कोर्ट ने यह कहा अपने फैसले में
उन्होंने बताया है कि नीम का थाना के जैतपुरा निवासी 27 वर्षीय आरोपी शिम्भुराम ने आठ साल पहले 17 वर्षीय नाबालिग से दुष्कर्म किया था। दुष्कर्म के कारण गर्भवती हुई नाबालिग ने बेटी को भी जन्म दिया था। उन्होंने आगे बताया कि विशेष पॉक्सो (यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण) अदालत संख्या दो के न्यायाधीश अशोक चौधरी ने दोषी को 20 साल कठोर कारावास की सजा सुनाई। साथ ही जुर्माने के पांच लाख रुपये पीड़िता की बेटी के नाम करने का अहम आदेश भी दिया है । शेष 15 हजार रुपये पीड़िता को तथा मां-बेटी के लिए राजस्थान पीड़ित प्रतिकर योजना से भी अतिरिक्त मुआवजा राशि दिए जाने की सिफारिश की है। अदालत ने मामले में जांच अधिकारी जयसिंह तंवर की लापरवाही को भी स्वीकार किया है।
कीर्तन में से उठा ले गया था नाबालिग को
कविया ने बताया कि 14 नवंबर, 2014 को नीम का थाना सदर में पीड़िता के पिता ने मामला दर्ज करवाया था। इसमें बताया गया था कि 11 नवंबर को वह और उसकी पत्नी पड़ोस के मंदिर में कीर्तन में शामिल होने के लिए गए थे। उनकी गैर मौजूदगी में शिम्भुराम उनकी बेटी को उठाकर ले गया। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर अदालत में चालान पेश किया। अदालत में पीड़िता ने बताया कि आरोपी शिम्भुराम ने पहले भी उसका यौन उत्पीड़न किया था। नतीजतन वह गर्भवती हो गई और उसने एक बच्ची को भी जन्म दिया।उन्होंने बताया कि मामले में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने शिम्भुराम को दोषी करार दिया और सजा सुनाई।उन्होंने बताया कि अदालत ने मामले में जांच अधिकारी की लापरवाही का जिक्र करते हुए कहा कि जांच अधिकारी जयसिंह तंवर ने घटना को लेकर कोई जांच नहीं की। पीड़िता के बच्ची को जन्म देने तथा साक्ष्य जुटाने को लेकर भी लापरवाही बरती गई, जो अधिकारी की गैर जिम्मेदारी को साबित करता है।