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण में आ रहे बदलाव को रेखांकित करते हुए धनखड ने कहा कि उन्होंने राज्य सभा मे ‘चेयरमैन’ की जगह जेंडर न्यूट्रल शब्द ‘चेयरपर्सन’ को बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहा अब ‘पेनल आफ वाइस चेयरमेन’ की जगह ‘पेनल आफ वाइस चेयरपर्सन’ शब्द का प्रयोग किया जाता है। धनखड़ ने आगे बताया, मैंने पहली बार राज्य सभा के उपसभापति पैनल में पचास फीसदी महिलाओं की नियुक्ति की है और उनका प्रदर्शन उत्कृष्ट रहा है। राज्यसभा में महिला सशक्तीकरण हेतु उठाये अन्य कदमों के विवरण देते हुए धनखड़ ने कहा, ‘‘मैं जब भी देश-विदेश की यात्रा के लिए डेलिगेशन के नामों का निर्णय करता हूँ तो उसमें महिलाओं को प्राथमिकता देता हूँ ताकि जिन लोगों को अभी तक बाहर जाने का मौका नहीं मिला था, उन्हें भी अवसर मिले।’’ उपराष्ट्रपति ने कहा कि महिलाओं की प्रगति में रुकावट पैदा करने के अनेक प्रयास हुए हैं लेकिन अब समाज का दृष्टिकोण बदल रहा है। 2019 में पहली बार लोकसभा में 78 महिला सांसद निर्वाचित होकर आयी हैं। विश्व महिलाओं के योगदान के बिना प्रगति नहीं कर सकता।’’