
3 साल की सिया गंभीर बीमारी से जीत रही जंग
इसके बाद सिया के पैरंट्स ने भांग से बने औषधीय तेल से सिया का इलाज शुरू करवाया। सिया की 32 वर्षीय मां माया ने बताया कि पिछले दो सालों से सिया का इलाज चल रहा है। सिया की गर्दन की मूवमेंट में काफी सुधार आया है। तेजी से सेहत में सुधार को देखकर सिया के न्यूरोलॉजिस्ट हैरान रह गए हैं। माया को सलाह देने वाली डॉक्टर श्रुति श्रीधर के लिए सिया पहली मरीज थीं, जिसके लिए उन्होंने इस तेल के इस्तेमाल की सलाह दी थी।
‘जानकारी के अभाव में सिया जैसे बच्चे इलाज से महरूम’
उन्होंने बताया कि ‘जब अक्टूबर 2020 में सिया की स्थिति का पता चला, तो मैंने फिजियोलॉजी को समझने के लिए वैन डेर कन्नप सिंड्रोम पर शोध करना शुरू किया। मुझे एक शोध लेख मिला जिसमें उल्लेख किया गया है कि सीबीडी तेल नए न्यूरॉन्स के निर्माण में न्यूरोप्रोटेक्शन और न्यूरोजेनेसिस का कारण बन सकता है।’ उन्होंने कहा कि शोध पत्र नया नहीं था। ऐसे में भांग के चिकित्सीय उपयोग के बारे में डॉक्टरों को कम जानकारी थी, जिसके चलते सिया जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित बच्चों को बेहतर इलाज नहीं मिल पा रहा था। उन्होंने कहा, ‘जिस देश में भांग के पत्तों से बने प्रोडेक्ट सदियों से इस्तेमाल किए जा रहा हैं, वहां भांग के चिकित्सीय उपयोग के बारे में ज्ञान बेहद कम है।’
इस तरह दूर किया जा रहा लोगों का कंफ्यूजन
पुणे स्थित श्रीधर और कैनबिनोइड्स इंडिया अकादमी के अन्य सदस्यों ने पिछले सप्ताह मध्य मुंबई में डॉक्टरों और इच्छुक लोगों के लिए चिकित्सीय भांग से जुड़े सभी कंफ्यूजन को लेकर चर्चा की। डॉक्टरों ने कहा, ‘लोगों को लगता है कि इलाज के दौरान भांग के पूरे पौधे का इस्तेमाल होता है जिसके विभिन्न भागों में लगभग 540 खतरनाक कैमिकल होते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। कैनाबीडियोल तेल या सीबीडी तेल, कैनाबिस में एक सक्रिय घटक है और आमतौर पर मेडिकल कैनाबिस के रूप में उपयोग किया जाता है।’ उन्होंने कहा, ‘ पिछले दो साल से श्रीधर अकादमी के पास 200 से अधिक रोगी हैं, जिनमें से अधिकांश कैंसर या दिमाग के गंभीर रोगों के दर्द से पीड़ित हैं, इन सभी मरीजों को भांग के औषधीय तेल से काफी आराम मिला है।’
खड़ी होने वाली है अरबों डॉलर की इंडस्ट्री
संयुक्त राष्ट्र ने दो साल पहले ही भांग को हेरोइन के साथ अनुसूची IV में शामिल किया है। इस पर वैज्ञानिकों ने रिसर्च भी शुरू कर दी है। यह अनुमान लगाया गया है कि भांग से जुड़ा औषधीय चिकित्सा उद्योग 2 अरब डॉलर से बढ़कर 2025 तक 146 अरब डॉलर के करीब पहुंच जाएगा। भांग के औषधीय तेल के कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि भारत के पास भांग उगाने की क्षमता है, उसे इस क्षेत्र में अब काम करना चाहिए।’
पेन मैनेजमेंट एक्सपर्ट का क्या कहना हैं?
पेन मैनेजमेंट की एक्सपर्ट प्रीति दोषी का कहना है, ‘हम भांग से बने औषधीय तेल का इस्तेमाल करने की सलाह मरीजों को नहीं देते, लेकिन हमारे पास आने वाले मरीजों का कहना है कि भांग के औषधीय तेल के इस्तेमाल से उनका दर्द कम हो रहा है।’ श्रीधर और कैनबिनोइड्स इंडिया अकादमी से जुड़े एक्सपर्ट का कहना है कि कैनबिडिओल तेल का कोई साइड इफेक्ट नहीं है। फिलहाल मध्य प्रदेश, राजस्थान और ओडिशा सहित पांच राज्य सीबीडी के उत्पादन की मंजूरी देते हैं। Cannazo India के मालिक सुकृत गोयल इंदौर में एक यूनिट में औषधीय भांग का उत्पादन करते हैं। गोयल ने कहा, ‘मैं अन्य कंपनियों के लिए अनुबंध-निर्माण करता था, लेकिन महसूस किया कि इसमें काफी संभावनाएं हैं और अपनी खुद की कंपनी शुरू करने का फैसला किया।’